पुण्यनदी गोदावरी

पुण्यनदी गोदावरी, हिन्दू संस्कृति की एक ऐतिहासिक और समृद्ध धरोहर है ! इस पुण्यसलिला के तट पर सनातन धर्म की संस्कृति का विकास हुआ ।गोदावरी का इतिहास, उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय संस्कृतियों के संगम का इतिहास है ।

ग्रंथराज दासबोध

समर्थ रामदास स्वामी ने ग्रंथ दासबोध का लेखन उनके शिष्य कल्याण स्वामी ने किया था । दासबोध का प्रत्येक समास ऐसा लगता है, जैसे वह प्रत्येक मनुष्यजन्म के अनुभवों की गठरी हो, इतना उसमें जीवनसंदेश ओतप्रोत भरा है ।

श्रीक्षेत्र राक्षसभुवन के पांचालेश्‍वर मंदिर का इतिहास एवं महिमा

महाराष्ट्र के बीड जनपद के गेवराई तहसील में स्थित श्रीक्षेत्र राक्षसभुवन में गोदावरी में श्री पांचालेश्वर मंदिर है ।

अध्यात्मप्रसार

समाज की सात्त्विकता बढाने के लिए आज सहस्रों साधक संस्था के मार्गदर्शन में तन, मन, धन का त्याग कर समाज में अध्यात्मशास्त्र का प्रसार कर रहे हैं ।

सर्वत्र बढते जा रहे ‘कोरोना’के प्रकोप के कारण भयभीत न होकर निम्‍नांकित स्‍वसूचनाएं देकर आत्‍मबल बढाएं !

‘आजकल भारत के साथ अन्य कुछ देशों में भी संक्रमणकारी विषाणु ‘कोरोना’का प्रकोप हुआ है । इसके कारण सर्वत्र का जनजीवन अस्तव्यस्त होकर सर्वसामान्य नागरिकों में भय का वातावरण है ।

महाकवि कालिदास को दिव्य ज्ञान प्रदान करनेवाली उज्जैन (मध्य प्रदेश) की श्री गढकालिकादेवी

लोककथानुसार शाकुंतलम, मेघदूत आदि ग्रंथों के रचयिता तथा सम्राट विक्रमादित्य की सभामंडल के नवरत्नों में से एक प्रमुख रत्न (प्रमुख व्यक्ति) महाकवि कालिदास की श्री गढकालिकादेवी, इष्ट देवी (उपासनादेवी) मानी जाती है ।

५१ शक्तिपीठोंमें से एक पाटलीपुत्र (पटना) के बडी और छोटी पटनदेवी के मंदिर

पटना (बिहार) में पटन देवी के २ मंदिर हैं । बडी पटन देवी और छोटी पटन देवी ! मान सिंह नामक राजा ने पहले पश्चिम द्वार से प्रवेश किया, इसलिए मंदिर ‘बडी पटन देवी मंदिर’ कहलाया । तत्पश्चात पूर्वद्वार से आकर मंदिर देखा, इसलिए वह छोटी पटनदेवी का मंदिर कहलाया ।

निरपेक्षता, त्यागी वृत्ति और संसार में रहकर साधना करनेवाले, इसके साथ ही इंग्लैंड में वास्तव्य करनेवाली श्रीमती कैलाशकुमारी महेशचंद्र सोलंकी (वय ६७ वर्ष) संतपद पर विराजमान !

मडगांव (गोवा) के सनातन संस्था के साधक डॉ. मनोज सोलंकी की मौसी, श्रीमती कैलाशकुमारी सोलंकी ने संतपद प्राप्त करने की घोषणा रामनाथी, गोवा के सनातन के आश्रम में १५ मार्च को हुए एक कार्यक्रम में हुई ।

श्रीक्षेत्र राक्षसभुवन का आदि दत्तपीठ : वरद दत्तात्रेय मंदिर !

महाराष्ट्र के बीड जनपद के गेवराई तहसील में गोदावरी नदी के दक्षिण तट पर बसा एक पवित्र दत्तपीठ !! जो अब ‘श्री राक्षसभुवन’ के नाम से जाना जाता है ।

श्रीपाद श्रीवल्लभ के निवास से पावन हुआ कर्नाटक का जागृत तीर्थस्थान कुरवपुर

कर्नाटक के रायचुर जनपद में बसा अत्यंत जागृत तीर्थस्थान ! कृष्णा नदी के मध्य में बसे प्राकृतिक द्वीपपर श्रीपाद श्रीवल्लभजीने १४ वर्ष निवास किया था ।