आदित्यहृदय स्तोत्र

आदित्यहृदय स्तोत्र लगाकर, सूर्यदेवता से प्रार्थना करना कि इस स्तोत्र के चैतन्य से अपने हृदय के सर्व ओर सुरक्षाकवच निर्माण हो । यह स्तोत्र लगातार ३ बार सुनें ।…

साधक समष्टि हेतु (हिन्दू राष्ट्र-स्थापना हेतु) अब से इस प्रकार नामजप करें !

जिन साधकों का व्यष्टि साधना के अंतर्गत कुलदेवी/कुलदेवता तथा दत्त का नामजप, साथ ही अनिष्ट शक्तियों का कष्ट दूर करनेवाला जाप न्यूनतम ५ वर्ष से अच्छी तरह होता हो, तो अब वे हिन्दू राष्ट्र-स्थापना हेतु पूरक समष्टि जाप करें ।

धर्मकार्य करते समय ईश्‍वर का अधिष्ठान तथा साधना आवश्यक ! – सद्गुरु (कु.) स्वाती खाडये

अर्जुन के साथ भगवान श्रीकृष्ण थे, इसलिए धर्म-अधर्म के युद्ध में (महाभारत में ) पांडवों की संख्या अल्प होने पर भी वे विजयी हुए । इससे स्पष्ट है कि धर्मकार्य करते समय ईश्‍वर का अधिष्ठान और हमारी साधना होना आवश्यक है ।

सनातन संस्था, सनातन की सीख तथा उत्तरदायी साधकों के संदर्भ में विकल्प फैलानेवालों से सावध रहें !

‘एक शहर में पहले सनातन के मार्गदर्शनानुसार साधना करनेवाले; किन्तु वर्तमान में विकल्प के कारण सनातन से दूर गए कुछ लोग सनातन संस्था, सनातन की सीख तथा उत्तरदायी साधकों के संदर्भ में विकल्प फैला रहे हैं ।

साधको, नामजप करते समय मन में यदि अर्थहीन विचार आते हों, तो वैखरी वाणी में नामजप करें ! – (सद्गुरु) श्रीमती बिंदा सिंगबाळ

आध्यात्मिक कष्ट से साधकों की रक्षा करनेवाला और चित्त पर नए संस्कार न हों; इसके लिए सहायता करनेवाले नामजप को भावपूर्ण एवं एकाग्रता के साथ करें ! – (सद्गुरु) श्रीमती बिंदा सिंगबाळ

कृषिभूमि पर अथवा घर में स्थित गमलों में बहुगुणी आयुर्वेदीय औषधियों का रोपण कर आगामी संकटकाल हेतु सिद्ध हो जाएं !

युद्धकाल में डॉक्टर तथा औषधियां उपलब्ध न होने से स्वास्थ्य संकट में पड सकता है । ऐसे समय अपने पास घरेलू औषधियां हों, तो उनका उपयोग किया जा सकता है । ऐसी औषधियां तत्काल उपलब्ध होने हेतु प्रत्येक को अपनी क्षमता के अनुसार वनौषधियों का रोपण करना चाहिए ।

भारत पर आए चीन व पाकिस्तान रूपी संकट से रक्षा के लिए पहले बताए गए मंत्र के स्थान पर यह मंत्र दिन में दो समय २१-२१ बार पढें !

नया मंत्र दिन में दो समय २१ बार पढना अथवा सुनना है । यह मंत्र २१ बार पढने या सुनने में लगभग ६ मिनट लगते हैं । अर्थात इस मंत्र को दो बार पढने एवं सुनने के लिए आपको प्रतिदिन १२ मिनट देना पडेगा ।

‘परात्पर गुरु डॉक्टरजी द्वारा बताए गए उपचार, संभावित संकटकाल में जीवित रहने हेतु प्रदान की गई संजीवनी ही है !’, इसे ध्यान में लेकर गंभीरता के साथ सभी उपचार कीजिए !

अतः साधकों की रक्षा हेतु सनातन प्रभात नियतकालिकों के माध्यम से गुरुदेवजी समय-समय पर विविध आध्यात्मिक उपचार बता रहे हैं । वास्तविक रूप से ये उपाय केवल ‘उपचार’ न होते हुए वर्तमान समय की ‘संजीवनी’ ही है ।

भावी संकटकाल की तैयारी के रूप में अपने घर के आसपास औषधीय वनस्पतियों का रोपण करें !

भावी भीषण संकटकाल में औषधियां पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलेंगी । इसलिए अभी से ही औषधीय वनस्पतियों का रोपण करें ।