गुरुपूर्णिमा के अवसर पर संतों के शुभसंदेश (2022)
भगवान की कृपा प्राप्त करने के प्रयास बढाएं ! – श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ
धर्मसंस्थापना हेतु स्वक्षमता अनुसार योगदान करें ! – श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ
भगवान की कृपा प्राप्त करने के प्रयास बढाएं ! – श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ
धर्मसंस्थापना हेतु स्वक्षमता अनुसार योगदान करें ! – श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ
आषाढ पूर्णिमा अर्थात व्यासपूजन अर्थात गुरुपूर्णिमा । इस दिन ईश्वर के सगुण रूप अर्थात गुरु का मनोभाव से पूजन
गुरुपूर्णिमा गुरु अथवा गुरुतत्त्व के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है । हिन्दुओं की धर्मपरंपरा में गुरुपूर्णिमा के दिन गुरुदर्शन, गुरुदक्षिणा, गुरुसेवा, गुरुकार्य करने का संकल्प करना आदि का विशेष महत्त्व है । ‘समाज में धर्म और साधना का प्रचार करना एवं जब धर्मग्लानि हो तब धर्मसंस्थापना का कार्य करना’ भी गुरुतत्त्व का कार्य है ।
गुरुदेव वे हैं, जो साधना बताते हैं, साधना करवाते हैं एवं आनंदकी अनुभूति प्रदान करते हैं । गुरुका ध्यान शिष्यके भौतिक सुखकी ओर नहीं, अपितु केवल उसकी आध्यात्मिक उन्नतिपर होता है ।
गुरु ईश्वरके सगुण रूप होते हैं । उन्हें तन, मन, बुद्धि तथा धन समर्पित करनेसे उनकी कृपा अखंड रूपसे कार्यरत रहती है ।