प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ नियतकालिक सनातन प्रभातके माध्यमसे पत्रकारिताका कार्य

१. प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ नियतकालिक सनातन प्रभात

१ अ. सनातन प्रभातके संस्थापक-सम्पादक !

हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना का सन्देश प्रसारित करनेके लिए परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीने अप्रैल १९९८ से सनातन प्रभात नियतकालिक प्रारम्भ किए । समाज, राष्ट्र और धर्म के हितका दृष्टिकोण देनेवाले इन नियतकालिकोंकी प्रेरणासे अनेक लोग राष्ट्र और धर्म रक्षाका कार्य तथा साधना भी करने लगे हैं । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी सनातन प्रभात नियतकालिक समूहके संस्थापक सम्पादक हैं । वर्तमानमें आर्थिक हानि सहते हुए भी मराठी दैनिक (४ संस्करण – मुंबई, गोवा, रत्नागिरी और पश्‍चिम महाराष्ट्र), मराठी और कन्नड साप्ताहिक, हिन्दी तथा अंग्रेजी पाक्षिक और गुजराती मासिक प्रकाशित किए जाते हैं ।

राष्ट्र और धर्म की जागृतिके लिए एक साथ
दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक
चलानेवाले एकमात्र सन्त परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

१ आ. सनातन प्रभात प्रकाशित करनेके उद्देश्य

१. समाज, राष्ट्र और धर्म की रक्षाके लिए हिन्दुआेंमें जागृति करना

२. हिन्दुआेंको धर्मशिक्षा देना और धर्मद्रोही विचारोंका खण्डन करना

३. हिन्दू राष्ट्रकी स्थापनाके लिए आवश्यक वैचारिक दिशा देना

१ इ. सनातन प्रभातकी पत्रकारिताकी विशेषताएं

१ इ १. प्रत्येक समाचार सहित दृष्टिकोणात्मक सम्पादकीय टिप्पणी देनेकी अभिनव पद्धति

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी सनातन प्रभातके सम्पादक पदपर थे तब उन्होंने संसारमें विविध घटनाएं, साथ ही समाज, राष्ट्र और धर्मसम्बन्धी घटनाआेंके समाचारोंसे सम्बन्धित समाज, राष्ट्र और धर्म के हितके दृष्टिकोणकी सम्पादकीय टिप्पणी देनेकी अभिनव पद्धति पहल ही अंकसे प्रारम्भ की । इसलिए प्रत्येक समाचारसहित सम्पादकीय दृष्टिकोण देनेवाला सनातन प्रभात संसारका एकमात्र नियतकालिक सिद्ध हुआ है ।

१ इ २. पाठकोंको क्रियाशील बनानेवाला लेखन

सनातन प्रभातमें प्रकाशित किए जानेवाले लेख और स्तम्भ पाठकसंख्या बढानेके लिए नहीं होते, अपितु पाठकोंकी व्यष्टि और समष्टि साधना अच्छी होने तथा उन्हें राष्ट्र और धर्म कार्य करनेकी दिशा देने हेतु होते हैं । – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले (४.४.२०१७)

१ इ ३. व्यंगचित्र नहीं, अपितु बोधचित्र

सनातन प्रभातमें प्रकाशित होनेवाले बोधचित्रोंके माध्यमसे परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीने मनोरंजक व्यंगचित्रोंकी अपेक्षा समाजको राष्ट्र और धर्म हितका बोध करानेवाले चित्रोंकी अवधारणा पत्रकारिताके विश्‍वमें पहली बार प्रारम्भ की ।

१ इ ४. केवल समाचार छापनेवाला नहीं, अपितु समाचार निर्माण करनेवाला समाचार-पत्र है सनातन प्रभात ! – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले (२०.३.१९९९)
१ ई. सनातन प्रभात ऑनलाइन संस्करण : SanatanPrabhat.Org
१ उ. सूचना जालके (इण्टरनेट) समाचार-वाहिनी हिन्दू वार्ताके संकल्पक

प्रमुख समाचार-वाहिनियां हिन्दुआेंपर होनेवाले अन्याय और अत्याचारोंके समाचार प्रसारित नहीं करते । अतः सामान्य हिन्दू धर्मसंकटोंके सम्बन्धमें अनभिज्ञ रहते हैं । यह ध्यानमें आनेके उपरान्त परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीने वर्तमानमें लोकप्रिय सूचना जाल (इण्टरनेट)के माध्यमसे सनातन प्रभातमें प्रकाशित समाचारोंको दृश्यश्रव्य स्वरूपमें प्रसारित करनेकी अवधारणा प्रस्तुत करनेका संकल्प किया । २९ दिसम्बर २०१४ से २९ जनवरी २०१६ की अवधिमें अर्थात १३ मास चले इस उपक्रमद्वारा हिन्दुआेंकी समाचार-वाहिनीकी नींव रची गई । समाजमें योग्य विचार जाने हेतु वे स्वयं हिन्दू वार्ताके समाचार प्रसारणका कार्यक्रम अन्तरजाल (इण्टरनेट) से प्रक्षेपित होनेसे पूर्व देखते थे तथा उसमें आवश्यक सुधार बताते थे । आवश्यक साधन सामग्री और मनुष्यबल बढनेके पश्‍चात यह उपक्रम समाचार-वाहिनीके रूपमें कार्यरत होगा ।

