कोरोना महामारी की तीव्रता ध्यान में रखकर अपने साथ कुटुंबियों की रक्षा होने हेतु ‘कोरोना’ संबंधी सूचनाओं का साधना के रूप में पालन करें !

साधकों के लिए सूचना

‘मार्च २०२० से १ अप्रैल २०२१ तक भारत में १ करोड ३३ लाख से भी अधिक नागरिकों को कोरोना का संसर्ग हुआ । उसमें १ लाख ६९ सहस्र से भी अधिक रोगियों की मृत्यु हो गई । आजकल कोरोना का संसर्ग पिछले वर्ष की तुलना में अधिक वेग से फैल रहा है । रोगियों की बढती संख्या के कारण अस्पताल में आवश्यक उतने ‘बेड’ (खाटें) न मिलना, वेन्टिलेटर की सुविधायुक्त खाटें अपर्याप्त होना, इतना ही नहीं, ‘रेमडेसिवीर’ इंजेक्शन और ऑक्सिजन सिलेंडर की कमी आदि की समस्या निर्माण हो गई है । अनेक अस्पतालों के बाहर सगे-संबंधी कतार लगाए खडे हैं कि उनके रोगी को जगह मिले । नागरिकों के पास पैसे होते हुए भी उपचार मिलना कठिन हो गया है ।

कोरोना का संसर्ग फैले नहीं, इसके साथ ही नागरिकों के प्राणों की रक्षा हो, इस हेतु शासन-प्रशासन द्वारा विविध माध्यमों से समय-समय पर प्रबोधन किया जा रहा है; परंतु नागरिकों द्वारा इन सूचनाओं का पालन नहीं हो रहा है । कोरोना के संसर्ग की भयानक परिस्‍थिति को ध्‍यान में रखते हुए आरोग्‍य की दृष्‍टि से ध्‍यान रखना और भी महत्त्वपूर्ण है ।

‘सनातन प्रभात’ नियतकालिकों में भी आरोग्‍य की दृष्‍टि से क्‍या ध्‍यान रखना चाहिए, इस हेतु एलोपैथी, आयुर्वेदीय और होमिओपैथी, इन वैद्यकीय शाखाओं के अनुसार आवश्‍यक सूचना इससे पहले प्रकाशित हुई हैं । उस अनुसार कोरोना महामारी से सुरक्षा होने हेतु वैद्यकीय सूचनाओं का, उदा. मुखपट्टी (मास्‍क) का उपयोग करना, दो व्‍यक्‍तियों में ६ फुट अंतर रखना, समय-समय पर हाथ साबुन से स्‍वच्‍छ करना अथवा सैनिटाइजर से विषाणु रहित करना, अत्‍यावश्‍यक हो तो ही घर से बाहर निकलना, अनावश्‍यक भीड टालना आदि का कठोरता से पालन करना चाहिए ।

इस आपदा का सामना करने के लिए मनोबल और आत्‍मबल बढाने के लिए सनातन संस्‍था के मार्गदर्शनानुसार स्‍वसूचना सत्र कैसे करें ?, इसकी उदाहरण सहित जानकारी इससे पूर्व ‘सनातन प्रभात’ में दी गई है । उसका लाभ साधकों सहित शुभचिंतकों व पाठकों को ध्‍यान में आया है । इसके अतिरिक्‍त आत्‍मबल बढाने के लिए परात्‍पर गुरु पांडे महाराजजी द्वारा बताए ३ मंत्रों में से कोई भी एक मंत्र २१ बार कहें । अपने चारों ओर सुरक्षा-कवच निर्माण होने हेतु समय-समय पर प्रार्थना करें ।

जन्‍म-मृत्‍यु प्रारब्‍धानुसार निर्धारित होते हैं, इसके साथ ही संत और भविष्‍यवेत्ता द्वारा बताए भविष्‍यकथन के अनुसार आपातकाल में विविध आपदाओं में भारी मनुष्‍यहानि होगी । ऐसा होने पर भी हमें अपना उचित क्रियमाण करना ईश्‍वर को अपेक्षित है । आपातकाल के उपरांत ईश्‍वरीय राज्‍य अर्थात रामराज्‍य आनेवाला है, ऐसा भी संतों ने आश्‍वस्‍त किया है । यह ध्‍यान में रखकर आपातकाल में तरने के लिए रामराज्‍य की प्रजा के पात्र होने हेतु साधना के रूप में ऊपर दी गई सूचनाओं का पालन हो, इस हेतु ईश्‍वर के श्रीचरणों में शरण जाकर प्रयत्न करेंगे !’

– श्रीसत्‌शक्‍ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा

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