माघी श्री गणेश जयंती क्यों मनाते हैं ?
श्री गणेशजी की तरंगें जिस दिन प्रथम पृथ्वी पर आयी, अर्थात जिस दिन भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ, वह दिन था माघ शुक्ल पक्ष चतुर्थी । इसलिए माघ शुक्ल पक्ष चतुर्थी ‘श्री गणेश जयंती’ के रूप में मनाई जाती है । इसी दिन से गणपति का एवं चतुर्थी का संबंध जुड गया ।
माघी श्री गणेश जयंती एवं चतुर्थी का महत्त्व
माघ शुक्ल पक्ष चतुर्थी अर्थात माघी श्री गणेश जयंती की विशेषता यह है कि इस दिन अन्य दिनों की तुलना में श्री गणेशजी का तत्त्व १ सहस्र गुना अधिक कार्यरत रहता है । श्री गणेश का जन्म चतुर्थी की तिथि पर होने से, गणपति के स्पंदन तथा चतुर्थी तिथि पर पृथ्वी के स्पंदन एक समान होते है । अर्थात किसी भी चतुर्थी पर गणपति के स्पंदन पृथ्वी पर अधिक मात्रा में आ सकते हैं । प्रत्येक महीने की चतुर्थी पर गणेश-तत्त्व अन्य दिनों की तुलना में पृथ्वी पर १००० गुना अधिक कार्यरत रहता है । इस तिथि पर की गई श्री गणेश की उपासना से गणेश-तत्त्व का लाभ अधिक होता है ।
माघी श्री गणेश जयंती कैसे मनाएं ?
श्री गणेश का मंत्र जाप करें !
देवता की विविध उपासना में, देवता का जप सबसे श्रेष्ठ एवं सरल साधना है जो कलियुग में देवता के साथ निरंतर हमारा अनुसंधान बनाए रखता है । हम में भक्ति शीघ्र बढे एवं देवता के तत्त्व का अधिक लाभ हो, इसलिए भगवान के मंत्र अथवा जप का उचित उच्चारण करना आवश्यक है । देवता का मंत्र जाप भावपूर्ण करने पर ही वह भगवान तक पहुंचता है । जप करते समय उसका अर्थ समझकर बोलने पर वह अधिक भावपर्ण होने में सहायता होती है । आइए सुनते है भगवान श्री गणेश का मंत्र जप कैसे करें ।
सात्त्विक अक्षरोंमें चैतन्य होता है । सात्त्विक अक्षर एवं उनके चारों ओर निर्मित देवता-तत्त्व के अनुसार चौखट से युक्त श्री गणेश की नामजप -पट्टी सनातन संस्था ने बनाई है । यह नामजप-पट्टी संबंधित देवता का तत्त्व अधिक मात्रा में आकर्षित एवं प्रक्षेपित करती हैं । इस नामजप-पट्टी को घर में लगाने से घर में सात्त्विकता का अनुभव होता है । उस पर नामजप करने का स्मरण भी होता है।
श्री गणेशजी का स्तोत्र पठन करें !
‘स्तोत्र’ अर्थात भगवान का स्तवन, अर्थात भगवान की स्तुति । स्तोत्रपठन करने से व्यक्ति के सर्व ओर सूक्ष्म स्तर पर सुरक्षा-कवच निर्माण होकर, उसकी अनिष्ट शक्तियों से रक्षा होती है । श्री गणेशजी के २ स्तोत्र सुपिरिचित हैं । उनमें से एक है संकष्टनाशन स्तोत्र । ‘गणपति अथर्वशीर्ष’ यह श्री गणेशजी का दूसरा सुपरिचित स्तोत्र है । जब निर्धारित लय एवं सुर में कोई स्तोत्र कहा जाता है, तब उस स्तोत्र से एक विशेष चैतन्यमयी शक्ति की निर्मिती होती है । इसलिए स्तोत्र उसी लय में कहना आवश्यक है ।
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श्री गणेश जयंती के दिन श्री गणेश तत्त्व अधिक मात्रा में होने के कारण साधना करनेवाले भक्तों को विविध प्रकार की अनुभूतियां होती है । विविध त्योहार कैसे मनाएं, साधना कैसे करें, यह जानने के लिए हमारे ऑनलाइन सत्संग से जुडें !
