इतिहास, परंपरा, संस्कृति, धर्म, भाषा एवं श्रद्धा के प्रति एकात्मता की भावना ही राष्ट्र है – चेतन राजहंस, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था

जौनपुर (उत्तर प्रदेश) में सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति
समिति की ओर से ‘राष्ट्रभक्ति एवं साधना’ विषयपर युवकों का मार्गदर्शन

श्री. चेतन राजहंस

जौनपुर : ‘देश’ शब्द ‘दिशा’ शब्द से बना है तथा वह ४ दिशाओं के मध्य का एक सुनिश्‍चित भाग होता है । राष्ट्र की संकल्पना भौगोलिक नहीं, अपितु उस देश का इतिहास, परंपरा, संस्कृति, धर्म, भाषा एवं श्रद्धा के प्रति एकात्मता की भावना ‘राष्ट्र’ होता है । हम में राष्ट्रभावना है; इसलिए हम गंगा को नदी न मानकर देवी मानते हैं । राष्ट्रध्वज का सम्मान करना, यातायात के नियमों का पालन करना, मिलावट करनेवाले समाजद्रोहियों के विरुद्ध शिकायत करना जैसे छोटे-छोटे कृत्यों के माध्यम से राष्ट्रभक्ति अभिव्यक्त होती है । सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने यह मागदर्शन किया । यहां ने नावपुर में सैन्य सेवा समिति की ओर से आयोजित कार्यक्रम में वे ऐसा बोल रहे थे ।

 

नामजप के कारण मन में विद्यमान अर्थहीन विचार
दूर होते हैं ! – पू. नीलेश सिंगबाळजी, धर्मप्रचारक हिन्दू जनजागृति समिति

पू. नीलेश सिंगबाळजी

‘एकाग्रता हेतु साधना’ विषयपर मार्गदर्शन करते हुए हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक पू. नीलेश सिंगबाळजी ने कहा, ‘‘अंतर्मन में विद्यमान संस्कार विचारों के लिए कारणभूत होते हैं । मन में अर्थहीन विचार आना, एक स्वाभाविक प्रक्रिया है । अंतर्मन को नामजप का संस्कार देनेपर अर्थहीन विचार दूर होकर मन की एकाग्रता बढने लगती है ।’’

अधिवक्ता मदनमोहन ने कार्यक्रम का सूत्रसंचालन किया, तो कार्यक्रम की प्रस्तवना समिति के श्री. राजन केसरी ने की ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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