गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में सनातन संस्था के गुरुओं द्वारा संदेश (2024)

वर्तमान काल में सर्वस्व का त्याग अर्थात स्वयं का संपूर्ण जीवन हिन्दू धर्म एवं हिन्दू राष्ट्र के कार्य के लिए समर्पित करना है । धर्मनिष्ठ हिन्दुओं, साधकों एवं शिष्यों को आध्यात्मिक उन्नति के लिए हिन्दू धर्म एवं हिन्दू राष्ट्र के कार्य के लिए अपनी क्षमता के अनुसार त्याग करने की बुद्धि हो, यह श्री गुरु के चरणों में प्रार्थना है ।

गुरुपूर्णिमा के अवसर पर संतों के शुभसंदेश (2022)

भगवान की कृपा प्राप्‍त करने के प्रयास बढाएं ! – श्रीचित्‌शक्‍ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ
धर्मसंस्‍थापना हेतु स्‍वक्षमता अनुसार योगदान करें ! – श्रीसत्‌शक्‍ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ

गुरुपूर्णिमा पूजाविधि (संपूर्ण गुरु पूजन मंत्र एवं अर्थसहित)

आषाढ पूर्णिमा अर्थात व्यासपूजन अर्थात गुरुपूर्णिमा । इस दिन ईश्वर के सगुण रूप अर्थात गुरु का मनोभाव से पूजन

गुरुपूर्णिमाका अध्यात्मशास्त्रीय महत्त्व

गुरुदेव वे हैं, जो साधना बताते हैं, साधना करवाते हैं एवं आनंदकी अनुभूति प्रदान करते हैं । गुरुका ध्यान शिष्यके भौतिक सुखकी ओर नहीं, अपितु केवल उसकी आध्यात्मिक उन्नतिपर होता है ।

गुरुपूर्णिमाके दिन गुरुतत्त्व १ सहस्त्र गुना कार्यरत रहता है

गुरु ईश्वरके सगुण रूप होते हैं । उन्हें तन, मन, बुद्धि तथा धन समर्पित करनेसे उनकी कृपा अखंड रूपसे कार्यरत रहती है ।