बडे रोगों पर आयुर्वेद की औषधियां !

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१. हृदयविकार

  • हृदरोग पर उपयोगी वनस्पति : बला (खिरैटी (Sida cordifolia)
  • हृदरोग, दमा, खांसी पर पुष्कर मूल का चूर्ण शहद के साथ लें । बकुली के फूलों का हार पहनें, इसके साथ ही बकुली के छाल का काढा पीएं ।
  • अर्जुन का चूर्ण दूध में उबालकर उसमें घी एवं शक्कर मिलाकर लें । इससे हृदय की आग एवं धडधड रुक जाती है ।
  • अर्जुन चूर्ण ५ से १० ग्राम, इलायची चूर्ण २४० मिलीग्राम दूध पाव लीटर, पानी पाव लीटर लेपर पानी सूखने तक उबालें । १ वर्षभर प्रतिदिन सवेरे लें ।

 

२. हृदयशूल

  • मृगशृंगभस्म २४० मिलीग्राम घी के साथ लें और ऊपर से अर्जुन सिद्ध दूध पीएं ।
  • गंभारी, यह वनस्पति इस पर उपयुक्त है ।

 

३. क्षय (टी.बी.)

  • क्षय की खांसी एवं थूक में रक्त आना
  • अर्जुन एवं रक्तचंदन समभाग चूर्ण लेकर चावल को धोने के लिए उपयोग किए गए पानी के साथ लें ।
  • अर्जुन के चूर्ण को अडुळसा के रस को ७ बार भावित करें (घोटें), तदुपरांत घी, शहद एवं शक्कर के साथ दें ।

(इसके अतिरिक्त इन रोगों पर अनेक औषधियां आयुर्वेद में हैं ।)

 

४. महिलाओं के रोग !

अशोक (Saraca asoca) का गर्भाशय पर अधिक प्रभाव से कार्य होता है । इससे गर्भाशय की शिथिलता नष्ट होती है । गर्भाशय का दाह एवं शूल (वेदना) नष्ट होती है और योनी के मार्ग से अधिक रक्तस्राव हो, तो वह रुक जाता है । अशोक की छाल टूटी हुई हड्डी को जोडने में सहायता करती है ।

अ. माहवारी के समय पेट के निचले भाग में होनेवाली वेदना

अजवायन का चूर्ण मूली के रस के साथ लें ।

आ. कष्टार्तव

माहवारी के समय वेदना हो रही हो तो काट्फल (Myrica esculenta /Box Myrtle) ४८० मिलीग्राम, केशर ६० मिलीग्राम, तिल ३ ग्राम पुरानी गुड में गोली बनाकर गरम पानी के साथ रात में लें ।

इ. माहवारी न आ रही हो अथवा माहवारी के आते समय कष्ट हो रहा हो तो

५०० मिलीग्राम से १ ग्रामत तक, रात्रि में केशर लें ।

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