हिंदुत्व एक सामर्थ्यशाली संस्कृती है : डेविड फ्रॉली, अमेरिकी वैदिक शिक्षक

जो बात पाश्चात्यों को समझ में आती वह भारतीयों को कब समझेगी ? – सम्पादक, हिन्दूजागृति

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पद्म भूषण से सम्मानित अमेरिकी वैदिक टीचर डेविड फ्रॉली भारत में पंडित वामदेव शास्त्री के नाम से भी जाने जाते हैं। उनके पास योग और वैदिक विज्ञान में डी-लिट की उपाधि है। वह वेद, हिंदुत्व, योग, आयुर्वेद और वैदिक ज्योतिषी पर कई पुस्तके लिख चुके हैं।

ट्रिपल तलाक और समान नागरिकता जैसे मुद्दों पर देश में चल रहे मुद्दोंपर वह कहते हैं कि भारत संवैधानिक व्याख्या के अनुसार स्वयं के धर्मनिरपेक्षता होने की घोषणा तो करता है किंतु असल में यहां कोई समान नागरी कानून नहीं है। वह संविधान से ‘सोशलिस्ट’ शब्द हटाने की भी वकालत करते हैं।

१. आपने लिखा है कि हिंदुत्व के खिलाफ
सांस्कृतिक युद्ध चल रहा है, क्या हिंदुत्व खतरे में है ?

उत्तर : हिंदुत्व के खिलाफ सांस्कृतिक युद्ध इसलिए चल रहा है क्योंकि यह एक बहुत शक्तिशाली संस्कृती है। भारत में बहुत सारी हिंदू एक्टिविटीज और प्रैक्टिस की मीडिया और एकेडमीशियन आलोचना कर रहे हैं। यहां तक कि न्यायालय भी ऐसा कर रहा हैं। भारत का सर्वोच्च न्यायालय बिना किसी केस के हिंदू परंपरा, हिंदू प्रैक्टिस के खिलाफ जजमेंट दे रहा है। न्यायालय ईसाई अथवा इस्लामी परंपरा के खिलाफ ऐसा नहीं कर रहीं। हम देख रहे हैं कि हिंदुत्व के बारे में जो जानकारी आ रही है वह गैरहिंदुओं जैसे मार्क्सवादियों से, ईसाइयों से और यहां तक कि अमेरिका से आ रही है। यूएस में कई रिलीजियस डिपार्टमेंट हैं, उसमें जो दूसरे रिलीजियस डिपार्टमेंट हैं उनमें आम तौर पर उसी रिलिजन के लोग हैं जो पढ़ा रहे हैं। पर हिंदू डिपार्टमेंट में शायद ही कोई हिंदू है।

२. आपने न्यायालय पर प्रश्न उठाया,
क्या इसपर न्यायालय को नहीं बोलना चाहिए?

उत्तर : कौन-सी धार्मिक परंपरा सही है और किस पर प्रतिबन्ध होना चाहिए- यह न्यायालय का विषय नहीं है। हैरानी है कि जो न्यायालय जल्लीकट्टू या दहीहांडी पर निर्णय देती है, वही दूसरे धर्मों के मसलों पर कुछ नहीं बोलती।

३. न्यायालय नहीं तो कौन बोलेगा,
कई ऐसी परंपरा और प्रैक्टिस में लोग मरते हैं?

उत्तर : लोग तो क्रिसमस ट्री में आग लगाने से भी मरते हैं, तो क्या उसे प्रतिबन्ध कर देंगे। प्रतिबन्ध की अपेक्षा ज्यादा सुरक्षा के इंतजाम होने चाहिए। लोग भगदड में मरते हैं तो क्या धार्मिक जमावड़े को प्रतिबन्ध कर देंगे? जरूरी यह है कि ऐसे मामलों को धार्मिक समुदाय या पंथ खुद ही रेगुलेट करें और तय करें कि उनसे कोई नुकसान न हो। मीडिया तब प्रश्न नहीं उठाता जब हिंदू कार्यकर्ताआें पर, आरएसएस कार्यकर्ताओं पर अाक्रमण होते हैं किंतु जब मामला गैरहिंदुओं का हो, तो वह राष्ट्रीय समाचार बन जाता है।

४. भारत में हिंदू बहुसंख्यक होते हुए भी ऐसा क्यों हैं?

उत्तर : हिंदू बहुसंख्यक जरूर हैं किंतु नेहरू के समय से सरकार ने ज्यादा वामपंथीयों की नीति अपनाई। यदि हम भारत के विद्यालयो में पढ़ाई जाने वाली इतिहास की पुस्तिकाए देखें तो प्राचीन भारत पर जो भी लिखा है, वह सब वामपंथीयों ने लिखा है। इतिहास को राजनैतिक अजेंडे के लिए तोड-मरोड कर प्रस्तुत किया गया है।

५. तो क्या नेहरू ने हिंदू संस्कृती को नुकसान पहुंचाया?

उत्तर : हां, कुछ सीमा तक पहुंचाया है । नेहरू ने ब्रिटिश संस्कृती का अनुकरण किया, वह नास्तिक थे । वह अलग तरह का भारत बनाना चाहते थे। कई मामलों में वह गांधी से अलग थे। जो नेहरू ने किया वह इंदिरा गांधी ने भी किया। जेएनयू को देखिए, वहां आप हिंदुत्व पढ नहीं सकते, योग की भी वहां अनुमती नहीं है। वह लेफ्टिस्ट ओरिएंटेड ऑर्गनाइजेशन बना है। विश्व में चीन को छोडकर भारत ही अकेला ऐसा देश दिख रहा है जहां वामपंथी छात्र संघ है। यूएस में वामपंथी छात्र संघ पर प्रतिबन्ध हैं।

यानी भारत ने सेकुलरिजम को सही से डिफाइन नहीं किया है?

उत्तर : सही ढंग से डिफाइन ही नहीं किया, बल्कि इसका मिसयूज भी हुआ है। जैसे गांधी को भारत में सेकुलर फिगर के तौर पर सम्मान दिया जाता है लेकिन वेस्ट में उन्हें रिलीजियस फिगर के तौर पर सम्मान दिया जाता है।

हिंदुत्व के लिए बड़ा खतरा क्या है, ईसाइयत या इस्लाम?

उत्तर : हर धर्म में अच्छे लोग भी हैं, पर ईसाइयत की यह योजना है कि वह भारत को धर्मांतरित करें। पूर्व पोप ने भी यही कहा है। इसमें वे पैसा लगा रहे हैं । इस्लाम भी धर्मांतरण को बढावा दे रहा है, जाकीर नार्इक जैसे राष्ट्रद्रोही को बढावा दे रहा है, जाकिर नाइक जैसे लोग भारत को इस्लामीस्तान करना चाहते है । इस्लाम के लोग जिहादी आक्रमण कर रहे हैं। हिंदुओं को इस खतरे से आगाह रहना होगा।

स्त्रोत : नवभारत टाइम्स

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