बसंत पंचमी
‘सरसः अवती’, अर्थात् एक गतिमें ज्ञान देनेवाली अर्थात् गतिमति । निष्क्रिय ब्रह्माका सक्रिय रूप; इसीलिए उन्हें ‘ब्रह्मा-विष्णु-महेश’, तीनोंको गति देनेवाली शक्ति कहते हैं ।
‘सरसः अवती’, अर्थात् एक गतिमें ज्ञान देनेवाली अर्थात् गतिमति । निष्क्रिय ब्रह्माका सक्रिय रूप; इसीलिए उन्हें ‘ब्रह्मा-विष्णु-महेश’, तीनोंको गति देनेवाली शक्ति कहते हैं ।
किसी भी समारोह अथवा कार्यको पूर्ण करनेके लिए देवताके आशीर्वाद आवश्यक हैं । शास्त्रीय पद्धति अनुसार उद्घाटन करनेसे दैविक तरंगोंका कार्यस्थलपर आगमन सुरक्षाकवचकी निर्मितिमें सहायक होता है ।
मृतकका सिर दक्षिणमें तथा पैर उत्तर दिशामें हों, इस प्रकार लिटाएं । उसके मुखमें गंगाजल / विभूति-जल डालें और तुलसीदल रखें ।
संवत्सरारंभ, श्रीरामनवमी, आदित्यपूजन, दशहरा (विजयादशमी) एवं मकरसंक्रांति तिथी पर श्रीरामतत्त्व की रंगोलियां बनाएं ।
श्रीविष्णु, श्रीराम एवं श्रीकृष्ण, अनेक श्रद्धालुओंके आस्थाकेंद्र हैं । कुछ हिंदुओंके ये सांप्रदायिक उपास्यदेवता हैं । बहुतांश उपासकोंको देवतासंबंधी जो थोडी-बहुत जानकारी रहती है, वह अधिकतर पढी-सुनी कथाओंसे होती है । ऐसी अल्प जानकारीके कारण देवताओंपर उनका विश्वास भी अल्प ही होता है । देवताओंकी अध्यात्मशास्त्रीय जानकारीसे उनके प्रति श्रद्धा निर्माण होती है एवं श्रद्धासे भावपूर्ण उपासना होती है । … Read more
त्रेतायुगमें श्रीविष्णुके सातवें अवतार श्रीरामजीने पुष्य नक्षत्रपर, मध्याह्न कालमें अयोध्यामें जन्म लिया । वह दिन था, चैत्र शुक्ल नवमी । तबसे श्रीरामजीके जन्मप्रीत्यर्थ श्रीरामनवमी मनाई जाती है ।
देवताके तत्त्वका निरंतर लाभ मिलता रहे, इस हेतु उनकी उपासना भी निरंतर होनी चाहिए और ऐसी एकमात्र उपासना है नामजप । कलियुगके लिए नामजप ही सरल एवं सर्वोत्तम उपासना है ।
हनुमान जयंती की पूजाविधि सामान्यत: इस प्रकार बनाई गई है कि सबके लिए सरल हो ।
वरुणदेवता की कृपा हम पर एवं हमारे परिजनों पर सदैव बनी रहे, इसलिए समुद्र के किनारे रहनेवाले और समुद्र के माध्यम से अपना चरितार्थ चलानेवाले लोग श्रावण पूर्णिमा के दिन वरुणदेवता की पूजा कर समुद्र को नारियल अर्पण करते हैं ।
१. व्युत्पत्ति एवं अर्थ गण ± पति · गणपति । संस्कृतकोशानुसार ‘गण’ अर्थात पवित्रक । पवित्रक अर्थात सूक्ष्मातिसूक्ष्म चैतन्यकण । ‘पति’ अर्थात स्वामी । ‘गणपति’ अर्थात पवित्रकोंके स्वामी । १. ‘ॐ गँ गणपतये नमः ।’ यह श्री गणेशजी का तारक नामजप सुनें । १. ‘श्री गणेशाय नमः ।’ यह श्री गणेशजी का तारक नामजप सुनें । … Read more