नेपाल को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करने के पश्चात राजकीय स्तर पर बहुत उतार-चढाव होने से वहां की जनता ने अनुभव की भयावह आपातकालीन स्थिति !

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२०.९.२०१५ को नए संविधान के अनुसार नेपाल को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र्र घोषित किया गया । नया संविधान स्वीकारने के पश्चात राजकीय स्तर पर बहुत उतार-चढाव हुए और अब भी हो रहे हैं । अनाज और औषधियों से लेकर औद्योगिक साहित्य तक नेपाल भारत पर ही निर्भर है । भारत और नेपाल में ५ सीमाएं ५ माह बंद कर दी गईं थीं । इससे नेपाल में जनजीवन संपूर्णरूप से अस्त-व्यस्त हो गया था ।

 

१. नेपाल में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाना

१ अ. घरेलु गैस की कमतरता के कारण जनता को कठिन प्रसंगों का सामना करना पडा

कु. सानू थापा

१ अ १. गैस सिलिंडर के अभाव में लोगों ने लकडी का पर्याय ढूंढा और सरकार द्वारा लकडी की आपूर्ति हेतु लिया निर्णय : नेपाल में लोगों को ७ माह गैसे सिलिंडर ही नहीं मिल रहा था । इसलिए वहां के लोगों ने भूकंप में गिरे घरों की लकडियां ईंधन के रूप में उपयोग करना आरंभ कर दिया । गैस की कमतरता कुछ माह तक रही, तब सरकार ने पशुपतिनाथ में अंतिम संस्कार के लिए उपयोग के लिए रखी लकडी लोगों को ईंधन के लिए उपलब्ध करवाई । इस लकडी का मूल्य २० रुपये प्रति किलो था । इसके पश्चात १ माह में ही सर्वत्र जलाऊ लकडी की कमतरता अनुभव होने लगी ।

१ अ २. जलाने के लिए लकडी का उपयोग करते समय आनेवाली समस्या : लकडी विक्रेता अधिक पैसे कमाने के उद्देश्य से लकडी को गीली करके बेचते थे । गीली लकडी के न जलने से लोगों को बार-बार लकडी खरीदनी पडती थी । कई लोगों के पास लकडी तोडने के लिए कुल्हाडी नहीं थी और कुछ लोगों को लकडी तोडना आता नहीं था । इसलिए उन्हें औरों को लकडी चीरने के लिए भी पैसे देने पडते थे ।

१ अ ३. किराए के घरों में रहनेवाले लोगों को घर के मालिक घर में चूल्हे पर रसोई नहीं बनाने देते थे ।

१ अ ४. वाहन के अभाव में अनेक सप्ताह की प्रतीक्षा के उपरांत मिले गैस सिलिंडर को घर तक ले जाना संभव न होना : अनेक सप्ताहों की प्रतीक्षा के उपरांत गैस के कुछ सिलिंडर का वितरण होता था । बडे भाग्य से कुछ लोगों को गैस का आधा सिलिंडर मिलता था; परंतु इंधन के अभाव में वाहन उपलब्ध न होने से उसे घर तक ले जाना कठिन होता था । वैसे एक सिलिंडर का मूल्य १ सहस्र ५०० रुपये था, जिसके लिए काले बाजार में ८ सहस्र रुपये देने पडते थे ।

१ आ. पेट्रोल एवं डीजल की कमतरता होने से काला बाजार करनेवालों के धंधे में वृद्धि !

पेट्रोल और डीजल की कमतरता के कारण रास्ते पर वाहन नहीं थे । विद्यालय एवं उद्योग बंद थे । केवल रास्ते पर साइकल चलानेवालों की संख्या बढ गई थी । इस काल में एकदम सस्ती साइकल की कीमत भी १० सहस्र रुपये थी । कई बार सरकार द्वारा इंधन का वितरण किया जाता था; परंतु उसके लिए ४ से ५ घंटे कतार में खडा होना पडता था । अनेकों का क्रमांक आने तक इंधन समाप्त हो जाता था, इसलिए उन्हें अनेक सप्ताह पुन: प्रतीक्षा करनी पडती थी । सरकार द्वारा इंधन का अगला वितरण कब होगा ?, इस विषय में कोई जानकारी न मिलने से अनेक सप्ताह पहले ही लोग अपने वाहन रास्ते पर ही कतार में रखकर जाते थे । वैसे १०० से १३० रुपये प्रति लीटर मिलनेवाली पेट्रोल काले बाजार में ५०० रुपये प्रति लीटर बिकती थी और ८० से १०० रुपये प्रति लीटर डीजल २५० से ३०० रुपये प्रति लीटर बेची जाती थी ।

