एलोपैथी की औषधियां लेकर भी ठीक न होनेवाले पेट के विकार आयुर्वेदिक उपचारों से कुछ ही दिनों में पूर्णत: ठीक होना

६ माह एलोपैथी की औषधियां लेकर भी अपचन दूर न होना पिछले १ वर्ष से मुझे अपचन की समस्या है । इस कारण पेट में वायु (गैस) होना, बहुत भूख लगना, अनावश्यक खाना, इस प्रकार के कष्ट होने लगे ।

असहनीय ग्रीष्मकाल को सहनीय बनाने के लिए आयुर्वेदानुसार ऋतुचर्या करें !

‘ग्रीष्मकाल में पसीना बहुत होता है । इससे, त्वचा पर स्थित पसीने की ग्रंथियों के साथ तेल की ग्रंथियां अधिक काम करने लगती हैं, जिससे त्वचा चिपचिपी होती है ।

आयुर्वेद में प्रतिपादित सरल घरेलु औषधियां एलोपैथी से श्रेष्ठ !

अप्रैल २०१४ में सद्गुरु राजेंद्र शिंदेजी ने मुझे नमक पानी के उपचार करने को कहा । उन्होंने कहा, ‘‘रात में सोते समय जीभ के पिछले भाग में जहां गले में खिचखिच होती है, वहां १ चुटकीभर नमक रगडकर ५ मिनट रुककर उसे थूक डालें ।’’

आयुर्वेदानुसार अपनी दिनचर्या बनाएं !

सेब मूलतः भारतीय फल है ही नहीं । अंग्रेज उसे अपने साथ लाए थे । वास्तव में इस फल में ऐसे कोई भी विशेष औषधीय गुणधर्म नहीं हैैं, जो भारतीय फलों में पाए जाते हैं ।

एक्जिमा जैसे त्वचारोगों (‘फंगल इन्फेक्शन’) का सरल उपचार

ऊसंधि (जांघ और पेट के मध्य का भाग), कांख, जांघ और कूल्हों पर जहां पसीने के कारण त्वचा नम रहती है, वहां कभी-कभी खुजली और छोटी-छोटी फुंसियां होती हैं । उनके फैलने से गोल ददोडे (रिंग वर्म) निर्माण होते हैं । इन ददोडों पर आगे दिए दोनों उपचार करें ।

साबुन का उपयोग आरोग्य के लिए हानिकारक

निरोगी शरीर के लिए साबुन न लगाना ही श्रेयस्कर है । साबुन के स्थान पर पिसी हुई चना दाल अथवा मसूर दाल अथवा बमीठे अथवा अच्छे स्थान की छनी मिट्टी का उपयोग करना, अच्छा और सस्ता है ।

गोपियुष : सुदृढ मानवीय शरीर हेतु ईश्‍वरप्रदत्त अनमोल देन !

गोपियुष अर्थात प्रसूती पश्‍चात ४८ से ७२ घंटों में गाय द्वारा प्राप्त प्रथम दूध । गोपियुष और माता द्वारा प्राप्त पियुष में वैज्ञानिक दृष्टि से बहुत सी समानता पाई गई है । गोपियुष में रोगप्रतिकारक शक्ति और शरीर की सुदृढता के लिए आवश्यक ९० से अधिक पोषकतत्त्व हैं । गोपियुष सुदृढ मानवीय शरीर हेतु ईश्‍वरप्रदत्त अनमोल देन है ।

वर्षाकाल में ये सावधानी बरतें !

वर्षाकाल का प्रमुख लक्षण है, भूख मंद होना । भूख मंद होने पर भी पहले जैसा ही आहार लेने से वह अनेक रोगों को आमंत्रित करता है; क्योंकि मंद हुई भूख अथवा पाचनशक्ति अधिकतर विकारों का मूल कारण है ।

फेअरनेस क्रीम आरोग्य के लिए हानिकारक !

प्रत्येक व्यक्ति को लगता है हम गोरे दिखें । इसलिए वह कोई भी उपाय करने के लिए तैयार रहता है । इसके परिणामस्वरूप फेअरनेस क्रीम की भारी मात्रा में मांग है; परंतु त्वचा को गोरा बनानेवाली ये क्रीम व्यक्ति के आरोग्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं और अनेक रोगों के उत्पन्न होने की संभावना है ।