भूतकाल से सीखना, वर्तमान को संवारना और भविष्य में सतर्क रहना, इस त्रिसूत्रीनुसार साधना करें !

साधकों से होनेवाली चूकों अथवा अनुचित विचारों के पीछे उनके स्वभावदोष एवं अहं होते हैं ।

गुरुकृपायोगानुसार करने योग्य साधना का नियम

कर्मयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग आदि किसी भी मार्ग से साधना करने पर भी बिना गुरुकृपा के व्यक्ति को ईश्‍वरप्राप्ति होना असंभव है । इसीलिए कहा जाता है, गुरुकृपा हि केवलं शिष्यपरममङ्गलम् ।,

नामजप कौनसा करें ?

जीवन के दुःखों का धीरज से सामना करने का बल एवं सर्वोच्च श्रेणी का स्थायी आनंद केवल साधनाद्वारा ही प्राप्त होता है । साधना अर्थात् ईश्वरप्राप्ति हेतु आवश्यक प्रयत्न ।

अहं-निर्मूलन

सभी दृष्टिसे परिपूर्ण ईश्वरकी शरणमें जाकर अहं-निर्मूलनकी प्रक्रिया शास्त्रशुद्धरूपसे कार्यान्वित करनेसे अपने जीवनविषयक दृष्टिकोणमें हुआ आमूल परिवर्तन हमें सुखी वैवाहिक जीवन दे सकता है !

अनिष्ट शक्तियोंके आक्रमणोंसे मृतदेहकी रक्षा करनेके उपाय ।

मृतदेहके चारों ओर बक्से (गत्ते) लगाना, प्रत्येक आधे घंटेके उपरांत उनके देहपर तीर्थ छिडकना, चमेलीकी उदबत्ती लगाना, श्री गुरुदेव दत्तका नामजप लगाना, मृतदेहके चारों ओर दत्तात्रेय देवताकी नामजप-पट्टियोंका मंडल बनाना इत्यादिसे मृतदेहपर होनेवाले अनिष्ट शक्तियोंके आक्रमण घट जाते हैं ।