आकाशदीप लगाने का अध्यात्मशास्त्र (सूक्ष्म विज्ञान)

१. पाताल से आनेवाली हानिकारक
आप-तत्त्व तरंगे, आकाशदीप के तेज-तत्त्व तरंगों के कारण घर के बाहर रुकना

दीपावली के समय आप-तत्त्व की तरंगें पाताल से निकलकर ऊपर की ओर जाने लगती हैं । इससे, पृथ्वी का वातावरण बोझिल बन जाता है । ऐसे वातावरण में हानिकारक तत्त्वों का जन्म होता है, जिससे घर दूषित होता है । यह रोकने के लिए, दीपावली के पहले से ही घर के बाहर आकाशदीप जलाया जाता है । आकाशदीप में तेजतत्त्व होता है । यह, पाताल से आनेवाली आपमय तरंगों को रोकता तथा तेजतत्त्व की गोलाकार जागृतिदर्शक तरंगों का घर में संचार होता । इसलिए, घर के बाहर आकाशदीप लगाया जाता है ।

 

२. ब्रह्मांड में संचार करनेवाले लक्ष्मीतत्त्व और पंचतत्त्व आकाशदीप के माध्यम से मिलना

दीपावली के दिनों में ब्रह्मांड में संचार करनेवाले अनिष्ट तत्त्वों का निर्मूलन करने के लिए श्रीलक्ष्मी-तत्त्व सक्रिय होता है । इसे प्राप्त करने के लिए, घर के बाहर ऊंचे स्थान पर आकाशदीप लगाया जाता है ।

– एक ज्ञानी (श्री निषाद देशमुख के माध्यम से, १५.१०.२००६, रात्रि ७.१६)

 

दीपावली के विषय में लघु चलचित्र देखिए !

 

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