हिन्दू संस्कृति की रक्षा हेतु धर्माचरण तथा साधना की आवश्यकता ! – कु. पूनम शर्मा, सनातन संस्था, विलासपुर

आज जनता को अपनी छोटी-छोटी मांगों के लिए भी आंदोलन चलाने पडते हैं । राजनेता भ्रष्ट हो चुके हैं । शिक्षा का बाजारीकरण हो चुका है ।

सनातन के रामनाथी, गोवा के आश्रम के ध्यानमंदिर में दीपों की विशेषतापूर्ण सजावट

संतश्रेष्ठ ज्ञानेश्वरजी के कथनानुसार दीप चाहे जितना भी छोटा हो; परंतु उसमें संपूर्ण कक्ष को प्रकाशमान करने का सामर्थ्य होता है ।

साक्षीभाव, स्थिरता तथा नम्रता, इन गुणों से युक्त सनातन के आश्रम में रहनेवाले बलभीम येळेगाकर दादाजी ८२वें संत के रूप में संतपदपर विराजमान !

संत पू. (श्रीमती) अश्विनी पवारजी ने आश्रम के साधक श्री. बलभीम येळेगावकर (आयु ८४ वर्ष) संतपदपर विराजमान होने की घोषणा की ।

मनुष्य को २३ पवित्र तीर्थस्थलों के दर्शन का पुण्य प्रदान करनेवाली अमरनाथ यात्रा !

श्री अमरनाथ हिन्दुआें का मुख्य तीर्थक्षेत्र है । प्राचीन काल में उसे अमरेश्वर के नाम से जाना जाता था ।

रामनाथी, गोवा के आश्रम में सौरयाग संपन्न !

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य में उत्पन्न सभी बाधाएं दूर हों तथा इस कार्य में सहभागी साधकोंसहित सभी हिन्दुत्वनिष्ठों के शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक कष्ट दूर हों, साथ ही सभी का आयुवर्धन हो, यह संकल्प लेकर महर्षि भृगुजी की आज्ञा के अनुसार यहां के सनातन के आश्रम में २१ अक्टूबर २०१८ को भावपूर्ण वातावरण में सौरयाग संपन्न हुआ ।

उत्तर प्रदेश के बदायूं के प्राथमिक विद्यालय के प्रांगण में सनातन संस्था की ओर से प्रतिदिन धर्मशास्त्र कथन प्रारंभ

बदायूं (उत्तर प्रदेश) के प्राथमिक विद्यालय, नगला सर्कि के प्रांगण में सुबह ६ बजे प्रतिदिन रामायण का पाठ करनेवाले श्री. भगवान सिंह जी को सनातन संस्था की साधिका श्रीमती माधुरी चौहान ने सनातन संस्था के कार्य एवं उद्देश्य की जानकारी दी ।

नवरात्रि निमित्त ग्रंथप्रदर्शनियों का आयोजन

वाराणसी के शिवपुर स्थित अष्टभुजी माता मंदिर में नवरात्रि के अवसर पर ग्रंथ तथा धर्म शिक्षा देनेवाली फ्लेक्स प्रदर्शनी लगाई गई । जिससे अनेक जिज्ञासु लाभान्वित हुए ।

धनबाद (झारखंड) के शक्ति मंदिर में सनातन संस्था की प्रदर्शनी !

समाज के सभी को धर्मशिक्षा मिले इस महत उद्देश्य को लेकर सनातन संस्था द्वारा देशभर के कई स्थानों में सनातन संस्था द्वारा प्रकाशित ग्रंथ एवं सात्विक उत्पादनों की प्रदर्शनी लगायी जाती है !

साधना समझ लेकर उसके अनुसार आचरण करना ही धर्माचरण है ! – श्रीमती सुनीता पाटिल, सनातन संस्था

हिन्दुआें के लिए ऋषिमुनियों द्वारा किए गए व्यापक अध्ययन का, साथ ही ग्रंथलेखन का कोई महत्त्व नहीं है ।