१ इ. बिजली की कमतरता के कारण उद्भव होनेवाली समस्या

काठमांडू शहर में अधिकृतढंग से दिन में १४ घंटे बिजली की आपूर्ति बंद थी । दिनभर में केवल २ घंटे, तो कभी-कभी केवल ३ घंटे ही बिजली होती थी । बिजली आते ही घर-घर में लोग पानी का पंप चलाते, बिजली के उपकरणों पर रसोई बनाना इत्यादि के कारण बिजली के अति उपयोग से ट्रान्सफॉर्मर जल जाता था । यह ट्रान्सफॉर्मर ठीक करने के लिए शासकीय कर्मचारी ४ से ५ दिन लगाते थे । ट्रान्सफॉर्मर बारंबार जलना, यह नित्य की ही बात हो गई थी ।

१ ई. इंटरनेट बंद होना

वैसे बिजली की आपूर्ति बंद होने पर व्यावसायिकों के, कार्यालयों के इंटरनेट पर होनेवाले कामकाज पेट्रोल एवं डीजल पर चलनेवाले जनित्रों की (जेनरेटरों की)सहायता से किए जाते थे; परंतु इस काल में इंधन की भी कमतरता होने से इंटरनेट भी पूर्णरूप से बंद थे ।

१ उ. औषधियों के अभाव में छोटी-सी बीमारी से भी रोगियों की मृत्यु

रुग्णालयों में औषधियाें उपलब्ध न होने से कुछ लोगों की अल्प बीमारी से भी उनकी मृत्यु हो रही थी ।

१ ऊ. किराना सामग्री की कमतरता

इस काल में किराना सामान की दुकानों में बहुत-सा सामान उपलब्ध नहीं था और जो उपलब्ध था वह सामान्य से चार गुना मूल्य में खरीदना पडता था । रसोई के लिए लगनेवाले खाद्य तेल का मूल्य वैसे १०० से १८० रुपये प्रति लीटर, इस काल में ५०० रुपये प्रति लीटर हो गया था ।

१ ए. विद्यालय बंद !

अप्रैल २०१५ में हुए भूकंप के काल में अनेक विद्यालयों की इमारतें गिर जाने से वे बंद थे । अब इंधन के अभाव में विद्यालय जाने के लिए वाहन उपलब्ध न होने से भी वे बंद थे ।

१ ऐ. विमानतल पर कामकाज ठप्प !

बाहर की देशों से कुछ विमान नेपाल में आते थे । नेपाल के विमान प्राधिकरण अधिकारियों ने अन्य देशों के विमानों को सूचना दी थी कि नेपाल में आने से पहले इंधन भरकर आएं ।

१ ओ. २ सहस्र उद्योग धंधे बंद !

इस काल में २ सहस्र उद्योगधंधे बंद हो गए एवं अनुमान से १ लाख लोगों को अपनी नौकरियां गंवानी पडीं थीं ।

 

२. सीमाएं खुलने के पश्चात भी राजकीय उदासीनता के कारण परिस्थिति पहले जैसी ही थी !

२ अ. नेपाल में पर्याप्त इंधनसंग्रह है, ऐसा दिखाया गया ।
तब भी काठमांडू परिसर के ५ से ६ शासकीय इंधन वितरण केंद्रों का सप्ताह में कुछ दिन ही कार्यरत रहना

५ माह के उपरांत बंद सीमाएं पुन: खोल दी गईं; परंतु स्थिति पूर्ववत् नहीं हुई । समाचारों में ऐसा बताया जा रहा था कि इंधन संग्रह की टंकियां इंधन से भरी होने से उसमें बाहर से आया इंधन नहीं डाला जा सकता; परंतु काठमांडू परिसर के ५ से ६ शासकीय इंधन वितरण केंद्र सप्ताह में कुछ दिन ही कार्यरत रहते थे ।

२ आ. राष्ट्रीय आपातकाल की परिस्थिति में उच्चपदस्थ शासकीय अधिकारियों का लापरवाही से बर्ताव

यहां सभी ओर काला बाजार चरमसीमा पर था । नई सरकार परिस्थिति पूर्ववत् करने के लिए कोई भी प्रयत्न करती हुई नहीं दिखाई दे रही थी । ऐसी राष्ट्रीय आपातकाल की परिस्थिति में सभी उच्चपदस्थ शासकीय अधिकारी अपनी चारचाकी गाडियों से घूमते पाए जा रहे थे । उन्हें गैस सिलिंडर की कमतरता न होने से केवल उनके ही घरों में गैस पर रसोई बनती थी; शेष जनता चूल्हे पर रसोई बनाती थी ।

 

३. भगवान ने प्रतिकूल परिस्थिति आने से पहले ही
करवा ली उपाययोजना पूर्वतैयारी एवं सामने आई परिस्थिति के लिए किए कुछ उपाय !

