पुणे के महान संत प.पू . आबा उपाध्येजी द्वारा व्याधि निवारण हेतु बताए गए कुछ उपाय

पुणे के महान संत प.पू . आबा उपाध्येजी द्वारा व्याधि निवारण हेतु बताए गए कुछ उपाय

व्याधि उपाय
१. सरदी एवं कफवाली खांसी एक छोटे प्याज के टुकडों के एक गिलास में पानी में १० मि.ली. होनेतक उबालें । उसके पश्‍चात उसमें चाय के चम्मच इतना गूढ मिलाकर उसे पीएं । उसके कारण कफ न्यून होता है ।
२. सदैव (क्रोनिक) होनेवाली सरदी बिडे की पत्ते की धमनियों को निकालकर उनमें आधा चम्मच शहद भरें और उस पत्ते को दोनों बार भोजन के पश्‍चात खाएं । २१ दिनोंतक यह उपाय करें ।
३. दमा (अस्थमा) बिडे के पत्ते की धमनियों को निकालकर उसमें आधा चम्मच शहद भरें और २ चुटकी सूंठसहित उस पत्ते को खाएं ।
४. पथरी (किडनीस्टोन) २ चम्मच कुर्डू के बीज १ लोटा (१ लिटर) पानी में उबालें और उस पानी को दिन में जब प्यास लगती है, तब पीएं ।
५. घटसर्प (डिप्थेरिया) कमंडल फल एवं केवडा के मध्य का भुट्टे को सुखाकर उसका चूर्ण बनाएं । उसके पश्‍चात उन्हें एकत्रित कर कागद की नलिका बनाकर उसमें भरें । इस नलिका को बीडी की भांति प्रज्वलित कर मुंह में पकडें और उससे निकलनेवाला धुएं को खींचें । इस धुएं को नाक से बाहर न छोडे । छोटा बच्चा हो, तो बडे व्यक्ति को स्वयं धुआं लेकर उसे किसी स्ट्रॉ की सहायता से बच्चे के मुंह में छोडें ।
६. प्लेग (चूहे के जीवाणु) प्लेग की गाठियोंपर २ मिनटोंतक बर्फ घिसें ।
७. पेट के विकार आदि ७२ व्याधियां कोंबडनखी की जड इन ७२ व्याधियों के लिए उपयुक्त है (वह पुणे के भीमाशंकर अथवा तुलसीबाग के आयुर्वेदीय दुकानों में मिलती है ।) उसे दूध अथवा पानी में घींसकर दोपहर और रात में भोजन के पूर्व १ चम्मच लें ।
८. जलोदर (पेट में पानी जमा होना) आक के पत्ते को तेल लगाकर उसे तवेपर गर्म करें और उस पत्ते से पेटपर सेकें, साथ ही उस पत्ते को रातभर पेटभर बांधकर रखें ।
९. हृदयविकार योगासन करें । इसके लिए शवासन उपयुक्त है । (१ चम्मच अर्जुनारिष्ट एवं १ चम्मच मुरावले को दोनों बार के भोजन के पश्‍चात खाएं ।)
१०. टॉइफॉईड (विषमज्वर) सहिजन के पेड की छाल को माथेपर बांधें । उससे शरीर में व्याप्त बुखार उतर जाता है ।
११. मस्तिष्क से संबंधित विकार मातुलुंग का मुरब्बा बनाकर उसे चपाती के साथ खाएं ।
१२. मधुमेह (डाईबिटीज्) मधुनाशिनी नामक बेली का एक पत्ता खाली पेट खाएं ।
१३. श्‍वेतप्रदर (महिलाओं में अधिक श्‍वेत स्राव होना) एक चम्मच जीरे का चूर्ण, एक चम्मच घी और थोडी सी चीनी के साथ खाएं ।
१४. महिलाओं के मासिक धर्म से संबंधित विकार एक चम्मच अशोकारिष्ट कटोरेभर पानी में लें अथवा जनोसिया अशोका नामक होमियोपैथिक औषधि लें ।
१५. कृमी एक चम्मच वायविडंग का चूर्ण, एक चम्मच घी और थोडी सी चीनी के साथ खाएं अथवा एक चम्मच वायविडंग को थोडे समयतक कटोरेभर पानी में उबालकर उस पानी को पीएं ।
१६. हुकवर्म (अंकुश के आकारवाले कृमी, जो आंतरों को चिपके होते हैं ।) एक चुटकी कपूर और आधा चम्मच शहद को एकत्रित कर खाएं ।
१७. फोडा फोडे के स्थानपर जामून के बीज को घिसकर लगाएं ।
स्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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