पू. भगवंतकुमार मेनराय द्वारा श्वास सहित नामजप जोड पाएं, इस हेतु किया मार्गदर्शन

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‘साधक को अखंड नामजप का ध्येय साध्य करने हेतु नामजप को अखंड होनेवाली किसी कृति से जोडना चाहिए । अपने शरीर में चल रही श्वास के ही केवल अखंड चलने का भान होने से हम नामजप अखंड करने के लिए उसे श्वासोच्छ्वास की क्रिया से आगे दिए अनुसार जोड सकते हैं ।

पू. भगवंतकुमार मेनराय

१. श्वास से नामजप जोडने की प्रक्रिया

१. कोई भी कृति न करते हुए आंखें खोलकर शांत बैठें ।

२. आंखें बंद कर अपनी श्वास की ओर ध्यान दें ।

३. अपनी श्वास कौन से लय में चल रही है, इसका निरीक्षण करके नामजप श्वास की लय से जोडें, उदा. ‘ॐ नम: शिवाय ।’ यह नामजप श्वास से जोडते समय श्वास लेते समय ‘ॐ नम:’ बोलें और श्वास छोडते समय ‘शिवाय’ कहें । इस प्रकार श्वास से नामजप जोडने से वह अखंड शुरू हो जाता है ।

 

२. श्वास से नामजप जोडते समय ध्यान में रखने योग्य सूत्र

साधकों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि उन्हें नामजप श्वास से जोडना है और श्वास नामजप से नहीं जोडना है, अर्थात नामजप की लय में श्वासोच्छ्वास नहीं करना है, अपितु श्वास की लय में नामजप करना है ।

 

३. श्वास से नामजप जोडने के कारण होनेवाले लाभ

३ अ. श्वास से संबंधित कष्ट दूर होना

अनिष्ट शक्तियों के कष्ट के कारण साधकों को श्वास लेते समय कष्ट होता है । श्वास के साथ नामजप जोडने से अनिष्ट शक्तियां को साधकों की श्वास पर नियंत्रण नहीं प्राप्त कर सकतीं । इससे साधकों को श्वास से संबंधित हो रहे कष्ट अल्प होते हैं ।

३ आ. मन में अनावश्यक एवं नकारात्मक विचार दूर होते हैं ।

श्वास के साथ नाम जोडने से साधकों के मन में प्रत्येक श्वास के साथ केवल भगवान का ही विचार आता है । इससे उनके मन के अनावश्यक एवं नकारात्मक विचारों की मात्रा न्यून होती है ।

३ इ. नींद में भी नामजप शुरू रहना

श्वास सहित नामजप जोडने से नामजप निरंतर शुरु रहता है । इससे वह केवल जागृतावस्था में ही नहीं, अपितु स्वप्नावस्था में भी, अर्थात नींद में भी शुरू रहता है ।

३ ई. अनिष्ट शक्तियों के कष्ट से रक्षा होना

भगवान के नामजप में उनकी शक्ति एवं चैतन्य कार्यरत होता है । अखंड नामजप करने से साधकों के आसपास भगवान की शक्ति एवं चैतन्य का अभेद्य संरक्षणकवच कार्यरत रहता है । इससे उनकी सूक्ष्म की अनिष्ट शक्तियों के कष्टों से रक्षा होती है ।

३ उ. अनिष्ट शक्तियों के विविध कष्ट दूर होना

भगवान के नाम के कारण सकारात्मक ऊर्जा निर्माण होकर कष्टदायक शक्ति नष्ट होती है । साधकों का अखंड नामजप शुरू होगा, तो अनिष्ट शक्तियां साधकों के पास नहीं जा सकतीं । इससे साधकों को होनेवाले अनिष्ट शक्तियों के कष्ट दूर होते हैं ।

३ ऊ. शक्ति, भाव, चैतन्य, आनंद एवं शांति की अनुभूति लेना संभव

भगवान के नाम के साथ उनके गुण भी कार्यरत होने से अखंड नामजप करने से शक्ति, भाव, चैतन्य, आनंद एवं शांति की अनुभूति साधक ले पाते हैं ।

३ ए. विविध वाणी के नामजप अनुभव कर पाना संभव

इससे साधकों को वैखरी, मध्यमा, पश्यंती एवं परा, इस वाणियों में नामजप किसप्रकार शुरू होते हैं, यह अनुभव कर पाएंगे ।’

– (पू.) श्री. भगवंतकुमार मेनराय, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (१.९.२०१७)

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