श्री हनुमानचालीसा का पठन, श्रीहनुमान का तारक एवं मारक नामजप आध्यात्मिकदृष्टि से लाभदायी होना; परंतु स्तोत्रपठन की तुलना में नामजप का परिणाम अधिक होना

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‘महर्षि अध्यात्म विश्व‍वविद्यालय’ने
‘यू.टी.एस्. (युनिवर्सल थर्मो स्कैनर)’ इस उपकरण द्वारा किया वैज्ञानिक परीक्षण

‘समाज के अधिकांश व्यक्तियों को अनिष्ट शक्तियों का कष्ट होता है । अनेक बार अनिष्ट शक्तियों के कष्ट के कारण व्यक्ति को शारीरिक एवं मानसिक कष्ट होता है, इसके साथ ही जीवन में अन्य भी अडचनें आती हैं । अनिष्ट शक्तियों का निवारण करनेवाले देवताओं में से एक हैं श्री हनुमानजी । सभी देवताओं में केवल श्री हनुमानजी को अनिष्ट शक्तियां कष्ट नहीं दे सकतीं । लंका में लाखों राक्षस थे, तब भी वे श्री हनुमानजी को कुछ नहीं कर सके । इसीलिए श्री हनुमानजी को ‘भूतों का स्वामी’ कहा जाता है । यदि किसी को भूत ने पछाड लिया, तो उस व्यक्ति को श्रीहनुमानजी के मंदिर में ले जाते हैं अथवा मारुतिस्तोत्र, हनुमानचालीसा कहते हैं । हनुमानजी के नामजप से अनिष्ट शक्तियों के कष्टों से रक्षा होती है ।’ (संदर्भ : सनातनका लघुग्रंथ – ‘मारुति’)

श्री हनुमानचालीसा का पठन करना एवं हनुमानजी का नामजप करना, इसका उसे करनेवालों पर क्या परिणाम होता है ?’, इसका विज्ञानद्वारा अभ्यास करने के लिए रामनाथी, गोवा के सनातन के आश्रम में ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’की ओर से परीक्षण किया गया । इस परीक्षण के लिए ‘यू.टी.एस्. (युनिवर्सल थर्मो स्कैनर)’ इस उपकरण का उपयोग किया गया । इस परीक्षण का स्वरूप और किए गए परीक्षण का विवरण आगे दिया है ।

 

१. परीक्षण का स्वरूप

इस परीक्षण के अंतर्गत कुल तीन परीक्षण किए गए । पहले परीक्षण में तीव्र आध्यात्मिक कष्टवाली साधिका एवं आध्यात्मिक कष्ट विरहित साधकों ने श्री हनुमान चालिसा का पठन करने से पूर्व एवं पठन करने के उपरांत उनके ‘यू.टी.एस्.’ उपकरण द्वारा किए निरीक्षण प्रविष्ट किए गए । श्रीहनुमान चालिसा का पठन करने के लिए दोनों साधकों को १५-१५ मिनट लगे ।

दूसरे परीक्षण में दोनों साधकों ने हनुमान का ‘श्री हनुमते नम: ।’ यह तारक नामजप १५ मिनट किया । साधकों को वह नामजप करने से पूर्व एवं नामजप करने के पश्चात ‘यू.टी.एस्.’ उपकरण द्वारा किए हुए निरीक्षण प्रविष्ट किए गए । तीसरे परीक्षण में दोनों साधकों ने हनुमान का ‘ॐ हं हनुमते नम: ।’ यह मारक नामजप १५ मिनट किया । साधकों के वह नामजप करने से पूर्व एवं नामजप करने के पश्चात उनके ‘यू.टी.एस्.’ उपकरण द्वारा किए निरीक्षणों की प्रविष्टी की गई ।

इन परीक्षणों के सर्व निरीक्षणों का तुलनात्मक अभ्यास किया गया ।

टिप्पणी – आध्यात्मिक कष्ट : आध्यात्मिक कष्ट होना, अर्थात व्यक्ति में नकारात्मक स्पंदन होना । व्यक्ति में नकारात्मक स्पंदन ५० प्रतिशत अथवा उससे भी अधिक मात्रा में होना, अर्थात तीव्र कष्ट, नकारात्मक स्पंदन ३० से ४९ प्रतिशत होना, अर्थात मध्यम कष्ट, और ३० प्रतिशत से अल्प होना, अर्थात मंद आध्यात्मिक कष्ट होना है । आध्यात्मिक कष्ट प्रारब्ध, पूर्वजों के कष्ट आदि आध्यात्मिक स्तर के कारण होते हैं । आध्यात्मिक कष्ट का निदान संत अथवा सूक्ष्म स्पंदन समझ पानेवाले साधक कर सकते हैं ।

