कंबोडिया में एक समय पर अस्तित्व में होनेवाली हिन्दुओं की वैभवशाली संस्कृति के पतन का कारण और वर्तमान स्थिति !

अहंकार और आंतरिक कलह के कारण खमेर साम्राज्य
का पतन होना, इसके विपरीत भारत के त्रावणकोर में हिन्दू राजाओं
ने ‘भगवान के सेवक’ के रूप में राज्य करने से आज भी तिरुवनंतपुरम्
में मंदिर जागृत होने से विश्‍वभर के भक्तों का इस मंदिर की ओर आकर्षित होना

‘महाभारत में जिस देश को ‘कंभोज देश’ संबोधित किया है, वह हैं आज का कंबोडिया देश । यहां सहस्रों वर्षों से हिन्दुओं ने राज्य किया । ७ वीं शताब्दी से लेकर १५ वीं शताब्दी तक जिन्होंने कंबोडिया पर राज्य किया, उस साम्राज्य को खमेर साम्राज्य कहते हैं । इस खमेर साम्राज्य के राजा स्वयं को चक्रवर्ती अर्थात ‘पृथ्वी के राजा’ समझते थे । कदाचित इससे भी उनमें आपस में अनेक लडाईयां हुईं होंगी । कंबोडिया के पडोसी श्याम देश (आज का थायलैंड) और चंपा देश (आज का विएतनाम) ने खमेर राजाओं का अहंकार और आंतरिक कलह का लाभ उठाकर अनेक बार खमेर साम्राज्य पर आक्रमण किया । १५ वीं शताब्दी में यह खमेर साम्राज्य नष्ट हो गया और वहां की हिन्दू संस्कृति भी लुप्त हो गई । खमेर राजाओं द्वारा निर्मित विश्‍व के सबसे बडे मंदिर ‘अंकोर वाट’ में गत ५०० वर्षों से पूजा नहींं हुई । मंदिर की ओर देखकर अप्रसन्न लगता है ।

इसके विपरीत भारत के केरल में त्रावणकोर में हिन्दू राजाओं द्वारा हम बहुत कुछ सीख सकते हैं । त्रावणकोर के राजाओं ने तिरुवनंतपुरम् में अनंतपद्मनाभ मंदिर निर्माण किया और स्वयं को ‘पद्मनाभ दास’ नाम दिया । इस अवसर पर त्रावणकोर के राजा स्वयं को भगवान के सेवक के रूप में राज्य संभालते थे; इसीलिए इतने वर्ष हो गए तब भी तिरुवनंतपुरम् में मंदिर जागृत हैैं और वहां प्रतिदिन पूजा और उपासना हो रही है । आज भी सहस्रों भक्तों को अनुभूति आती है और विश्‍वभर के भक्त इस मंदिर की ओर आकर्षित होते हैं ।’

– श्री. विनायक शानभाग, कंबोडिया

 

पैसा प्राप्त करने के लिए ‘अंकोर वाट’ मंदिर का उपयोग करनेवाली कंबोडिया सरकार !

‘अंकोर वाट’ श्रीविष्णु के प्राचीन मंदिर के परिसर में ऑक्टोपस बेचती वहां की महिला

‘यद्यपि कंबोडिया बौद्ध राष्ट्र है, तब भी यहां की सरकार माओवाद पर आधारित है । ‘बौद्ध धर्म के उत्कर्ष के लिए और धन अर्जित करने के लिए वहां की सरकार कुछ भी करने के लिए तैयार है’, यह हमें ‘अंकोर वाट’ मंदिर देखने पर ध्यान पर आया । कंबोडिया में प्रत्येक वर्ष ‘अंकोर वाट’ मंदिर देखने १० लाखों से अधिक पर्यटक आते हैं । यहां आने पर पर्यटक कम से कम एक सप्ताह रहते हैं । कंबोडिया की सर्वाधिक आमदनी पर्यटकों से होती है । वर्तमान में कंबोडिया सरकार ऐसा दिखाने का प्रयत्न कर रही है कि ‘अंकोर वाट’ मंदिर, हिन्दुओं का मंदिर नहीं है । यहां बुद्ध की ६ – ७ बडी मूर्तियां हैं । इन मूर्तियों के मंदिर पर्यटक अपनी इच्छानुसार पूजा कर सकते हैं । मंदिर में अनेक बौद्ध भिक्कू भी होते हैं । मंदिर के परिसर में मांस बिक्री, कीडों की भेल और ऑक्टोपस (ऊपर दिया चित्र देखें), सर्प और मेढक की पकौडी बनाकर बेचना, यह तो सामान्य हो गया है ।’

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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