हनुमानजीकी उपासना एवं उसका शास्त्राधार

सारिणी


 

१. हनुमानजीकी उपासनाका उद्देश्य

अन्य देवताओंकी तुलनामें हनुमानजीमें अत्यधिक प्रकट शक्ति है । अन्य देवताओंमें प्रकट शक्ति केवल १० प्रतिशत होती है, जबकि हनुमानजीमें प्रकट शक्ति ७० प्रतिशत होती है । अत: हनुमानजीकी उपासना अधिक मात्रामें की जाती है । हनुमानजीकी उपासनासे जागृत कुंडलिनीके मार्गमें आई बाधा दूर होकर कुंडलिनीको योग्य दिशा मिलती है । साथही भूतबाधा, जादू-टोना, अथवा पितृदोषके कारण होनेवाले कष्ट, शनिपीडा इत्यादिका निवारण भी होता है । महाराष्ट्रमें शनिवारको हनुमानजीका दिन मानते हैं एवं भारतके अन्य भागोंमें शनिवार तथा मंगलवार मारुतिके दिन माने जाते हैं । इस दिन हनुमानजीके देवालयमें जाकर उन्हें सिंदूर एवं तेल अर्पण करनेकी प्रथा है । कुछ स्थानोंपर हनुमानजीको नारियल भी चढाते हैं ।

 

२. शनिकी ग्रहपीडा एवं हनुमानजीकी उपासना

जब किसी व्यक्तिकी कुंडलीमें शनि स्वराशीसे निकलकर विशिष्ट स्थानमें आता है तब उस व्यक्तिके जीवनमें शनिकी ग्रहपीडा आरंभ होती है । ग्रहदशाका यह काल सामान्यत: साढे सात वर्षोंका होता है । यह काल कठिन तथा समस्याओंसे घिरा हुआ होता है । इस कालमें व्यक्तिको जीवनमें विविध समस्याओंका सामना करना पडता है । उसमे जीवनमें आरोग्यविषयक, आर्थिक स्वरूपकी तथा अन्य मानसिक समस्याएं निर्माण होती हैं । शनिकी पीडाके कारण निर्माण हुई इन समस्याओंके निवारणके लिए हनुमानजीकी उपासना विशेष फलदायी होती है । इसका कारण यह है कि शनि स्वयं रुद्रकी उपासना करते हैं एवं हनुमानजी ग्यारहवें रूद्र हैं । इसलिए हनुमानजीकी उपासना करनेसे शनिकी पीडाका निवारण होता है ।

 

३. शनि ग्रहपीडा निवारणार्थ हनुमानजीकी उपासना विधि

यह विधि शनिवार अथवा मंगलवारके दिन की जाती है । एक कटोरीमें यथाशक्ति तेल लें । उसमें काली उडदके चौदह दाने डालें । अब उस तेलमें अपना चेहरा देखें । इसके उपरांत यह तेल हनुमानजीके देवालयमें जाकर हनुमानजीको चढाएं । जो व्यक्ति बीमारीके कारण हनुमानजीके देवालयमें नहीं जा सकता, वह भी इस पद्धतिनुसार हनुमानजीकी पूजा कर सकता है । तथा देवालयमें हनुमानजीको तेल चढानेके लिए किसी अन्य व्यक्तिको भेज सकता है । खरा तेली शनिवारके दिन तेल नहीं बेचता, क्योंकि जिस शक्तिकी पीडासे छुटकारा पानेके लिए कोई मनुष्य हनुमानजीपर तेल चढाता है, वह शक्ति तेलीको भी कष्ट दे सकती है । इसलिए हनुमानजीके देवालयके बाहर बैठे तेल बेचनेवालोंसे तेल न खरीदकर घरसे ही तेल ले जाकर हनुमानजीको चढाएं ।

 

४. शनिकी साढेसातीका प्रभाव अल्प करनेके

लिए हनुमानजीकी उपासना किस प्रकार करनी चाहिए

विधिके प्रति भाव न बना रहे, तो इस उपासनाका प्रभाव कुछ समय उपरांत अल्प होता है । वैसे ही मदारके पत्र एवं पुष्पके परिणामस्वरूप अल्प हुआ अनिष्ट शक्तिका प्रभाव, पत्र तथा पुष्पके चैतन्यके अल्प होनेपर पुनः बढनेकी आशंका रहती है । कष्टको समूल अल्प करनेके लिए हनुमानजीका नामजप निरंतर करना यही एक उत्तम साधन है ।

 