२. सनातन प्रभात नियतकालिक समूह के
संस्थापक संपादक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी

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सनातन प्रभात के माध्यम से पत्रकारिता का कार्य

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परात्पर गुरु डॉ. आठवले, संस्थापक संपादक

हिन्दू राष्ट्र स्थापना का संदेश प्रसारित करने के लिए उन्होंने सनातन प्रभात नियतकालिक आरंभ किए । वे सनातन प्रभात समूह के संस्थापक संपादक हैं । २८ अप्रैल १९९८ से १९ अप्रैल २०००, इस कालखंड में वे संपादक रहे ।

इसके पश्‍चात अन्य सेवाआें के कारण उन्होंने संपादकपद का दायित्व अन्य साधकों को सौंप दिया । समाज, राष्ट्र एवं धर्म के हित का दृष्टिकोण देनेवाले इन नियतकालिकों से प्रेरणा लेकर अनेक लोग राष्ट्र और धर्म रक्षा का कार्य तथा साधना भी करने लगे हैं । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के संस्थापक संपादन में कार्यरत सनातन प्रभात नियतकालिकों के समूह द्वारा आज आर्थिक हानि सहकर भी मराठी दैनिक (मुंबई, गोवा, रत्नागिरी और पश्‍चिम महाराष्ट्र संस्करण), मराठी एवं कन्नड साप्ताहिक, हिन्दी एवं अंग्रेजी पाक्षिक और गुजराती मासिक प्रकाशित किया जाता है ।

 

३. संपादकीय दृष्टिकोण देने की अभिनव पद्धति के जनक

जब वे सनातन प्रभात के संपादक थे, तब उन्होंने प्रत्येक समाचार के साथ में ही उस समाचार से संबंधित समाज, राष्ट्र व धर्म के हित का संपादकीय दृष्टिकोण देने की अभिनव पद्धति आरंभ की । अतः प्रत्येक समाचार के साथ संपादकीय दृष्टिकोण  देनेवाला सनातन प्रभात विश्‍व का एकमात्र नियकालिक सिद्ध हुआ है ।

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एन्बीसी न्यूजमेकर्स द्वारा प्रदत्त उत्कृष्ट मराठी दैनिक २०१२ पुरस्कार के साथ भूतपूर्व समूह संपादक पू. पृथ्वीराज हजारे

दैनिक सनातन प्रभात का आरंभ करते समय वितरण से लेकर संपादकीय विभाग में सेवा करनेवाले साधकों तक किसी को ना तो इसका कोई ज्ञान था ना ही कोई अनुभव ! परंतु हमारे साथ था, परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का संकल्प और आशीर्वाद ! इसीलिए कोई राजनीतिक अथवा आर्थिक समर्थन न होते हुए भी सर्व संकटों का सामना करते हुए तत्त्वनिष्ठता से दैनिक के माध्यम से राष्ट्र और धर्म कार्य जारी रखना संभव हो पाया । कोई पात्रता न होते हुए भी सनातन प्रभात के माध्यम से सेवा का अमूल्य अवसर परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने हमें प्रदान किया । इसके लिए उनके प्रति कितनी भी कृतज्ञता व्यक्त करने से वह अल्प ही होगी ! सनातन प्रभात के विचारों से प्रेरणा लेकर हिन्दू राष्ट्र का स्वतंत्रता संग्राम लडनेवाले क्रांतिवीर निर्माण हों, यही सनातन प्रभात के संस्थापक संपादक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के चरणों में प्रार्थना ! – सनातन प्रभात नियतकालिक समूह में सेवा करनेवाले सर्व साधक

 

४. स्वभाषारक्षा का कार्य और भाषा के अलौकिक आयामों संबंधी शोधकार्य

स्वभाषाभिमान के बिना राष्ट्र और धर्म का कार्य संभव नहीं है, यह ध्यान में आते ही परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने स्वभाषाभिमान और स्वभाषारक्षा का महत्त्व प्रतिपादित करनेवाली ग्रंथमालिका संकलित की । उन्होंने स्वभाषारक्षा नामक ग्रंथमालिका से विदेशी भाषाआें की तुलना में मराठी, हिंदी और देवभाषा संस्कृत की आध्यात्मिक श्रेष्ठता को रेखांकित किया ।

