तुलसी विवाह

इस दिनसे शुभ दिवसका, अर्थात मुहूर्तके दिनोंका आरंभ होता है । ऐसा माना जाता है कि, ‘यह विवाह भारतीय संस्कृतिका आदर्श दर्शानेवाला विवाह है ।’ घरके आंगनमें गोबर-मिश्रित पानी छींटिए । तुलसी कुंडको श्वेत रंगसे रंगिए । श्वेत रंगके माध्यमसे ईश्वरकी ओरसे शक्ति आकर्षित की जाती है । तुलसीके आस-पास सात्त्विक रंगोली बनाइए । उसके उपरांत उसकी भावपूर्ण पूजा कीजिए । पूजा करते समय पश्चिमकी ओर मुख कर बैठिए ।

इस दिन पृथ्वीपर अधिक मात्रामें श्रीकृष्णतत्त्व कार्यरत रहता है । तुलसीके पौधे से भी अधिक मात्रामें श्रीकृष्णतत्त्व कार्यरत होता है । इसलिए इस दिन श्रीकृष्णका नामजप करनेसे अधिक लाभ होता है । पूजा होनेके उपरांत वातावरण अत्यंत सात्त्विक हो जाता है । उस समय भी श्रीकृष्णका नामजप कीजिए । तुलसी अत्यधिक सात्त्विक होती है अत: उसमें ईश्वरकी शक्ति अधिक मात्रामें आकर्षित होती है । तुलसीके पत्ते जलमें डालनेसे जल शुद्ध एवं सात्त्विक होता है और उसमें ईश्वरीय शक्ति कार्यरत होती है । उस जलसे जीवकी प्रत्येक पेशीमें ईश्वरीय शक्ति कार्यरत होती है ।

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