पाठकों को सूचना

इस लेख के ‘यू.टी.एस्.’ उपकरण का परिचय’, ‘उपकरण द्वारा किए जानेवाले घटक एवं उनका विवरण’, ‘घटक का प्रभामंडल नापना’, ‘परीक्षण की पद्धति’ एवं ‘परीक्षण में समानता आने के लिए ली गई दक्षता’ यह सदैव का सूत्र सनातन संस्था के www.sanatan.org/hindi/universal-scanner लिंक पर दिया है । इस लिंक में कुछ अक्षर कैपिटल (Capital) हैं ।

 

२. परीक्षण के निरीक्षण एवं उनका विवेचन

२ अ. नकारात्मक ऊर्जा के संदर्भ में किए निरीक्षणों का विवेचन

२ अ १. तीव्र आध्यात्मिक कष्टवाली साधिका द्वारा श्री हनुमानचालीसा के पठन के उपरांत उसकी ‘इन्फ्रारेड’ नकारात्मक ऊर्जा न्यून होना तथा हनुमान का तारक एवं मारक नामजप करने के उपरांत उसकी ‘इन्फ्रारेड’ नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाना

 

तीव्र आध्यात्मिक कष्टवाली साधिका में ‘इन्फ्रारेड’ नकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल (मीटर)
पठन एवं नामजप करने से पूर्व पठन एवं नामजप करने को पश्चात
१. हनुमानचालीसा का पठन करना ४.८१ १.३२
२. हनुमान का तारक नामजप करना ४.१४ – (टिप्पणी)
३. हनुमान का मारक नामजप करना ४.८० – (टिप्पणी)

टिप्पणी – हनुमान का तारक एवं मारक नामजप करने के उपरांत साधिका के संदर्भ में ‘यू.टी. स्कैनर’की भुजाओं ने ० अंश का कोण बनाया । (‘यू.टी. स्कैनर’की भुजाओं का ० अंश करना, अर्थात साधिका में वह नकारात्मक ऊर्जा नहीं है ।’)

उपरोक्त सारणी से आगे दिए सूत्र ध्यान में आते हैं ।

१. श्री हनुमानचालीसा का पठन करने के उपरांत साधिका में ‘इन्फ्रारेड’ नकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल ३.४९ मीटर घट गया ।
२. हनुमान का तारक एवं मारक नामजप करने के उपरांत साधिका की ‘इन्फ्रारेड’ नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो गई ।

२ अ २. तीव्र आध्यात्मिक कष्टवाली साधिका द्वारा श्री हनुमानचालीसा का पठन, इसके साथ ही हनुमान का तारक एवं मारक नामजप करने के उपरांत उसमें विद्यमान ‘अल्ट्रावायोलेट’ नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होना ।

 

तीव्र आध्यात्मिक कष्टवाली साधिका में ‘अल्ट्रावायोलेट’ नकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल (मीटर)
पठन एवं नामजप करने से पूर्व पठन एवं नामजप करने को पश्चात
१. हनुमानचालीसा का पठन करना २.४७ – (टिप्पणी)
२. हनुमान का तारक नामजप करना २.४५ – (टिप्पणी)
३. हनुमान का मारक नामजप करना २.४४ – (टिप्पणी)

टिप्पणी – श्री हनुमानचालीसा के पठन, हनुमान का तारक एवं मारक नामजप करने के उपरांत साधिका के संदर्भ में ‘यू.टी. स्कैनर’की भुजाओं ने ० अंश का कोण किया । (‘यू.टी. स्कैनर’की भुजाओं द्वारा ० अंश करना अर्थात साधिका में वह नकारात्मक ऊर्जा नहीं है ।’)

२ अ ३. आध्यात्मिक कष्ट विरहित साधक में नकारात्मक ऊर्जा नहीं पाई गई ।

२ आ. सकारात्मक ऊर्जा के संदर्भ में किए निरीक्षणों का विवेचन

सभी व्यक्ति, वास्तू अथवा वस्तु में सकारात्मक ऊर्जा होती ही है, ऐसा नहीं है ।

२ आ १. तीव्र आध्यात्मिक कष्टवाली साधिका द्वारा श्री हनुमानचालीसा का पठन, इसके साथ ही हनुमान का तारक एवं मारक नामजप करने के पश्चात उसमें सकारात्मक ऊर्जा निर्माण होना

तीव्र आध्यात्मिक कष्टवाली साधिका में आरंभ में सकारात्मक ऊर्जा नहीं थी । साधिका द्वारा श्री हनुमानचालीसा के पठन, इसके साथ ही हनुमान का तारक एवं मारक नामजप करने के उपरांत उसमें सकारात्मक ऊर्जा निर्माण हो गई ।

 