३ अ. घर में अनाज का संग्रह करने का विचार आने पर मां ने पहले
मान्य न करना, परंतु फिर स्वयं ही आवश्यक वस्तुओं का संग्रह करने के लिए तैयार होना

वर्ष २०१४ में मैं अपने घर नेपाल गई, तब मैंने मां से ३ माह का अनाज संग्रह करने के लिए कहा; परंतु उन्होंने मना कर दिया । फिर लगभग १ वर्ष पश्चात वे स्वयं ही अनाज संग्रह करने के लिए कहने लगीं । इसलिए हमने दाल, नमक, खाद्य तेल, साबुन, कपडे धोने का साबुन इत्यादि का संग्रह किया । तदुपरांत कुछ दिनों में ही सभी ओर जीवनावश्यक वस्तुओं की कमतरता हो गई ।

३ आ. मां ने घर के पिछवाडे में अनेक सब्जियां लगाईं थीं इसलिए खरीदने की आवश्यकता न पडना

ईश्वर की कृपा से मेरी मां ने घर के पीछे अनेक सब्जियां लगाईं हैं । इसलिए घर की रसोई के लिए लगनेवाली सब्जियां मिल जाती थीं । आवश्यकता लगने पर ही हम बाहर से खरीदते थे ।

३ इ. मोबाईल का आवश्यकतानुसार ही उपयोग करना

सलग कुछ दिनों तक बिजली नहीं होती थी । उस समय मैं अपना मोबाईल बंद रखती थी और आवश्यकता के अनुसार ही दिन में २ से ३ बार ही उसे शुरु करती थी ।

३ ई. सर्वसामान्य रोगों पर घरेलु उपचारों की जानकारी पहले लिख कर रखने से उसका उपयोग कर पाना

सर्वसामान्य रोगों पर घरेलु उपचारों की जानकारी लिखकर मैंने पहले ही उसकी प्रति निकाल ली थी । उसमें सर्दी, खांसी, बुखार, जुलाब, दांतों में वेदना, एलर्जी, सिर दर्द, अर्धशिशी (माइग्रेन), उलटी, थकान इत्यादि पर किए जानेवाले घरेलु उपायों का समावेश था । इसलिए आवश्यकता पडने पर मैं यही घरेलु उपाय करती थी ।

३ उ. बाहर के कामों के लिए साइकल का उपयोग करना

सेवा के अंतर्गत धर्माभिमानियों से मिलने के लिए अथवा घर के कुछ कामों के लिए बाहर जाते समय मैं साईकल का उपयोग करती थी ।

– कु. सानू थापा, नेपाल (२४.४.२०१६)

अब तक अनेक द्रष्टा साधु-संतों की भविष्यवाणीनुसार पृथ्वी पर शीघ्र ही आपातकाल का आरंभ होनेवाला है । त्सुनामी, जलप्रलय, भूकंप आदि अनेक आपत्तियों का हमें सामना करना होगा । आपातकाल दहलीज पर खडा है, फिर भी सर्वसामान्य जनता मौजमजा करना, पैसे कमाना और अनावश्यक खर्च करने में ही लगी है । नेपाल में आपातकालीन परिस्थिति का अभ्यास करने पर मनुष्य को किन संकटों का सामना करना होगा, इसकी थोडी-बहुत कल्पना ध्यान में आएगी । बिना मानसिक संतुलन खोए, ऐसी परिस्थिति का सामना करने के लिए ईश्वर पर श्रद्धा होना नितांत आवश्यक है । ईश्वर पर श्रद्धा रखनेवालों के लिए जहां भाव वहां भगवान ! फिर जिसपर भगवान का वरदहस्त है, उसका अहित कैसे होगा ? आपातकाल में भी भगवान हमारी रक्षा करेंगे । इसलिए साधना आज से ही आरंभ करें और श्रद्धापूर्वक ईश्वर की सहायता अनुभव करें ! – संपादक 

आगे आनेवाला आपातकाल कितना कठिन होगा और उस काल में एक-एक दिन जीने के लिए क्या व्यावहारिक, मानसिक और आध्यात्मिक तैयारियां करनी हैं, इसकी कल्पना इस लेख से आएगी । इसलिए यह लेख संग्रहित रखें ।- संपादक 

संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात

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