भाईदूज मनानेसे भाई एवं बहनको होनेवाले लाभ

सारिणी

१. यमद्वितीया अर्थात भैय्यादूज

२. कार्तिक शुक्ल द्वितीयाको `यमद्वितीयाऔर `भैय्यादूजकहनेके कारण

३. बहनद्वारा भाईका औक्षण करनेकी पद्धति

४. बहनद्वारा भाईका औक्षण करनेके सूक्ष्म-स्तरीय परिणाम

५. यमादि देवताओंका पूजन करनेके उपरांत बहनद्वारा भावसहित भाईका औक्षण करनेसे होनेवाले लाभ

६. भाईका बहनको उपहार देना

७. भाईदूजके दिन स्त्रियोंद्वारा चंद्रमाका औक्षण करनेके परिणाम

८. भाईदूज मनानेसे भाई एवं बहनको प्राप्त लाभ

९. बहनमें जागृत देवीतत्त्वका लाभ भाईको मिलना

१०. बहनद्वारा की गई प्रार्थनाके कारण भाई-बहनका लेन-देन घट जाना

११. भाईदूजके कारण बहनको प्राप्त लाभ


 

१. यमद्वितीया अर्थात भैय्यादूज

असामायिक अर्थात अकालमृत्यु न आए, इसलिए यमदेवताका पूजन करनेके तीन दिनोंमेंसे कार्तिक शुक्ल द्वितीया एक है । यह दीपोत्सव पर्वका समापन दिन है । `यमद्वितीया’ एवं `भैय्यादूज’ के नामसे भी यह पर्व परिचित है । इन तीन दिनोंमेंसे यह एक दिन है । इन दिनोंमें भूलोकमें यम तरंगें अधिक मात्रामें आती हैं । इन दिनों यमादि देवताओंके निमित्त किया गया कोई भी कर्म अल्प समयमें फलित होता है । इसलिए कार्तिक शुक्ल द्वितीयाकी तिथिपर यमदेवका पूजन करते हैं । चौकीपर रखे चावलके तीन पुंजोंपर तीन सुपारियां रखते हैं । चौपाए पर चावलके तीन छोटे छोटे पूंजोंपर तीन सुपारियां रखी जाती हैं ।

 

२. कार्तिक शुक्ल द्वितीयाको `यमद्वितीयाऔर `भैय्यादूजकहनेके कारण

कार्तिक शुक्ल द्वितीयाकी तिथिपर वायुमंडलमें यमतरंगोंके संचारके कारण वातावरण तप्त ऊर्जासे प्रभारित रहता है । ये तरंगें नीचेकी दिशामें प्रवाहित होती हैं । इन तरंगोंके कारण विविध कष्ट हो सकते हैं, जैसे अपमृत्यु होना, दुर्घटना होना, स्मृतिभ्रंश होनेसे अचानक पागलपनका दौरा पडना, मिरगी समान दौरे पडना अर्थात फिट्स आना अथवा हाथमें लिये हुए कार्यमें अनेक बाधाएं आना । भूलोकमें संचार करनेवाली यमतरंगोंको प्रतिबंधित करनेके लिए यमादि देवताओंका पूजन करते हैं ।

पृथ्वी यमकी बहनका रूप है । इस दिन यमतरंगें पृथ्वीकी कक्षामें आती हैं । इसलिए पृथ्वीकी कक्षामें यमतरंगोंके प्रवेशके संबंधमें कहते हैं कि, कार्तिक शुक्ल द्वितीयाकी तिथिपर यम अपने घरसे बहनके घर अर्थात पृथ्वीरूपी भूलोकमें प्रवेश करते हैं । इसलिए इस दिनको यमद्वितीयाके नामसे जानते हैं । यमदेवताके अपनी बहनके घर जानेके प्रतीकस्वरूप प्रत्येक घरका पुरुष अपनेही घरपर पत्नी द्वारा बनाए गए भोजनका न सेवन कर बहनके घर जाकर भोजन करता है । बहनद्वारा यमदेवताका सम्मान करनेके प्रतीक स्वरूप यह दिन `भैय्यादूजके नामसे भी प्रचलित है ।

