दीपज्योति नमोस्तुते
पुरातन काल से ही दीप को सर्वत्र आदर एवं श्रद्धा का स्थान है । आज भले ही बिजली के आधुनिक उपकरणों से सर्वत्र रोशनाई की जगमगाहट होती हो; परंतु जो तेज दीप में है, वह उस कृत्रिम जगमगाहट में तनिक भी नहीं होता ।
पुरातन काल से ही दीप को सर्वत्र आदर एवं श्रद्धा का स्थान है । आज भले ही बिजली के आधुनिक उपकरणों से सर्वत्र रोशनाई की जगमगाहट होती हो; परंतु जो तेज दीप में है, वह उस कृत्रिम जगमगाहट में तनिक भी नहीं होता ।
‘आज के काल अनुसार कौनसा नामजप करना चाहिए ?, इसका अध्यात्मशास्त्र की दृष्टि से अध्ययन कर महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय ने विविध नामजप ध्वनिमुद्रित किए हैं । इन नामजपों का महत्त्व, विशेषताएं, नामजप करने की पद्धति, साथ ही देवता का नामजप अध्यात्मशास्त्र की दृष्टि से उचित होना क्यों आवश्यक है ?, इस विषय में यहां जानकारी दे रहे हैं ।
गुरुकृपा से यहां दिए गए जप से विश्व के सभी को लाभान्वित होकर ओमिक्रॉन विषाणु का विश्वभर का प्रभाव नियंत्रित हों और उसका प्रसार रुक जाएं, एवं यह नामजप करने के निमित्त से अनेकों को इस आपातकाल में साधना करने की गंभीरता ध्यान में आकर उनके द्वारा साधना आरंभ हों, यही श्रीगुरुचरणों में प्रार्थना !
‘मन जब तक कार्यरत है तब तक मनोलय नहीं होता । मन निर्विचार करने हेतु स्वभावदोष-निर्मूलन, अहं-निर्मूलन, भावजागृति इत्यादि कितने भी प्रयास किए, तो भी मन कार्यरत रहता है । उसी प्रकार किसी देवता का नामजप अखंड किया, तो भी मन कार्यरत रहता है और मन में देवता की स्मृति, भाव इत्यादि आते हैं ।
कोई भी कार्य कालानुसार करने से अधिक लाभ होता है । ‘कालानुसार देवता के तारक और मारक तत्त्व का किस ढंग से नामजप करने पर अधिक लाभ होता है’, इस विषय में अध्यात्मशास्त्रीय अध्ययन कर, कुछ देवताओं के नामजप का अभिलेखन (रिकार्डिंग) किया गया है ।
श्री गणेश के दो स्तोत्रों से सभी परिचित हैं । उनमें से एक है संकष्टनाशन स्तोत्र’ ।
दुर्गा सप्तशती (श्री सप्तश्लोकी दुर्गा) इस स्तोत्र के विषय में जान लेते हैं ।
साधकों के सगुण स्तर पर रक्षा होने के लिए उन्हें कालानुसार देवी से भावपूर्ण प्रार्थना करनी चाहिए ।
कोरोना विषाणुओं के विरुद्ध स्वयं में प्रतिरोधक शक्ति बढाने के लिए चिकित्सकीय सुझाव और चिकित्सा के साथ ही ईश्वर द्वारा सुझाए गए इन ३ देवतातत्त्वों के अनुपात के अनुसार निम्नांकित नामजप तैयार हुआ ।