तीव्र आध्यात्मिक कष्टवाली साधिका में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल (मीटर)
पठन एवं नामजप करने से पूर्व पठन एवं नामजप करने को पश्चात
१. हनुमानचालीसा का पठन करना – (टिप्पणी) २.०४
२. हनुमान का तारक नामजप करना – (टिप्पणी) ५.४७
३. हनुमान का मारक नामजप करना – (टिप्पणी) ९.२२

टीप – श्री हनुमानचालीसा का पठन, हनुमान का तारक एवं मारक नामजप करने से पूर्व साधिका के संदर्भ में ‘यू.टी. स्कैनर’की भुजाओं ने ० अंश का कोण बनाया । (‘यू.टी. स्कैनर’की भुजाओं का ० अंश करना अर्थात साधिका में सकारात्मक ऊर्जा नहीं है ।)

उपरोक्त सारणी से ध्यान में आता है कि हनुमान का मारक नामजप करने के उपरांत साधिका में सर्वाधिक मात्रा में सकारात्मक ऊर्जा निर्माण हो गई ।

२ आ २. आध्यात्मिक कष्ट विरहित साधक को श्री हनुमानचालीसा का पठन, इसके साथ ही हनुमान का तारक एवं मारक नामजप करने के उपरांत उनकी सकारात्मक ऊर्जा के प्रभामंडल में वृद्धि होना

 

आध्यात्मिक कष्ट ‍विरहित साधिका में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल (मीटर)
पठन एवं नामजप करने से पूर्व पठन एवं नामजप करने के पश्चात सकारात्मक ऊर्जा के प्रभामंडल में हुई वृद्धि
१. हनुमानचालीसा का पठन करना १.२० २.८४ १.६४
२. हनुमान का तारक नामजप करना १.७१ ४.३६ २.६५
३. हनुमान का मारक नामजप करना १.७५ ५.२० ३.४५

उपरोक्त सारणी से ध्यान में आता है कि हनुमान का मारक नामजप करने के उपरांत साधक की सकारात्मक ऊर्जा के प्रभामंडल में सर्वाधिक मात्रा में वृद्धि हुई ।

२ इ. कुल प्रभामंडल के (टिप्पणी) संदर्भ में किए निरीक्षणों का विवेचन

टिप्पणी – कुल प्रभामंडल : व्यक्ति के संदर्भ में उसकी लार, वस्तु के संदर्भ में उसपर आए धूल के कण अथवा थोडा-से भाग को ‘नमूना´ के रूप में उपयोग कर उस व्यक्ति की एवं वस्तु का ‘कुल प्रभामंडल’ नापते हैं ।

सामान्य व्यक्ति अथवा वस्तु का कुल प्रभामंडल सामान्यत: १ मीटर होता है । – श्रीमती मधुरा धनंजय कर्वे, महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय, गोवा.

२ इ १. श्री हनुमानचालीसा का पठन, इसके साथ ही हनुमान का तारक एवं मारक नामजप करने के उपरांत तीव्र आध्यात्मिक कष्टवाली साधिका एवं आध्यात्मिक कष्ट विरहित साधक के कुल प्रभामंडल में वृद्धि होना

 

पठन एवं नामजप करने के उपरांत साधकों के कुल प्रभामंडल में हुई वृद्धि (मीटर)
तीव्र आध्यात्मिक कष्टवाली साधिका आध्यात्मिक कष्ट विरहित साधिका
१. हनुमानचालीसा का पठन करना ०.२० १.९९
२. हनुमान का तारक नामजप करना ०.७० ३.३२
३. हनुमान का मारक नामजप करना ५.५८ ४.१२

उपरोक्त सारणी से ध्यान में आता है कि हनुमान का मारक नामजप करने के उपरांत दोनों साधकों के कुल प्रभामंडल में सर्वाधिक वृद्धि हुई है ।

उपरोक्त सर्व सूत्रों के विषय में अध्यात्मशास्त्रीय विश्‍लेषण ‘सूत्र ३’ में दिया है ।

 

३. परीक्षण के निरीक्षणों का अध्यात्मशास्त्रीय विश्लेषण

३ अ. श्री हनुमानचालीसा

‘श्री हनुमान चालीसा स्तोत्र की रचना संत गोस्वामी तुलसीदास ने १६ वीं शताब्दी में की । श्री हनुमानचालीसा अवधी भाषा में है । यह स्तोत्र ४० श्लोकों का है, इसीलिए उसे चालीसा कहते हैं ।’ (संदर्भ : https://mr.wikipedia.org/wiki/हनुमान_चालीसा) ‘स्तूयते अनेन इति’ अर्थात जिससे देवी-देवताओं का स्तवन किया जाए वह स्तोत्र, ऐसी स्तोत्र शब्द की व्याख्या है । स्तोत्र में देवता की स्तुति के साथ ही स्तोत्रपठण करनेवाले के सर्व ओर कवच (संरक्षक आवरण) निर्माण करने की शक्ति भी होती है । स्तोत्रों में दी हुई फलश्रुति के पीछे रचयिता का संकल्प होने से वह पठन करनेवाले को फलश्रुति के कारण फल मिलता है ।’ (संदर्भ : सनातनका लघुग्रंथ – ‘श्रीरामरक्षास्तोत्र’)

