‘सनातन डॉट ऑर्ग’ जालस्थल के मलयालम भाषा का तेलंगाना चिलकूर बालाजी मंदिर के मुख्य पुजारी सी. एस. रंगराजन के करकमलों से लोकार्पण

सनातन संस्था के सनातन डॉट ऑर्ग जालस्थल का  मलयालम भाषा में लोकार्पण तेलंगाना चिलकूर बालाजी ‘मंदिर के मुख्य पुजारी श्री. सी.एस. रंगराजन के करकमलों द्वारा २८ जून को मंदिरों का नियंत्रण धर्मनिरपेक्ष सरकार के हाथों में क्यों ?’, इस विषय पर ‘ऑनलाइन’ परिसंवाद में संपन्न हुआ ।

फेसबुक लाइव में ‘परिचय संतों का…’ में उजागर हुआ ‘परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी का अलौकिक कार्य !’

श्री. राजहंस ने उपस्थित जिज्ञासुओं को श्री विठ्ठल एवं वारी के संदर्भ में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा रखे गए शास्त्रीय ज्ञान से अवगत कराया ।

वर्तमान में ‘तनाव और उपाय’ इस विषय पर ‘ऑनलाईन पत्रकार संवाद’ कार्यक्रम में सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस का पत्रकारों को मार्गदर्शन

सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से २७ जून को वर्तमानस्थिति में ‘तनाव और उपाय’ इस विषय पर पत्रकारों के लिए ‘ऑनलाईन पत्रकार संवाद’ आयोजित किया गया था ।

हनुमानजी की सेवा और भक्ति का अद्वितीय उदाहरण

आज तक जहां राम-नाम का स्मरण होता है, जहां रामकथा होती है, वहा साधकों को मदद करने के लिए हनुमानजी सूक्ष्मरूप से उपस्थित रहते हैं ।

गणेशोत्सव की पार्श्‍वभूमि पर सामाजिक जालस्थलों के माध्यम से धर्मद्रोही आवाहन !

श्रीगणेश को फल-फूल और नैवेद्य अर्पण करने के पीछे शास्त्र और उसके आध्यात्मिक लाभ जाने बिना शास्त्र विरोधी आवाहन करने से धर्म की हानि होती है और पाप भी लगता है ।

अंनिस, समान संगठनों और प्रगतिवादियों द्वारा वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य की आलोचना

२० अगस्त को अंनिस जैसे संगठन, इसके साथ ही आधुनिकतावादियों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण दिन मनाया जाता है । उसी पार्श्वभूमि पर १९ अगस्त को एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था । उस कार्यक्रम में उपस्थित सभी वक्ताओं ने टीका और बुद्धिभेद करनेवाले मत प्रस्तुत किए ।

जातपंचायत आवश्यक या अनावश्यक ?

नंदुरबार जिले के कांजारभाट समाज की एक विधवा पर अनैतिक संबंध का आरोप कर उसे नग्न करने का दंड देने की जातपंचायत के निर्णय के कारण प्रसारमाध्यमों में जातपंचायत आवश्यक अथवा अनावश्यक ?, इस विषय पर चर्चा हो रही थी । इस संदर्भ में सनातन का दृष्टिकोण आगे दिए अनुसार है ।

मनुष्यजीवन का कारण क्या है ?

मनुष्य का पुनः-पुनः जन्म होने के विविध कारण है । इसके दो प्रमुख कारण हैं – पहला कारण है प्रारब्ध अर्थात पिछले जन्म में किए अच्छे-बुरे कर्मों को भुगतना और सामान्य जीवनयापन करना ।

‘अध्यात्म’ का वास्तविक अर्थ क्या है ?

अध्यात्म, यह शब्द अधि + आत्मन् अर्थात आत्मा को समझने का जो शास्त्र है, उसे अध्यात्म कहते हैं । यह एकमात्र शास्त्र ऐसा है जो मनुष्य को किसी भी स्थिति में आनंद में कैसे रहें, यह सिखाता है ।