प.पू. डॉक्टरजीसे आश्रम की स्वच्छता के विषय में एवं अन्य सीखने को मिले हुए सूत्र

अस्वच्छता तथा अव्यवस्थितपन का निवास जहां रहेगा, वहां अनिष्ट शक्तियों का प्रादुर्भाव होना तथा प.पू. डॉक्टरजी ने आश्रम के अनिष्ट स्पंदनदूर करने के लिए स्वयं सफाई करना !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा समय-समय पर दिए गए साधना के विषय में दृष्टिकोण

गुरुपूर्णिमा के दिन गुरुतत्त्व १ सहस्र गुना मात्रा में कार्यरत होने से गुरुपूर्णिमा सभी शिष्य, भक्त एवं साधकों के लिए एक अनोखा पर्व होता है । केवल गुरुकृपा के कारण ही साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की आदर्श जीवन पद्धति !

आश्रम में सैकडों साधक हैं तथा वे प.पू. डॉक्टरजी का प्रत्येक शब्द झेलने के लिए तैयार हैं । तब भी प.पू. डॉक्टरजी कभी किसी भी साधक को स्वयं के काम नहीं बताते । वे अपने सभी काम स्वयं ही करते हैं ।

साधकों को कभी विनोद की भाषा में, तो कभी गंभीरता से अध्यात्म सिखानेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

प.पू. डॉक्टरजी साधकों को विनोद की भाषा में सिखाते हैं । संत और गुरु का वाक्य ब्रह्मवाक्य होता है और वह समष्टि को कुछ सिखाता है ।

अहर्निश सेवारत परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के सत्संग में श्री. रमेश शिंदे द्वारा अनुभव किया गया उनका प्रेम, सीख एवं द्रष्टापन !

प.पू. डॉक्टरजी का (प्रोस्टेट का) शस्त्रकर्म हुआ था । उस समय चिकित्सालय में भी वे ग्रंथ के लेखन संबंधी कागज पढने हेतु मंगवा लेते थे । वहां पर भी वे समय व्यर्थ नहीं गंवाते थे ।

जातिभेद का विषैला कलंक पोंछकर साधनारूपी अमृत देनेवाले प.पू. डॉक्टरजी के चरणों में साधक द्वारा व्यक्त की गई कृतज्ञता !

मेरा जन्म पिछडे वर्ग के वीरशैव ढोर कक्कया जाति में हुआ है । इस जाति के लोगों का मुख्य व्यवसाय जानवरों की चमडी उतारना है ।

प.पू. डॉक्टरजी द्वारा अथक परिश्रम कर की गई ध्वनिचित्रीकरण सेवा और तैयार हुआ संस्था का पहला प्रकाशन प.पू. भक्तराज महाराजजी के गाए हुए भजनों की ऑडियो कैसेट्स !

अब तक मराठी भाषा में ३६, हिन्दी भाषा में ३८० से अधिक, तथा तेलुगु और कन्नड भाषा में हिन्दुआें के त्यौहारों की जानकारी देनेवाली धर्मसत्संगों की दृश्यश्रव्य-चक्रिकाएं बनाई हैं । मराठी, हिन्दी, तेलुगु और कन्नड भाषा के धर्मसत्संगों का १४ चैनलों पर नियमित प्रसारण किया जा रहा है ।

आश्रम के रसोईघर का रूपांतर आदर्श अन्नपूर्णा कक्ष में करते समय परम पूज्य डॉक्टरजी का अथक परिश्रम और सब स्तरों पर सुनियोजन तथा फलोत्पत्ति बढाने हेतु मार्गदर्शन !

प.पू. डॉक्टरजी की अगणित विशेषताआें का संक्षिप्त वर्णन करना हो, तो कहना पडेगा कि वे एक ऐसा व्यक्तित्व हैं, जिसके प्रत्येक कार्य, विचार और निर्णय में सत्यं शिवं सुंदरम का संगम है और जो अवतारी देवत्व की अनुभूति देता है ।

निर्माण-कार्य की सेवा करते समय डॉ. भोसले को परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी से सीखने के लिए मिले अनमोल सूत्र !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी प्रतिदिन सवेरे ७ बजे निर्माण-कार्य का निरीक्षण करने आते थे ।

प्रीति के अथाह सागर परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के विषय में साधक के मन में संग्रहित भावमोति !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी आरंभ में अध्यात्मप्रसार हेतु गोवा आते थे । उस समय गोवा में ५ स्थानों पर सार्वजनिक सभा का नियोजन था ।