जीवन के आरंभिक काल से साधना करने का महत्त्व !

‘अनेक पति-पत्नी जीवन भर लडते-झगडते रहते हैं और आगे बुढापे में उन्हें समझ में आता है कि ‘ कष्ट का उपाय केवल साधना करना ही है ।’ उस समय ‘जीवनभर साधना क्यों नहीं की’ इसका पश्चाताप करने के अतिरिक्त उनके पास कोई विकल्प नहीं होता ।’

– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले,

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