छत्रपति संभाजी महाराज का बलिदानदिन और हिन्दू नववर्षारंभ दिन ‘चैत्रप्रतिपदा’ (गुढीपाडवा) का एक-दूसरे से संबंध नहीं !

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छत्रपति संभाजी महाराज का बलिदानदिन और हिन्दू नववर्षारंभ दिन चैत्रप्रतिपदा एक-दूसरे से लगकर आते हैं । वर्ष २०१३ में महाराष्ट्र राज्य के खानदेश और मराठवाडा में कुछ जातिवादियों ने कहा कि चैत्रप्रतिपदा के दिन गुढी (बांस अथवा लाठी पर उलटा टांगा गया कलश) खडी करने से छत्रपति संभाजी का अपमान होता है । इसलिए, उन्होंने वहां के हिन्दुओं को ऐसा नहीं करने दिया और जिन्होंने गुढी खडी की थी, उसे नीचे खींच दिया । फेसबुक’, वॉट्स एप’ जैसे सामाजिक जालस्थलों पर ये जातिवादी लोग चैत्रप्रतिपदा मनाने के संबंध में दुष्प्रचार कर, हिन्दू समाज में जो भ्रम फैला रहे हैं, उसका खंडन हम यहां पाठकों के लिए दे रहे हैं ।

आलोचना : शुभ माने गए कलश को चैत्रप्रतिपदा के दिन उलटा टांगा जाता है !’

खंडन : गुढी पर उलटा टांगा हुआ कलश ब्रह्मांडमंडल से प्रजापति-तरंगे आकृष्ट करता है । ये तरंगें कलश में समाई रहती हैं । कलश उलट टंगा होने से, इसमें समाई हुई प्रजापति-तरंगें भूमि और पूजक की ओर प्रक्षेपित होती हैं । देवालय के शिखर पर भी इस प्रकार का कलश रखा होता है और यह भी दैवी तरंगें आकृष्ट और प्रक्षेपित करता है । (संदर्भ : सनातन-निर्मित ग्रंथ ‘त्योहार, धार्मिक उत्सव और व्रत)

टीका : ब्राह्मणों ने संभाजी महाराज की हत्या कर, गुढी खडा करने की प्रथा प्रारंभ की !’

खंडन :

१. अ. वर्ष १६८९ में औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी की फाल्गुन अमावस्या के दिन बडी निर्ममता से हत्या की । दूसरे दिन चैत्र शुक्लपक्ष प्रतिपदा (गुढीपाडवा) यह हिन्दुओं का नववर्षारंभ दिन था । औरंगजेब चाहता था कि हिन्दू यह त्योहार न मनाएं । वास्तविक, इस हत्या का चैत्रप्रतिपदा (गुढीपाडवा) की गुढी से कोई संबंध नहीं है । प्रभु श्रीराम वनवास समाप्त कर, अयोध्या लौटे । तब से गुढी खडा करना, तोरण बांधना, यह हमारी परंपरा है । माना जाता है कि ब्रह्माजी ने इसी दिन सृष्टि की रचना की थी । इसलिए भी, चैत्रप्रतिपदा (गुढीपाडवा) का महत्त्व असाधारण है । इसलिए, सत्य कहें, तो यह दिन केवल हिन्दुओं का नहीं, अपितु पूरी मानवजाति का है ।

२. औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी को बडी निर्ममता से मारा था, यह सूर्यप्रकाश की भांति सत्य इतिहास है । इस बात के अनेक संदर्भ आज भी उपलब्ध हैं । आजतक एक भी इतिहासकार ने नहीं लिखा है कि छत्रपति संभाजी को ब्राह्मणों ने मारा था । इससे स्पष्ट होता है कि ये धर्मद्रोही और जातिवादी लोग क्रूरकर्मी औरंगजेब का पाप छिपाने का प्रयत्न कर रहे हैं । वे ऐसा क्यों कर रहे हैं, यह प्रश्न हिन्दू उनसे पूछें ।

इसके पहले भी इन जातिवादियों ने कहा था कि ब्राह्मणों ने संत तुकाराम महाराज की हत्या की थी । उनके इस तर्क को हिन्दुओं से समर्थन नहीं मिला । हिन्दुओ, नववर्ष दिन चैत्रप्रतिपदा के विषय द्वेष फैलानेवाले विचारों से भ्रमित न होकर, हिन्दू धर्म और संस्कृति के अनुसार ही चैत्रप्रतिपदा मनाएं ! आपके इस आचरण से जातिवादियों को बडा झटका लगेगा !

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