३ आ. हनुमान का नामजप

‘श्री हनुमान में प्रकट शक्ति (७२ प्रतिशत) अन्य दे‌वताओं की (१० प्रतिशत) तुलना में अत्यंत अधिक होने से अनिष्ट शक्तियों के कष्ट के निवारणार्थ, इसके साथ ही रोगनिवारणार्थ श्री हनुमान की उपासना करते हैं । श्री हनुमान के नामजप से अनिष्ट शक्तियों के कष्टों की रक्षा होती है ।’ (संदर्भ : सनातनका लघुग्रंथ – ‘श्री हनुमान’)
परीक्षण के दोनों साधकों को श्री हनुमानचालीसा का पठन, इसके साथ ही हनुमान के तारक एवं मारक नामजप करने पर आध्यात्मिक स्तर के लाभ हुए । वे आगे दिए हैं ।

३ आ १. तीव्र आध्यात्मिक कष्ट विरहित साधिका

तीव्र आध्यात्मिक कष्ट विरहित साधिका में अनिष्ट शक्तियों के कष्टों के कारण कष्टदायक शक्ति का स्थान होता है, इसके साथ ही उसके सर्व ओर कष्टदायक शक्ति का आवरण भी होता है । शरीर की कष्टदायक शक्ति ‘अल्ट्रावायोलेट’ इस नकारात्मक ऊर्जा से दर्शाई जाती है और शरीर के सर्व ओर कष्टदायक शक्ति का आवरण ‘इन्फ्रारेड’ इस नकारात्मक ऊर्जा से दर्शाया जाता है । श्री हनुमानचालीसा का पठन, इसके साथ ही श्री हनुमान का नामजप करने के उपरांत तीव्र आध्यात्मिक कष्टवाली साधिका के शरीर की कष्टदायक शक्ति के स्थान की नकारात्मक ऊर्जा (‘अल्ट्रावायोलेट’ ऊर्जा) एवं साधिका के सर्व ओर नकारात्मक ऊर्जा (‘इन्फ्रारेड’ ऊर्जा) काफी मात्रा में न्यून हो गईं अथवा नष्ट हो गई, इसके साथ ही उसमें सकारात्मक ऊर्जा निर्माण हो गई । तीव्र आध्यात्मिक कष्टवाली साधिका में सकारात्मक ऊर्जा निर्माण होना, यह भी विशेष है ।

३ आ २. आध्यात्मिक कष्ट विरहित साधक

आध्यात्मिक कष्ट विरहित साधक के सर्व ओर ऊर्जा नहीं थी । श्री हनुमानचालीसा का पठन, इसके साथ ही हनुमान का नामजप करने के उपरांत उसकी सकारात्मक ऊर्जा के प्रभामंडल में वृद्धि हुई ।
यह सर्व परिणाम श्री हनुमानचालीसा के पठन, इसके साथ ही श्री हनुमान का नामजप की सकारात्मक ऊर्जा के कारण हुआ । सकारात्मक ऊर्जा के कारण किसी के सर्व ओर विद्यमान कष्टदायक शक्ति का आवरण दूर होना सरल है; परंतु किसी में कष्टदायक शक्ति के स्थान की कष्टदायी शक्ति दूर होने हेतु काफी अधिक मात्रा में सकारात्मक ऊर्जा आवश्यक होती है । श्री हनुमानचालीसा के केवल १५ मिनटों के पठन से, इसके साथ ही हनुमान के केवल १५ मिनटों के नामजप से ये दोनों साध्य हुए ।

यहां विशेष ध्यान में रखने योग्य सूत्र यह है कि परीक्षण में दोनों साधकों पर श्री हनुमानचालीसा की तुलना में श्री हनुमान के नामजप का परिणाम अधिक मात्रा में हुआ । उसमें भी श्रीहनुमान के तारक स्वरूप की नामजप से अधिक मारक स्वरूप के नामजप का परिणाम सर्वाधिक हुआ । इसका कारण ‘हनुमान के तारक स्वरूप के नामजप की तुलना में मारक स्वरूप के नामजप में अधिक शक्ति होती है’, यह है ।’

– श्रीमती मधुरा धनंजय कर्वे, महर्षि अध्यात्म विश्व‍वविद्यालय, गोवा. (१६.४.२०१९)
ई-मेल : [email protected]

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