‘पचन अच्छा होना’, यह केवल शरीर के लिए ही नहीं, अपितु मन के आरोग्य के लिए भी आवश्यक !
‘एक बार मुझे बहुत निराशा आई थी । दैनंदिन जीवन की भागदौड से मैं इतना ऊब गया था कि मुझे लगने लगा, ‘घर छोडकर मैं कहीं दूर चला जाऊं ।’ तब मैंने अनायास अपने आयुर्वेद के गुरु वैद्य अनंत धर्माधिकारी से संपर्क कर, अपनी मनःस्थिति बताई । इस पर वे बोले,