मुझफ्फरपुर (बिहार) – मुझफ्फरपुर बार असोसिएशन में आयोजित कार्यक्रम में सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस वक्तव्य कर रहे थे । अपने वक्तव्य में उन्होंने यह प्रतिपादित किया कि, ‘आज भी भारत में ‘इंडियन पीनल कोड १८६०’ यह अधिनियम पारित है । यह अधिनियम मूलतः अंग्रेजों ने भारत में पुनः वर्ष १८५७ के समान उठाव न हो, इसलिए क्रांतिकारकों पर अंकुश रखने हेतु पारित किया था । उस अधिनियम से गांधी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस इत्यादि सभी को अपराधी सिद्ध किया गया था । वही अधिनियम आज भी पारित रहना आश्चर्यजनक बात है । भारत में अधिनियम पारित करनेवाली संसद में अनेक अशिक्षित लोग चुने जाने के कारण भारत के नए अधिनियम भी सदोष होने की संभावना अस्वीकृत करना अनुचित होगा । इस संदर्भ का अधिनियम तथा संविधान के संदर्भ में ज्ञानी अधिवक्ताओं को प्रबोधन करना चाहिए ।’ इस कार्यक्रम के लिए ३१ अधिवक्ताएं उपस्थित थे । उस समय हिन्दू जनजागृति समिति के पूर्व भारत के मार्गदर्शन पू. नीलेश सिंगबाळ ने ‘जीवन में साधना का महत्त्व’ इस विषय पर मार्गदर्शन किया । इस बैठक के पश्चात् अधिवताओं के लिए ‘बार असोसिएशन’में प्रतिमाह धर्मशिक्षण वर्ग आरंभ करने का निश्चित किया गया ।
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अधिवक्ताओं संविधान की त्रुटियों के संदर्भ में प्रबोधन करें ! – चेतन राजहंस, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था
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