वास्तव में प्रदूषण का निवारण करना है तो पहले मन का प्रदूषण दूर करें !

‘प्रदूषण के विषय में सर्वत्र दिखावा कर जो उपाय किए जाते हैं, वे रोग के मूल पर उपाय करने की अपेक्षा, ऊपरी उपाय करने के समान हैं । प्रदूषण के लिए कारणभूत रज-तम प्रधान मन एवं बुद्धि को साधना से सात्त्विक किए बिना, अर्थात मूलगामी उपाय किए बिना, किए गए ऊपरी उपाय हास्यास्पद हैं । यह वैसे ही है ,जैसे क्षय रोगी को क्षय रोग की औषधि न देते हुए केवल खांसी की औषधि दी जाय !’

– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

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