४ अ. भाषाशुद्धि अभियान

मराठी और हिंदी भाषाआें में घुसे अंग्रेजी, उर्दू, फारसी जैसी विदेशी भाषाआें के शब्दों का उपयोग न कर स्वभाषा के संस्कृतनिष्ठ वैकल्पिक शब्द उपयोग में लाए जायं, इसलिए परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने स्वातंत्र्यवीर सावरकर के पश्‍चात खंडित हुआ भाषाशुद्धि अभियान पुन: आरंभ किया । स्वभाषाआें की शुद्धि का अभियान आरंभ करने के साथ-साथ विविध नगरों, वास्तुआें आदि को भी विदेशी आक्रामकों के नाम न हों, इसलिए जनजागृति आरंभ की ।

४ आ. भाषा के अलौकिक आयामों संबंधी शोधकार्य

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के मार्गदर्शन में संस्कृतोद्भूत भारतीय भाषाआें तथा अंग्रेजी का व्यक्ति, पक्षी, प्राणी आदि पर होनेवाला परिणाम, संस्कृत भाषा से होनेवाले आध्यात्मिक उपचार, देवनागरी लिपी की सात्त्विकता जैसे भाषा के अलौकिक आयाम संबंधी शोधकार्य चल रहा है ।

इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी सनातनकी स्वभाषाभिमान वृद्धिंगत करनेवाली ग्रंथमाला में दी है ।

 

५. वैचारिक परिवर्तन के ध्येय से ही सनातन प्रभात की उत्पत्ति !

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वर्ष १९९८ में धर्मनिरपेक्ष वातावरण में हिन्दू विरोध बढ गया, जिससे हिन्दुत्व ढंक गया था । उस समय हिन्दुत्वनिष्ठ विचारों का नियतकालिक प्रारंभ करना, उसे नियमित, सफलतापूर्वक और ध्येयनिष्ठा रखकर चलाना एक बडी चुनौती थी । अब सर्वत्र व्यापक स्तर पर हिन्दुत्व की चर्चा होती है ।

आज अनेक संगठनों के व्यासपीठ से हिन्दू राष्ट्र की मांग की जाती है; परंतु वर्ष १९९८ में प्रस्थापित लोकतंत्र की असफलता समाज के समक्ष प्रस्तुत कर ईश्‍वरीय राज्य की स्थापना का अर्थात आदर्श राज्य का ध्येय समाज के समक्ष रखना शिवधनुष्य उठाने के समान कठिन था । वह शिवधनुष्य उठाया सनातन संस्था के परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने ! वर्ष १९९० से अध्यात्मप्रसार का कार्य करते समय हुए अनेक खट्टे-मीठे प्रसंग अनुभव करने के पश्‍चात परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को प्रकर्षता से एक बात का भान हुआ । वह यह कि वर्तमान काल में सनातन हिन्दू धर्म का पक्ष रखनेवाला, धर्म के तत्त्वों को जागृत करनेवाला और समाज को धर्माचरण हेतु प्रेरित करनेवाला एक भी नियतकालिक नहीं है । उस समय समाज में किसी राजनीतिक दल का प्रचार करने के लिए, विरोधियों की आलोचना करने के लिए या बडे-बडे उद्योगपतियों का काला धन श्‍वेत करने के लिए प्रकाशित किए जानेवाले दैनिक समाचारपत्रों का बोलबाला था । इस वैचारिक परिवर्तन के ध्येय से ही सनातन प्रभात की उत्पत्ति हुई । उस समय सनातन का अध्यात्मप्रसार, विविध विषयों पर आध्यात्मिक ग्रंथ लिखना आदि कार्य चल रहा था । संस्थापक संपादक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा सनातन प्रभात के सामने रखा ईश्‍वरीय राज्य की स्थापना का ध्येय और सनातन का कार्य परस्पर पूरक ही था । कालांतर से ईश्‍वरीय राज्य को ही हम हिन्दू राष्ट्र (सनातन धर्म राज्य) कहने लगे । सनातन संस्था और सनातन प्रभात नियतकालिक परस्पर पूरक ध्येय से प्रेरित हैं । इसलिए वह अब पूरे संसार के हिन्दुत्वनिष्ठों का व्यासपीठ बन गया है ।

६. राष्ट्र और धर्म के लिए किए गए
आंदोलनों को सनातन प्रभात का वैचारिक बल !

