रावणवध के उपरांत प्रभु श्रीरामचंद्रजी को अयोध्या पहुंचने में २१ दिन क्यों लगे ?

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जालस्थल पर अनावश्यक चर्चा !

बिना रामायण पढे ही उस विषय में हिन्दुओं के मन में
संभ्रम निर्माण करने का हिन्दूद्वेषियों का षड्यंत्र !

 

नई देहली : सामाजिक जालस्थल पर श्रीराम के संदर्भ में आजकल एक संदेश प्रसारित हो रहा है । फेसबुक पर प्रसारित हुए इस संदेश में ‘श्रीराम ने रावण को दशहरा के दिन मारने के उपरांत २१ दिनों में वे पैदल चलते हुए अयोध्या पहुंचे थे । इसलिए दशहरे के २१ दिनों पश्चात दिवाली मनाई जाती है’, ऐसे आशय का संदेश प्रसारित किया जा रहा है । प्रभु श्रीरामचंद्र पुष्पक विमान से अयोध्या पहुंचे, ऐसा रामायण में उल्लेख है । ‘पुष्पक अत्यंत वेगवान होता है । तब भी उसे अयोध्या पहुंचने के लिए २१ दिन कैसे लगे ?’, ऐसा हिन्दुओं के मन में संभ्रम निर्माण कर ‘रामायण काल्पनिक कैसे है’, ऐसी गलतधारण फैलाने का हिन्दूद्वेषियों द्वारा प्रयत्न किया जा रहा है ।

 

प्रभु श्रीरामचंद्रजी के प्रवास के विषय में अनेक तर्क-वितर्क

१. श्रीलंका से अयोध्या २ सहस्र ५८६ किमी दूर है । इतनी दूर पैदल यदि जाना हो, तब २१ दिन (५१४ घंटे) अर्थात प्रतिदिन लगभग १२३ किमी चलना होगा । इसका अर्थ बिना रुके ५ किमी प्रति घंटे चलना होगा ।

२. दूसरी ओर कुछ लोगों का कहना है कि श्रीराम पैदल नहीं, अपितु पुष्पक विमान द्वारा श्रीलंका से अयोध्या पहुंचे थे । गुगल पर राम का यह मार्ग दिखाया गया है । गुगल पर यह मार्ग श्रीलंका का डमबुल्ला-चांदना से आरंभ होता है । वहां से ‍वे किंबिसा, गलकुलामा, मिहिंटाले, मेडवाछिया, तलाईमन्नार तक पहुंचते हैं । तदुपरांत वे समुद्र से रामेश्वर तक पहुंचते हैं ।

३. कुछ के मतानुसार श्रीराम भारत में रामेश्वर से कुंबोकोणम, कांचीपुरम्, तिरूपती, नेल्लोर, ओंगले से सूर्यापेट तक पहुंचे । वहां से महाराष्ट्र के चंद्रपुर, नागपुर होते हुए मध्यप्रदेश के सिवनी, जबलपुर, कटनी, रीवा तक, तदुपरांत उत्तरप्रदेश के प्रयाग, सारोन, प्रतापगढ, सुल्तानपुर, रेहट होते हुए अयोध्या पहुंचे ।

४. जालस्थल पर क्योरावर (www.quora.com) विषय में वर्ष २०१५ से चर्चा आरंभ है । इस पर अनेक लोगों ने मतप्रदर्शन किया है ।

 

पुष्पक विमान से प्रवास करने के पश्चात भी प्रभु
श्रीरामचंद्रजी को आयोध्या पहुंचने में २१ दिन क्यों लगे ?

रावण-वध के उपरांत राम ने आदरपूर्वक उसका अंत्यसंस्कार बिभीषण के हस्तों करवाया । फिर बिभीषण का राज्याभिषेक किया गया । रावण ब्राह्मण था । इसलिए अब उसका वध हो जाने से ब्रह्महत्या का पातक न लगे; इसलिए राम ने विधि की । तदुपरांत श्रीराम, सीता और लक्ष्मण सहित पुष्पक विमान से अयोध्या लौटे । वे मार्ग में भारद्वाज ऋषि के आश्रम में रुके, तदुपरांत नंदीग्राम में जाकर भरत की भेट ली ।

रावणवध से लेकर अयोध्या में आगमन, इस अवधि में श्रीराम ने क्या-क्या किया, इसका वर्णन विस्तार से रामायण में है । ऐसा होते हुए भी बिना रामायण पढे ही बेसिर-पैर की चर्चा कर, रामायण के विषय में संभ्रम निर्माण करनेवाले हिन्दूद्रोही हैं । हिन्दू जालस्थल पर ऐसी चर्चा में सम्मिलित होकर तर्क-वितर्क न करते हुए यदि वे धर्मग्रंथों का अभ्यास करने में समय बिताते हैं, तो उसका उचित लाभ होगा !

दिवाली संबंधी लघु चलचित्र (डोक्यूमेंट्री) देखें !

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