पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं, इस उक्ति के अनुसार परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के देह में से बचपन से ही चैतन्य का प्रक्षेपण हो रहा है । अध्यात्म क्षेत्र के अधिकारी व्यक्ति को, साथ ही सूक्ष्म आयाम को समझने की क्षमता से युक्त व्यक्ति को वह चैतन्य अनुभव होता है । जबं परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी २ वर्ष के थे, तब का यह छायाचित्र है । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के इस छायाचित्र का सूक्ष्म-परीक्षण, ६७ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कु. प्रियांका लोटलीकर ने किया तथा उसी छायाचित्र के अनुसार चेन्नई की सनातन की साधिका ६८ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त श्रीमती उमा रविचंद्रन् द्वारा बनाया गया । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की स्थूल-स्तरीय विशेषताएं दर्शानेवाला छायाचित्र भी यहां प्रकाशित कर रहे हैं । इसी से परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी में बचपन में ही कार्यरत चैतन्य की अनुभूति की प्रचीति ले सकते हैं ।
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परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के देह से बचपन में प्रक्षेपित होनेवाली चैतन्य की अनुभूति
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