रक्षाबंधन

सारणी

१. श्रावण मासमें नागपंचमीके उपरांत आनेवाला त्यौहार, रक्षाबंधन
२. रक्षाबंधनका आधारभूत शास्त्र
३. रक्षाबंधनके दिन किए जानेवाले धार्मिक कृत्य
४. राखी के विषयमें
५. राखी कैसी होनी चाहिए ?
६. भाईद्वारा बहनको सात्त्विक उपहार देनेका महत्त्व
७. राखी बांधते समय बहनके भाव कैसे हों ?
८. रक्षाबंधनके दिन भाईके द्वारा करने योग्य प्रार्थना
९. रक्षाबंधनके आध्यात्मिक लाभ


 

१. श्रावण मासमें नागपंचमीके उपरांत आनेवाला त्यौहार, रक्षाबंधन

रक्षाबंधन अर्थात राखीका त्यौहार । यह भाई-बहनका त्यौहार है । यह त्यौहार श्रावण पूर्णिमाके दिन मनाया जाता है ।

 

२. रक्षाबंधनका आधारभूत शास्त्र

श्रावण पूर्णिमाके दिन ब्रह्मांडमें वेगवान यमतरंगें कार्यरत होती हैं । इन वेगवान तरंगोंके आपसमें घर्षण होनेके कारण तेजकणोंका एकत्रीकरण होकर वायुमंडलमें इन तेजकणोंका प्रक्षेपण होता है । वायुमंडलमें भूमिके निकट भूमि कण होते हैं । तेजकणोंका भूमिकणोंसे संयोग होनेके कारण उन्हें जडत्व प्राप्त होता है एवं वे भूमिपर आच्छादन बनाते हैं, भूमिपर बने इस आच्छादनको ही रक्षा कहते हैं । पातालके बलि राजा इस रक्षासे प्रक्षेपित रज-तम तरंगोंका उपयोग अनिष्ट शक्तियोंके पोषण हेतु करते हैं । इसलिए भूमिका आवाहन कर उसकी सहायतासे बलि राजाके इस कृत्यपर बंधन लानेके प्रतीकस्वरूप स्त्री पुरुषको राखी बांधती है अर्थात रक्षारूपी कणोंको नियंत्रित कर वायुमंडलकी रक्षाका आवाहन करती है । श्रावण पूर्णिमाके दिन पातालके राजा बलिको देवी लक्ष्मीने राखी बांधकर नारायणको; अर्थात प्रभु को मुक्त करवाया ।

 

रक्षा बांधतेसमय की जानेवाली यह प्रार्थना हम समझ लेते हैं,

 

‘येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।।

 

इसका अर्थ है, महाबली एवं दानवेंद्र बलि राजा जिससे बद्ध हुआ, उस रक्षासे मैं तुम्हें भी बांधती हूं । हे, राखी, तुम अडिग रहना । भविष्यपुराणमें बताए अनुसार रक्षाबंधन मूलतः राजाओंके लिए होता था । अब यह त्यौहार सभी लोग मनाते हैं । रक्षाबंधनके दिन बहन भाईको राखी बांधती है ।

 

३. रक्षाबंधनके दिन किए जानेवाले धार्मिक कृत्य

यह कृत्य समझनेके लिए अब देखते हैं, एक दृश्यपट

 

१. राखी बांधने हेतु भाईके बैठनेके लिए पीढा रखिए ।

२. इस पीढेके सर्व ओर रंगोली बनाइए ।

३. अब भाई एवं बहन दोनों एकदूसरे की रक्षाके लिए देवताओंसे प्रार्थना करें ।

४. बहन भाईको कुमकुमका तिलक करे ।

५. बहन भाईकी दाई कलाईपर राखी बांधे ।

६. राखी बांधनेके उपरांत बहन भाईका औक्षण करे |

७. इसमें प्रथम सोनेकी अंगूठी एवं सुपारीसे अर्धगोलाकार पद्धतिसे औक्षण करे एवं उसके उपरांत घीके निरांजनसे भाईकी अर्धगोलाकार पद्धतिसे ३ बार आरती उतारे ।

