गहरी सांस लेना, यह मनुष्य के लिए एक परिपूर्ण औषधि !

श्वास जीवन का आधार है । मन एवं जीवन में रहस्यमय डोर है । श्वास, जिसके आधार पर प्रत्येक प्राणी जीवन में कदम रखता है । इसलिए शारीरिक संरचना में श्वास की गति का स्थान महत्त्वपूर्ण है; कारण श्वास की गति बढने से शरीर का तापमान बढता है । उसे हम अल्पायु का संकेतांक कह सकते हैं ।

सोते समय शरीर की स्थिति कैसी हो ?

निद्रा का उद्देश्य होता है शरीर को विश्राम मिले । इस दृष्टि से ‘जिस स्थिति में शरीर को सबसे अधिक आराम मिले, निद्रा की वही स्थिति अच्छी’, यह सामान्य नियम है ।

उपवास

‘विविध उपवास भारतीय संस्कृति की विशेषताएं हैं । इन उपवासों में साधु-संतों के, ऋषि-मुनियों के आशीर्वाद होने से उपासकों को दैवीय तेज प्राप्त होता है ।

निरोगी शरीर के लिए परिहार के विरुद्ध आहार लेना टालें !

‘आयुर्वेदीय आहारमंत्र’ नामक मेरी इस पुस्तक में भोजनविधि की विस्तृत जानकारी दी है । भूख लगनेपर हाथ स्वच्छ धोकर उष्ण, ताजे, स्निग्ध पदार्थ एकाग्रचित्त से एवं पेट में थोडी जगह रखकर खाएं, ऐसे कुछ नियम हैं । ढाबे पर बैठकर लिया गया आहार ‘विधिविरुद्ध आहार’ है ।

नींद कब और कितनी लें ?

आजकल रात में देर से भोजन करने एवं सोने की पद्धति सर्वत्र प्रचलित हो गई है । इसलिए अधिकांश लोगों के लिए शीघ्र उठना संभव नहीं होता । रात में देर से खाना एवं सवेरे देर से उठना, यह अनेक रोगों को आमंत्रण देनेवाला है ।

उदयकाल के संदर्भ में पालन करने योग्य आचार

उदयकालीन सूर्य की किरणों का स्पर्श क्यों न होने दें ?, सूर्योदय एवं सूर्यास्त के संधिकाल में साधना करने का महत्त्व
सनातन निर्मित ग्रंथ : आदर्श दिनचर्या एवं अध्यात्मशास्त्र

भगवान को नैवेद्य दिखाने का आधारभूत शास्त्र

नैवेद्य दिखाते समय सात्त्विक अन्न का नैवेद्य भावपूर्ण प्रार्थना करके भगवान को अर्पण करने पर उस नैवेद्य के पदार्थ की सात्त्विकता के कारण भगवान से प्रक्षेपित होनेवाली चैतन्य-लहरें नैवेद्य की ओर आकृष्ट होती हैं । इससे नैवेद्य के लिए अन्न बनाते समय उसमें देशी घी के समान सात्त्विक पदार्थाें का उपयोग किया जाता है ।

केले के पत्ते : पर्यावरणपूरक एवं वैज्ञानिकदृष्टि से उपयुक्त

भाग्यनगर में (हैद्राबाद) एक शास्त्रज्ञ ने खोज की, केले के पेड के तने अथवा केले के पेड मे लगे केलोंके गुच्छे के सिरे पर कमल के आकार का सिरा, पत्तों में जो चिपचिपा द्रव्य पदार्थ होता है, उसे खाने के उपरांत कर्करोग (कैंसर) बढानेवाली ग्रंथी धीरे-धीरे निष्क्रीय होती जाती है ।

रसोईघर कैसा हो ?

अन्न खुला न रखें, अन्न को ढककर रखें । स्थूलरूप से अन्न की रक्षा हेतु, अन्न में कोई जीव-जंतु न जाए आदि कारणों से हम उसे ढककर रखते हैं । स्थूल के साथ सूक्ष्मरूप से भी अन्न की रक्षा हो, इसके लिए उ से ढकना आवश्यक है ।

ब्राह्ममुहूर्त पर उठने के ९ लाभ !

ब्राह्ममुहूर्त यह सवेरे ३.४५ से ५.३० तक ऐसे दो घंटों का होता है । इसे रात्रि का ‘चौथा प्रहर’ अथवा ‘उत्तररात्रि’ भी कहते हैं । इस काल में अनेक बातें ऐसी होती रहती हैं कि जो दिनभर के काम के लिए लगनेवाली ऊर्जा करती हैं । इस मुहूर्त पर उठने से हमें एक ही समय पर ९ लाभ मिलते हैं ।