 

३. बहनद्वारा भाईका औक्षण करनेकी पद्धति

भोजनसे पूर्व बहन भाईका औक्षण करती है । इसमें वह प्रथम भाईको कुमकुम तिलक एवं अक्षत लगाती है । तदुपरांत भाईके मुखके चारों ओर अर्धगोलाकार आकृतिमें तीन बार सुपारी एवं अंगूठी घुमाती है । इसके उपरांत अर्धगोलाकारमें तीन बार आरती उतारती है । उपरांत उपहार देकर भाईका सम्मान करती है ।

शास्त्रकी जानकारी हो, तो कोई भी धार्मिक कृति मन:पूर्वक एवं श्रद्धापूर्वक की जाती है । परिणामत: उससे लाभ भी अधिक प्राप्त होता है ।

 

४. बहनद्वारा भाईका औक्षण करनेके सूक्ष्म-स्तरीय परिणाम

औक्षण करते समय बहनमें भावका वलय जागृत होता है । ब्रह्मांडसे चैतन्यका प्रवाह औक्षण करनेवाली बहनकी ओर आकर्षित होता है । बहनमें इस चैतन्यका वलय एकत्रित होता है । बहनके हाथोंसे चैतन्य तरंगें ताम्रपात्रकी ओर प्रवाहित होकर, उसमें चैतन्यका वलय जागृत होता है । भाईकी ओर ईश्वरीय चैतन्यका प्रवाह आकर्षित होता है तथा उसमें चैतन्यके वलयकी उत्पत्ति होती है ।

औक्षण करनेके लिए उपयोगमें लाए गए तेलके दीपमें ईश्वरीय शक्तिका प्रवाह आकर्षित होता है । औक्षण करते समय दीपको अर्धवर्तुलाकार घुमानेसे दीपके सर्व ओर शक्तिका कार्यरत वलय उत्पन्न होता है । इस वलयद्वारा शक्तिकी कार्यरत तरंगें भाईकी ओर प्रक्षेपित होती हैं । भाईकी सूर्यनाडी कार्यरत होती है तथा उसमें शक्तिका वलय उत्पन्न होता है । भाईकी देहमें शक्तिके कणोंका संचार होता है तथा उसकी देहके सर्व ओर सुरक्षाकवच बनता है ।

बहनद्वारा भाईका औक्षण करनेके कारण वातावरण भी शक्तिके कणोंसे संचारित होता है । औक्षण करनेके कारण पाताल एवं वायुमंडलसे आक्रमण करनेवाली अनिष्ट शक्तियोंसे भाईका रक्षण होता है । भाईमें भावका वलय जागृत होता है ।

इससे स्पष्ट होता है, कि भाईदूजके दिन बहनद्वारा भाईका औक्षण किए जानेके कारण बहन तथा भाई दोनोंको लाभ प्राप्त होता है ।

 

५. यमादि देवताओंका पूजन करनेके उपरांत
बहनद्वारा भावसहित भाईका औक्षण करनेसे होनेवाले लाभ

इस दिन बहनें भाईके रूपमें यमदेवका औक्षण कर उनका आवाहन करती हैं । उनका यथोचित आदरसहित सम्मान करती हैं और भूलोकमें संचार करनेवाली यमतरंगोंपर तथा पितृलोककी अतृप्त आत्माओंको प्रतिबंधित करनेके लिए उनसे प्रार्थना करती हैं ।

परिजनोंको यम तरंगोंके कारण होनेवाले कष्ट घटते हैं । यमतरंगोंसे परिजनोंकी रक्षा होती है । वास्तुका वायुमंडल शुद्ध बनता है । पृथ्वीका वातावरण सीमित समयके लिए यातना रहित अर्थात आनंददायी रहता है । औक्षणके उपरांत भाई बहनके हाथसे बना भोजन ग्रहण करता है । ऐसा बताया गया है, कि सगी बहन न हो, तो भाईदूजके दिन चचेरी, ममेरी किसी भी बहनके घर जाकर अथवा किसी परिचित स्त्रीको बहन मानकर उसके घर भोजन करना चाहिए ।