५. हनुमान जयंतीके दिन हनुमानजीके नामका जप करनेका महत्त्व

हनुमान जयंतीके दिन हनुमानजीका तत्त्व अन्य दिनोंकी तुलनामें अत्यधिक मात्रामें १ सहस्र गुना रहता अधिक कार्यरत रहता है । इस कारण हनुमानजीकी चैतन्यदायी तत्त्वतरंगें पृथ्वीपर अधिक मात्रामें आकृष्ट होती हैं । इन तरंगोंका जीवको व्यावहारिक एवं आध्यात्मिक, दोनों स्तरोंपर लाभ होता है । इन कार्यरत तत्त्वतरगोंका संपूर्ण लाभ पानेके लिए इस दिन ‘श्री हनुमते नमः ।’ नामजप अधिकाधिक करना चाहिए । इस नामजपको कैसे करें,यह समझनेके लिए आइए एक ध्वनिमुद्रिका अर्थात (recording) सुनते हैं…

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६. नामजप करनेसे होनेवाले लाभ

हनुमानजीका नामजप करनेसे अनिष्ट शक्तिसे पीडित किसी व्यक्तिको विविध शारीरिक तथा मानसिक कष्ट होते हों, तो उनका निवारण होता है । साथही नामजप करनेवाले व्यक्तिको हनुमानजीके चैतन्यका लाभ भी मिलता है । भावपूर्ण नामजप करने हेतु नामजप आरंभ करनेसे पूर्व हनुमानजीके चरणोंमें प्रार्थना करें । प्रार्थना करते समय हनुमानजीका चित्र अथवा मूर्ति आंखोंके समक्ष लानेका प्रयास करें । इससे प्रार्थना भी एकाग्रतासे होगी । प्रार्थनासे एकाग्रता साध्य होनेपर किया जानेवाला नामजप निश्चित ही भावपूर्ण होगा ।

 

८. आजकी स्थिति क्या है ?

कुछ लोग अज्ञानवश, तो कुछ सहेतुक व्यावसायिक लाभ हेतु हनुमानजीका अनादर करते हैं । क्या इससे हमपर हनुमानजीकी कृपा होगी ? ऐसी परिस्थितिमें यह अनादर रोकना, कालानुसार आवश्यक उपासना बन जाती है ।

 

९. कालानुसार आवश्यक उपासना

आजकल विविध प्रकारोंसे देवताओंका अनादर किया जाता है । व्याख्यान, पुस्तक, नाटिका इत्यादिके माध्यमसे देवताओंकी अवमानना की जाती है । व्यावसायिक हेतुसे विज्ञापनोंके लिए अर्थांत अ‍ॅडव्हर्टाइजमेंटके लिए देवताओंका उपयोग ‘मॉडेल’के रूपमें किया जाता है । देवताओंकी वेशभूषामें भीख मांगी जाती है । ये सभी अपनमानजनक प्रकार हनुमानजीके संदर्भमें भी होते हैं । व्यंगचित्र अर्थात् कार्टून, विज्ञापन अर्थांत अ‍ॅडव्हर्टाइजमेंट, नाटिका, इनमें ऐसी अवमानना हमें विशेषरूपसे दिखाई देती है ।

९अ. आस्ट्रेलियाके कोरियर मेल इस वृतपत्रमें आस्ट्रेलियन क्रिकेटियर एन्ड्रू साईमनको हनुमानके रूपमें दिखाकर भगवानतुल्य दिखाया ।

९आ. मेक माई ट्रिप इस भारतीय यातायात कंपनीने अपने विज्ञापनमें हनुमानजीके हृदयके स्थान पर श्री राम एवं सीताकी अपेक्षा चलों लंका ऐसा संदेश लिखा हुआ दिखाया । यदि हम ऐसे अनादरको देखते हुए भी रोकनेका प्रयास न करें, तो क्या हनुमानजीकी कृपा हमपर होगी ? निश्चितही नहीं ! देवताओंकी उपासनाकी नींव है, श्रद्धा । देवताओंका अनादर श्रद्धाको प्रभावित करता है । इससे धर्महानि भी होती है । यह धर्महानि रोकना कालानुसार आवश्यक धर्मपालन ही है । यह देवताकी समष्टि स्तरकी अर्थात सामाजिक स्तरकी उपासना ही है । व्यष्टि अर्थात व्यक्तिगत उपासनाके साथ समष्टि अर्थात सामाजिक उपासना किए बिना देवताकी उपासना पूर्ण हो ही नहीं सकती । अतः हनुमानजीके भक्तोंको भी हनुमानजीके अनादरके प्रति जागरूक होकर सार्वजनिक उद्बोधनके माध्यमसे यह धर्महानि रोकनेका प्रयास करना चाहिए । यह धर्महानि रोकनेके लिए हनुमानजी हमें बल, बुद्धि तथा क्षात्रवृत्ति प्रदान कर साधनामें आनेवाले विघ्नोंका अवश्य हरण करेंगे ।

(संदर्भ – सनातनका ग्रंथ – श्री हनुमान)

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