शिवपूजन में भस्म धारण का महत्व

यज्ञमें अर्पित समिधा एवं घीकी आहुतिके जलनेके उपरांत शेष बची पवित्र रक्षाको ‘भस्म’ कहते हैं । भस्मको विभूति एवं राख, इन नामोंसे भी जाना जाता है ।

शिवपिंडीकी विशेषताएं एवं कार्य

शिवजीसे प्रक्षेपित शक्तिशाली सात्त्विक तरंगें सर्वप्रथम नंदीकी ओर आकृष्ट होती हैं, तदुपरांत वातावरणमें प्रक्षेपित होती हैं । शिवपिंडीसे चैतन्यके वलयोंका पूरे शिवालयमें प्रक्षेपण होता रहता है ।

शृंगदर्शनकी पद्धति

शिवजीमें पवित्रता, ज्ञान एवं साधना, ये तीनों गुण परिपूर्णतः विद्यमान हैं । इसलिए उन्हें ‘देवोंके देव’, अर्थात ‘महादेव’ कहते हैं ।

गंगा प्रदूषित करना आध्यात्मिक दृष्टिसे अनुचित !

धर्म-शास्त्रानुसार गंगाकी पवित्रता बनी रहेगी, ऐसा ही प्रत्येकका आचरण होना चाहिए । गंगाकी पवित्रताकी रक्षाके लिए प्रयत्न करना, एक प्रकारका धर्मपालन ही है ।

कुंभमेलेमें सहभागी होनेवाले विभिन्न अखाडे !

सर्वत्रके कुंभमेलेमें एकत्र होनेवाले सर्व अखाडे उत्तर भारतके हैं । प्रत्येक अखाडेमें महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, महंत जैसे कुछ प्रमुखोंकी श्रेणी होती है । नम्र, विद्वान तथा परमहंस पद प्राप्त ब्रह्मनिष्ठ साधुका चयन इस पदके लिए किया जाता है ।

श्रद्धालुओ, कुंभक्षेत्रकी पवित्रता तथा वहांकी सात्त्विकता बनाए रखनेका प्रयास करें !

कुंभक्षेत्र तीर्थक्षेत्र हैं । वहांकी पवित्रता तथा सात्त्विकता बनाए रखनेका प्रयास करना, यह स्थानीय पुरोहित, देवालयोंके न्यासी तथा प्रशासनके साथ ही वहां आए प्रत्येक तीर्थयात्रीका भी कर्तव्य है ।

हरद्वार (हरिद्वार) स्थित विविध क्षेत्रोंकी महिमा

यह उत्तराखंड राज्यके गंगातटपर बसा प्राचीन तीर्थक्षेत्र है । हिमालयकी अनेक कंदराओं एवं शिलाओंसे तीव्र वेगसे नीचे आनेवाली गंगाका प्रवाह, यहांके समतल क्षेत्रमें आनेपर मंद पड जाता है ।

सिंहस्थ पर्वमें गोदावरीस्नान अत्यंत पवित्र क्यो माना गया है?

६० सहस्त्र वर्ष भागीरथी नदीमें स्नान करनेसे जितना पुण्य मिलता है, उतना पुण्य गुरुके सिंह राशिमें आनेपर गोदावरीमें किए केवल एक स्नानसे प्राप्त होता है ।

कुंभमेला : हिंदू संस्कृति अंतर्गत समानताका प्रतीक

प्रयागराज (इलाहाबाद), हरद्वार (हरिद्वार), उज्जैन एवं त्र्यंबकेश्वरनासिक, इन चार स्थानोंपर होनेवाले कुंभमेलोंके निमित्त धर्मव्यवस्थाद्वारा चार सार्वजनिक मंच हिंदू समाजको उपलब्ध करवाए हैं । कुंभमेलेके ये चार क्षेत्र चार दिशाओंके प्रतीक हैं ।