 

६. भाईका बहनको उपहार देना

भोजनके उपरांत भाई यथाशक्ति वस्त्राभूषण, द्रव्य इत्यादि उपहार देकर बहनका सम्मान करता है । यह उपहार सात्त्विक हो, तो अधिक योग्य है । जैसे साधना संबंधी, धर्मसंबंधी ग्रंथ, देवतापूजन हेतु उपयुक्त वस्त्र इत्यादि । कुछ स्थानोंपर स्त्रियां सायंकालमें चंद्रमाका औक्षण कर उसके उपरांत ही भाईका औक्षण करती हैं । भाई न हो, तो कुछ स्थानोंपर बहन चंद्रमाको भाई मानकर उनका औक्षण करती है ।

 

७. भाईदूजके दिन स्त्रियोंद्वारा चंद्रमाका औक्षण करनेके परिणाम

स्त्रीद्वारा चंद्रमाका आवाहन करनेसे चंद्रतरंगें कार्यरत होती हैं । ये तरंगें वायुमंडलमें प्रवेश करती हैं । इन तरंगोंकी शीतलताके कारण ऊर्जामयी यमतरंगें शांत होती हैं तथा वातावरणकी दाहकता घटती है । इससे यमदेवका क्षोभ भी मिटता है । इसके उपरांत वातावरण प्रसन्न अर्थात सुखद बनता है । वातावरणकी इस प्रसन्नताके कारण स्त्रियोंके अनाहत चक्रकी जागृति होती है । परिणामस्वरूप यमदेवताके उद्देश्यसे भाईके पूजनकी विधिद्वारा भाव बढनेमें सहायता मिलती है तथा इष्ट फलप्राप्ति होती है ।

 

८. भाईदूज मनानेसे भाई एवं बहनको प्राप्त लाभ

यमद्वितीया अर्थात भाईदूजके दिन ब्रह्मांडसे आनंदकी तरंगोंका प्रक्षेपण होता है । इन तरंगोंका सभी जीवोंको अन्य दिनोंकी तुलनामें ३० प्रतिशत अधिक लाभ होता है । इसलिए सर्वत्र आनंदका वातावरण रहता है ।

 

९. बहनमें जागृत देवीतत्त्वका लाभ भाईको मिलना

इस दिन स्त्रीमें देवीतत्त्व जागृत रहता है । इसका लाभ भाईको उसके भावानुसार मिलता है । भाई साधना करता हो, तो उसे आध्यात्मिक स्तरपर लाभ मिलता है । वह साधना न करता हो, तो उसे व्यावहारिक लाभ मिलता है । भाई कामकाज संभालते हुए साधना करता हो, तो उसे दोनों स्तरपर पचासपचास प्रतिशत लाभ मिलता है ।

 

१०. बहनद्वारा की गई प्रार्थनाके कारण भाई-बहनका लेन-देन घट जाना

यमद्वितीयाकी तिथिपर बहन अपने भाईके कल्याणके लिए प्रार्थना करती है । इसका फल भाईको बहनके भावानुसार प्राप्त होता है । इसलिए बहनका भाईके साथ लेन-देन अंशतः घट जाता है । इसलिए यह दिन एक अर्थसे लेन-देन घटानेके लिए होता है ।

 

११. भाईदूजके कारण बहनको प्राप्त लाभ

बहनका प्रारब्ध घट जाना । भाईदूजके दिन भाईमें शिवतत्त्व जागृत होता है । इससे बहनका प्रारब्ध एक सहस्त्रांश प्रतिशत घट जाता है । भाईदूजके दिन शास्त्रमें बताए अनुसार कृति करनेके लाभ हमने समझ लिए । इन सूत्रोंसे हिंदु धर्ममें बताए पर्वो उत्सवोंका महत्त्व समझमें आता है ।

संदर्भ : सनातन-निर्मित ग्रंथ ‘त्यौहार, धार्मिक उत्सव व व्रत’

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