उत्तराखंड में कसारदेवी मंदिर के क्षेत्र की भू-गर्भीय तरंगों का नासा द्वारा संशोधन !

अल्मोडा (उत्तराखंड) इस जिले में कसारदेवी मंदिर की शक्ति के कारण विज्ञानवादी चकित हो गए हैं ।

हिमाचल प्रदेश में ‘भलेई माता मंदिर’

शिमला, हिमाचल प्रदेश में स्थित ‘भलेई माता मंदिर’ के विषय में वहां के भक्तों की श्रद्धा है कि यहां की देवी की मूर्ति से जब पसीना निकलता है, तब पूजक की मनोकामना पूर्ण होती है ।

५१ शक्तिपीठों में से एक बांगलादेश के सीताकुंड गांव के (जि. चितगाव) भवानीदेवी का मंदिर !

चितगांव जिले में निसर्गरम्य स्थान पर पहाडी की तलहटी में बसे सीताकुंड नामक गांव में एक शक्तिपीठ है । यहां की दुर्गादेवी को भवानी देवी कहते हैं । सीताकुंड में माता सती का दायां हाथ गिरा था ।

महाकवि कालिदास को दिव्य ज्ञान प्रदान करनेवाली उज्जैन (मध्य प्रदेश) की श्री गढकालिकादेवी

लोककथानुसार शाकुंतलम, मेघदूत आदि ग्रंथों के रचयिता तथा सम्राट विक्रमादित्य की सभामंडल के नवरत्नों में से एक प्रमुख रत्न (प्रमुख व्यक्ति) महाकवि कालिदास की श्री गढकालिकादेवी, इष्ट देवी (उपासनादेवी) मानी जाती है ।

५१ शक्तिपीठोंमें से एक पाटलीपुत्र (पटना) के बडी और छोटी पटनदेवी के मंदिर

पटना (बिहार) में पटन देवी के २ मंदिर हैं । बडी पटन देवी और छोटी पटन देवी ! मान सिंह नामक राजा ने पहले पश्चिम द्वार से प्रवेश किया, इसलिए मंदिर ‘बडी पटन देवी मंदिर’ कहलाया । तत्पश्चात पूर्वद्वार से आकर मंदिर देखा, इसलिए वह छोटी पटनदेवी का मंदिर कहलाया ।

कवळे, गोवा का नयनमनोहर एवं जागृत श्री शांतादुर्गा देवस्थान !

मां जगदंबा का एक रूप है, गोवा राज्य के फोंडा तहसील में स्थित कवळे ग्राम की श्री शांतादुर्गादेवी ! यह गोवा का अत्यंत प्राचीन, जागृत तथा विख्यात मंदिर है । श्री शांतादुर्गादेवी तथा देवी के अन्य रूपों के संदर्भ में विस्तृतरूप से हम समझ लेंगे ।

विजयवाडा (आंध्र) प्रदेश का कनकदुर्गा मंदिर

आंध्र प्रदेश के कृष्णा नदी के तटपर बंसा हुआ बडा नगर है ‘विजयवाडा’ ! यहां कृष्णातटपर इंद्रकीलादी नामक पर्वत है, जहां ऋषिमुनियों ने तपश्चर्या की थी ।

भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करनेवली कश्मीर की श्री खीर भवानीदेवी !

श्रीनगर से ३० कि.मी. की दूरीपर स्थित तुल्लमुल्ल का सुप्रसिद्ध श्री खीर भवानीदेवी का मंदिर ! कश्मीर के गंदेरबल जनपद में स्थित यह मंदिर हिन्दुओं के लिए महत्त्वपूर्ण स्थान है ।

महाराष्ट्र की इष्टदेवता एवं भक्ततारिणी तुळजापुर (जनपद धाराशिव) की श्री तुळजाभवानी देवी

कृतयुग में अनुभूति हेतु, त्रेतायुग में श्रीरामचंद्र हेतु, द्वापरयुग में धर्मराज हेतु तथा कलियुग में छत्रपति शिवाजी महाराज के लिए आशीर्वादरूप प्रमाणित श्री भवानीदेवी भक्ततारिणी एवं वरप्रसादिनी है ।