माघी श्री गणेश जयंती पर कैसे करें गणेशजी की पूजा ?
श्री गणेश पूजा आरंभ करने से पूर्व ये प्रार्थना करें –
अ. हे श्री गणेश, इस पूजा से मेरे अंतःकरण में आपके प्रति भक्ति-भाव निर्माण हो ।
आ. इस पूजा से प्रक्षेपित होनेवाला चैतन्य मुझे आपकी कृपा से अधिक मात्रा में ग्रहण होने दीजिए ।
श्री गणपति को तिलक किस उंगली से लगाएं ? | अनामिका |
पुष्प कौन से चढाएं ? | अडहुल एवं लाल रंग के पुष्प |
किस सुगंध की अगरबत्ती का उपयोग करें ? | चंदन, केवडा, चमेली एवं खस (संख्या – २) |
अगरबत्ती की संख्या कितनी होनी चाहिए ? | दो |
किस सुगंध का इत्र अर्पित करें ? | हीना |
श्री गणपति की न्यूनतम कितनी परिक्रमाएं करें ? | न्यूनतम आठ अथवा आठ की गुना में |
श्री गणेश को गंध, हलदी-कुमकुम कैसे चढाएं ?
श्री गणेशजी को कौनसे पुष्प अर्पित करें ?
गुडहल के फूल की विशेषता दिखानेवाला सूक्ष्म-चित्र
दूर्वा (दूब) की विशेषता दिखानेवाला सूक्ष्म-चित्र
श्री गणेश की आरती
श्री गणेश की पूजा करने के बाद आरती की जाती है । उपासक के हृदय में भक्ति जगाने के लिए तथा देवता का कृपाशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सबसे अधिक सरल मार्ग है आरती । आरती गाने से हमें उन संतों के संकल्प एवं आशीर्वाद का भी लाभ होता है । आरती गाने पर हमें देवताओं के चैतन्य एवं शक्ति का भी अधिक लाभ होता है । ऐसी आरतियों को जब हम शास्त्रोक्त पद्धति से, अंतर्मन से, लगन से तथा भाव से गाते हैं तभी हमारा आरती गाने का उद्देश्य सफल होता है ।
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‘गणेश पूजा एवं आरती’ एप
इस एप में श्री गणेश की संपूर्ण जानकारी दी है जिसे पढकर हममें भक्तिभाव जागृत होगा । इसमें पूजाविधि के लिए आवश्यक सामग्री, पूजा की आवश्यक पूर्वतैयारी, भोग लगाना आदि जानकारी के साथ ही षोडशोपचार पूजाविधि का ‘ऑडियो’ भी उपलब्ध है । इसके साथ ही श्री गणेशजी के तीर्थस्थान, श्री अष्टविनायक मंदिरों का इतिहास एवं पौराणिक कथाएं भी अंतर्भूत हैं । ये एप मराठी, हिन्दी, कन्नड एवं अंग्रेजी भाषाओं में उपलब्ध है ।


‘सनातन चैतन्यवाणी’ ऑडिओ एप
इस एप में सात्त्विक पुरोहित द्वारा कहे गए श्रीदुर्गासप्तश्लोकी, श्री गणेश अथर्वशीर्ष, श्रीरामरक्षास्तोत्र, मारुतिस्तोत्र, श्रीकृष्णाष्टक, अगस्त्योक्त-आदित्यहृदय-स्तोत्र हैं । इसके साथ ही संतों द्वारा विशिष्ट लय में कहे गए श्रीराम, श्रीकृष्ण, श्री गणेश, श्री दुर्गादेवी, दत्तात्रेय एवं शिव के नामजप हैं । भावपूर्ण लय में साधकों द्वारा गाए विविध देवताओं की आरतियों सहित सालभर में आनेवाले विविध त्योहारों के समय एवं प्रतिदिन कहे जानेवाले विविध श्लोकों का भी समावेश इस एप में किया गया है ।