सनातन की पत्रकारिता सनातन प्रभात नियतकालिकों में प्रस्तुत की गई प्रत्येक घटना और उस दृष्टि से वास्तविकता की ओर देखने के सनातन के दृष्टिकोण के मध्य संबंध सूचित करनेवाला धागा है । गत २५ वर्षों में घटी विविध प्रकार की घटनाआें में धर्मनिष्ठ दृष्टिकोण देकर सनातन ने सनातन प्रभात का सदैव सहयोग किया है । अभी कुछ समय पहले का उदाहरण देखें, तो शनिशिंगणापुर स्थित शनि के चबूतरे पर महिलाआें के प्रवेश के संदर्भ में सामाजिक वातावरण क्षुब्ध हो गया था । कुछ अपवादों को छोडकर सभी प्रसार माध्यमों ने महिलाआें की अभिव्यक्ति स्वतंत्रता का पक्ष लेते हुए उन्हें चबूतरे पर जाकर दर्शन करने देने संबंधी विचार प्रस्तुत किया था । एकमात्र सनातन प्रभात का दृष्टिकोण इन सबसे अलग था । वह धर्मनिष्ठ था । महिलाआें के सम्मान की रक्षा होनी चाहिए; परंतु उसके साथ ही धर्मपरंपराआें का भी पालन होना चाहिए, ऐसी आग्रही मांग हमने की । उसके लिए पृष्ठभूमि थी, सनातन, हिन्दू जनजागृति समिति सहित अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों द्वारा किए गए आंदोलन की । महिलाआें का शनि के चबूतरे पर चढकर दर्शन करना अनुचित है, यह भूमिका प्रस्तुत करते हुए इन संगठनों ने अनेक धर्मनिष्ठ कारण बताए । उस समय सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति के समाचारों को सनातन प्रभात में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया । यह किसी का पक्ष लेना नहीं था, अपितु धर्म के पक्ष में रहना था । इससे पूर्व भी (अंध)श्रद्धाविरोधी कानून का विरोध करनेवाला आंदोलन हो, सनातन पर प्रस्तावित प्रतिबंध की मांग हो अथवा सनातन की मानहानि का किया गया खंडन हो, सनातन प्रभात ने सदैव सत्य का ही पक्ष लिया । किसी भी आंदोलन को सफल बनाने के लिए समाज को वैचारिक बल देना आवश्यक होता है । ऐसे वैचारिक प्रबोधन द्वारा अर्थात ईश्‍वरीय अधिष्ठान रखकर किया गया संघर्ष ही व्यापक और चिरकाल तक परिणामकारक सिद्ध होता है । सनातन और अन्य समविचारी हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के आंदोलन को वैचारिक बल देने का कार्य सनातन प्रभात करता आया है ।

७. समाजजीवन का अध्यात्मीकरण करने का दायित्व सनातन प्रभात का !

संगठन के समष्टि कार्य के साथ ही सनातन प्रभात और सनातन में एक अन्य समान धागा है व्यष्टि साधना ! सनातन प्रभात हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का ध्येय रखकर मार्गक्रमण कर रहा है । इस हिन्दू राष्ट्र में साधक और सज्जन रहेंगे, ऐसा हम बार-बार कहते हैं । स्वयं के अंतरंग में रामराज्य स्थापित होने के पश्‍चात ही समाज में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी । इसलिए समाज के अंतरंग में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करने का दायित्व सनातन प्रभात ने अपना लिया है । इसके लिए सनातन द्वारा बताई गई साधना प्रसारित करने का कार्य सनातन प्रभात करता है । दैनिक सनातन प्रभात में पूरे संसार के साधकों को साधना करते समय हुई अनुभूतियां, धर्मप्रसार करते समय हुए अनुभव तथा साधना में प्रगति करनेवाले साधकों के गुण-विशेषता आदि संबंधी लेख नियमित प्रकाशित किए जाते हैं । हमें समाज को भोगवादी नहीं बनाना है; संतों का आदर्श सामने रख साधना करनेवाले हिन्दू राष्ट्र के लिए पोषक साधक बनाने हैं । हितचिंतक, पाठक और अखिल हिन्दू समाज के जीवन का अध्यात्मीकरण करना है । यह कार्य सनातन के सहयोग से निरंतर चल रहा है ।

८. सनातन संस्था और सनातन प्रभात
के अथक प्रयासों से हिन्दू राष्ट्र साकार होगा !

हिन्दू राष्ट्र स्थापना के हमारे कार्य को सनातन का कार्य बल देता है । इसलिए आज सनातन की रजत महोत्सव के निमित्त हमें विशेष प्रसन्नता हो रही है । केवल २५ वर्षों में सनातन ने जो कार्य किया है, उसके समक्ष हम नतमस्तक हैं । सनातन के ध्येयनिष्ठ मार्गक्रमण के हम साक्षी हैं । इसलिए हम यह विश्‍वासपूर्वक कह सकते हैं कि सनातन परिवार और सनातन प्रभात के अथक प्रयासों से ही हिन्दू राष्ट्र साकार होगा ।

स्रोत : पाक्षिक सनातन प्रभात एवम् सनातन-निर्मित ग्रंथ ‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीके सर्वांगीण कार्यका संक्षिप्त परिचय’

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