कुछ देवियों की उपासना की विशेषताएं

अंबाबाई एवं तुळजाभवानी ये जिनकी कुलदेवता होती हैं, उनके घर विवाह जैसी विधि के पश्चात देवी की स्तुति करते हैं । कुछ लोगों के यहां विवाह जैसे कार्य निर्विघ्न होने हेतु सत्यनारायण की पूजा करते हैं

देवीकी उपासना

पढीएं देवीमांको विशिष्ट फूल चढानेका शास्त्रीय आधार, देवीपूजनमें निषिद्ध फूल, देवीमांके लिए नैवेद्य बनाना, देवी मांकी आरती ।

अर्धनारीश्वर शिवलिंग : शिवलिंग के दोनों भागों के बीच अपनेआप घटती-बढती हैं दूरियां

इसे विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर माना जाता है, जहां शिवलिंग दो भागों में बंटा हुअा है। मां पार्वती और भगवान शिवजी के दो विभिन्न रूपों में बंटे शिवलिंग में ग्रहों और नक्षत्रों के परिवर्तन के अनुसार इनके दोनों भागों के मध्य का अंतर घटता-बढता रहता है।

पाकिस्तानी सेना को धूल चटाने वाला जैसलमेर स्थित मां घंटीयाली का मंदिर…

जैसलमैर से १२० किलोमीटर दूर और माता तनोट मंदिर से ५ किलोमीटर पहले माता घंटीयाली का दरबार है। माता घंटीयाली और माता तनोट की पूजा बीएसएफ के सिपाही ही करते हैं। १९६५ की जंग में माता का ऐसा चमत्कार दिखा कि पाकिस्तानी सेना वहीं ढेर हो गई।

भगवान श्रीकृष्ण की विशेषताएं एवं कार्य

श्रीकृष्ण द्वारा बताया हुआ तत्त्वज्ञान गीता में दिया है । उन्होंने अपने तत्त्वज्ञान में प्रवृत्ति (सांसारिक विषयों के प्रति आसक्ति) एवं निवृत्ति (सांसारिक विषयों के प्रति विरक्ति) के बीच योग्य संयोजन दर्शाया है ।

रामायण जीवन जीने की सबसे उत्तम शिक्षा देती है ।

रामकथा भोग की नहीं त्याग की कथा हैं । यहां त्याग की प्रतियोगिता चल रही हैं और सभी प्रथम हैं, कोई पीछे नहीं रहा ।चारों भाइयों का प्रेम और त्याग एक दूसरे के प्रति अद्भुत-अभिनव और अलौकिक है ।

रामायण के प्रसंगों के संदर्भ में शंका निरसन

लंकाकांड के बातों से हम समझ सकते हैं कि रावण की बुद्धि को अहंकार तथा अभिमान ने संपूर्णत: ग्रसित कर लिया था । इस कारण रामसेतु बनने का समाचार सुनने पर भी रावण ने कुछ नहीं किया ।

भगवान दत्तात्रेयके जन्मका इतिहास एवं कुछ नाम

दत्त अर्थात वह जिसने निर्गुणकी अनुभूति प्राप्त की है; वह जिसे यह अनुभूति प्रदान की गई है कि ‘मैं ब्रह्म ही हूं, मुक्त ही हूं, आत्मा ही हूं ।’ भक्तोंका चिंतन करनेवाले अर्थात भक्तोंके शुभचिंतक श्री गुरुदेव दत्त हैं ।

भगवान दत्तात्रेयके गुरु एवं उपगुरु

जगतकी प्रत्येक वस्तु ही गुरु है; क्योंकि प्रत्येक वस्तुसे कुछ न कुछ सीखा जा सकता है । बुराईसे हम सीखते हैं कि कौनसे दुर्गुणोंका परित्याग करना चाहिए तथा अच्छाईसे यह शिक्षा मिलती है कि कौनसे सद्गुण अपनाने चाहिए ।