धर्मशास्त्र समझकर गणेशोत्सव मनाएं एवं आध्यात्मिक दृष्टि से उत्सव का लाभ उठाएं ! – विवेक पेंडसे, सनातन संस्था

गोवा दूरदर्शन पर लाइव फोन इन
कार्यक्रम में गणेशोत्सव का धर्मशास्त्र संबंधी उद्बोधन!

सनातन संस्था का प्रमुख सहभाग

श्री. विवेक पेंडसे

पणजी – सनातन के साधक श्री. विवेक पेंडसे ने गोवा दूरदर्शन पर लाइव फोन इन कार्यक्रम में गणेशोत्सव का धर्मशास्त्र संबंधी जानकारी देते हुए आवाहन किया कि धर्मशास्त्र समझकर गणेशोत्सव मनाना चाहिए आैर आध्यात्मिक दृष्टि से उत्सव का लाभ उठाना चाहिए ।

गोवा दूरदर्शन पर्यावरण, स्वास्थ्य, महिलाआेंकी सुरक्षा, शिक्षा, उत्सव आदि अनेक विषयों पर समाज से सीधे संवाद करने के लिए लाइव फोन इन कार्यक्रम का आयोजन करता है । इस कार्यक्रम में संबंधित क्षेत्र के गणमान्य व्यक्तियों को निमंत्रित किया जाता है । विज्ञान ने आज शीघ्र प्रगति की है । इसका परिणाम प्रत्येक त्यौहार पर दिखार्इ देता है । इसलिए योग्य आैर अयोग्य क्या है, यह निश्चित करने की आज आवश्यकता है । इसके लिए गणेशोत्सव की पृष्ठभूमि पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था ।. गणेशभक्तों की आेर से श्रीमती शुभा सावंत ने श्री. विवेक पेंडसे को गणेशोत्सव के संबंध में अनेक प्रश्न पूछकर भक्तों के मन में गणेशोत्सव के शास्त्र के संबंध में आनेवाली शंकाआें का समाधान किया । अनेक भक्तों ने फोन द्वारा कार्यक्रम में गणेशोत्सव के संबंध में प्रश्न किए तथा श्री. विवेक पेंडसे ने उनके उत्तर दिए ।

इस अवसर पर श्री. विवेक पेंडसे ने निम्नांकित सूत्रों के संबंध में जानकारी दी ।

१. कागदी लुगदी से बनी मूर्ति अशास्त्रीय आैर पर्यावरण के लिए हानिकारक क्यों ?

२. प्लास्टर ऑफ पैरिस की श्री गणेशमूर्ति की पूजा करना योग्य है क्या ?

३. श्री गणेश की मूर्ति डेढ दिन पश्चात विसर्जित करने का क्या कारण है ?

४. किसी भी कार्य के प्रारंभ में गणपति का पूजन क्यों करते हैं ?

५. विविध वस्तुआें से गणपति कि मूर्ति बनाना अयोग्य क्यों ?

६. दार्इं आैर बार्इं सूंड के गणपति में भेद !

७. लाल फूल एवं दूर्वा श्री गणेश को चढाने का शास्त्र !

८. गणपति को २१ मोदक चढाने का अंकशास्त्र !

९. मूर्ति भंग होने पर क्या करें ?

१०. शास्त्रानुसार श्री गणेशमूर्ति का विसर्जन बहते पानी में करना योग्य कैसे ?

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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