वास्तविक ‘दूरदर्शिता’ !

‘स्वयं के सुख के लिए दूसरों को दुःख देकर धन का संग्रह करना पाप है; परंतु भविष्यकाल को ध्यान में रखकर उसके लिए अपनी तैयारी उचित प्रकार से करने को ‘दूरदर्शिता’ कहते हैं ‌।’

– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले

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