कृतघ्नता की उच्चतम सीमा !

‘हम मां का दूध पीते हैं, उसी प्रकार गाय का दूध पीते हैं; इसलिए गाय को गौ माता कहते हैं । ऐसे में गाय की ही हत्या करना, मां की हत्या करने के समान ही है । यह कृतघ्नता की उच्चतम सीमा है !’

– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

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