पिंडदान करने का अध्यात्मशास्त्र

‘पिंड लिंगदेह का  प्रतिनिधित्व करता है । जब लिंगदेह स्थूल देह से विलग होता है, वह वायुमंडल में मन के संस्कारों के अनेक आवरणसहित बाहर आता है । आसक्तिदर्शक घटकों में अन्न का सहभाग सर्वाधिक होता है ।

नारायणबलि, नागबलि एवं त्रिपिंडी श्राद्ध

ये अनुष्ठान अपने पितरों को (उच्च लोकों में जाने हेतु) गति मिले, इस उद्देश्य से किए जाते हैं । शास्त्र कहता है कि उसके लिए ‘प्रत्येक व्यक्ति अपनी वार्षिक आय का १/१० (एक दशांश) व्यय करे’ । यथाशक्ति भी व्यय किया जा सकता है ।

श्राद्ध में उपयोग की जानेवाली वस्तुओं का अध्यात्मशास्त्रीय महत्त्व

श्राद्ध में दर्भ (कुश), काला तिल, अक्षत, तुलसी, भृंगराज (भंगरैया) आदि वस्तुओं का उपयोग किया जाता है ।

गोपाष्टमी – गो पूजन का एक पवित्र दिन

गोपाष्टमी, ब्रज में भारतीय संस्कृति  का एक प्रमुख पर्व है।  गायों  की रक्षा करने के कारण भगवान श्री कृष्ण जी का अतिप्रिय नाम ‘गोविन्द’ पड़ा। 

श्राद्धविधि : इतिहास, महत्त्व एवं लाभ

इहलोक छोड गए हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए जो कुछ किया, वह उन्हें लौटाना असंभव है । पूर्ण श्रद्धा से उनके लिए जो किया जाता है, उसे ‘श्राद्ध’ कहते हैं ।

ओणम

ओणम केरल का एक प्रमुख त्योहार है। ओणम केरल का एक पर्व है। दक्षिण भारत के अहम पर्वों में से एक है ओणम। इस पर्व में दक्षिण भारत की परंपरा के पूर्ण दर्शन होते हैं।

हरियाली तीज

हरियाली तीज श्रावण के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है । इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला (बिना पानी के) व्रत रखती हैं।

बैसाखी

बैसाखी एक राष्ट्रीय त्योहार है । इस त्यौहार को उत्तर भारत में विशेषकर पंजाब एवं हरियाणा में मनाया जाता है। बैसाखी त्यौहार अप्रैल माह में तब मनाया जाता है, जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है। 

राधा कुंड

कार्तिक अष्टमी का ये पर्व यहां प्राचीन काल से मनाया जाता है । राधा कुंड से सम्बंधित प्रचलित कथा के अनुसार कंस ने भगवान श्रीकृष्ण का वध करने के लिए अरिष्टासुर नामक दैत्य को भेजा था ।