८. आरती उतारनेके उपरांत भाई अपनी बहनको उपहारस्वरूप कुछ वस्तु दे ।

९. बहन उपहार स्वीकार कर अपने भाईका सम्मान करे ।

 

४. राखी के बारेमें

प्राचीन कालमें अक्षत अर्थात चावलके कुछ दाने श्वेत वस्त्रमें लपेटकर रेशमी धागेसे राखीके रूपमें बांधे जाते थे । वर्तमान स्थितिमें हाटमें अर्थात मार्केटमें रक्षाबंधनके लिए विभिन्न प्रकारकी राखियां मिलती हैं । परंतु उनमेंसे अधिकांश राखियां दिखावटी होती हैं । वे सात्त्विक नहीं होतीं ।

 

 

४ अ. दिखावटी राखीका परिणाम दर्शानेवाला सूक्ष्म-चित्र

१. राखी बनानेके लिए उपयोगमें लाई विभिन्न रंग-बिरंगी एवं चमकीली वस्तुओंके कारण राखीमें मायावी वलय घनीभूत होते हैं ।

२. ऐसी राखी बांधनेपर व्यक्तिकी देहमें मायावी तरंगें संचारित होती हैं ।

३. तमोगुणी शक्तिके स्रोत राखीमें आकृष्ट होते हैं ।

४. व्यक्तिकी देहमें तमोगुणयुक्त तरंगें संचारित होती हैं। इस कारण उस व्यक्तिके हाथों होनेवाले प्रत्येक कृत्यमें ये तमोगुणी स्पंदन आते हैं।

५. वातावरणमें तमोगुणी मायावी कण संचारित होते हैं । राखी असात्त्विक हो, तो उसके परिणाम भाई-बहन दोनों ही पर होते हैं ।

 

५. राखी कैसी होनी चाहिए ?

दिखावटी राखी लेनेकी अपेक्षा, ऐसी राखी लेनी चाहिए, जो सात्त्विक हो एवं जिसमें ईश्वरीय तत्त्व आकृष्ट करनेकी क्षमता हो । सात्त्विक राखीके कारण सत्त्वगुणमें भी वृद्धि होती है।

 

६. भाईद्वारा बहनको सात्त्विक उपहार देनेका महत्त्व

असात्त्विक उपहार रज-तमप्रधान होता है । इसलिए भाई बहनको सात्त्विक उपहार दे । सात्त्विक उपहार अर्थात कोई धार्मिक ग्रंथ अथवा नामजपके लिए जपमाला जैसी कोई वस्तु, जिससे बहनको साधना करनेमें सहायता हो ।

 

७. राखी बांधते समय बहनका भाव कैसा हो ?

एक बार भगवान श्रीकृष्णजीकी उंगली कटी एवं उससे रक्त बहने लगा । श्रीकृष्णजी सुभद्राके पास गए; परंतु वह उंगली बांधनेके लिए पुराने कपडेकी चिंदी ढूंढने लगी । तब श्रीकृष्णजी द्रौपदीके पास गए । द्रौपदीने बिना सोच-विचार किए अपनी पहनी हुई जरीवाली साडीका पल्लू फाडकर श्रीकृष्णकी उंगली बांध दी । यह प्रसंग यही दर्शाता है कि भाईको होनेवाले कष्ट बहन देख नहीं सकती । अपने भाईपर आया संकट दूर करनेके लिए वह कुछ भी कर सकती है । रक्षाबंधनके दिन अपने भाईको राखी बांधते समय प्रत्येक बहनके मनमें द्रौपदी समान भाव होना चाहिए ।

 

८. रक्षाबंधनके दिन भाईके द्वारा करने योग्य प्रार्थना

रक्षा-बंधनके दिन प्रत्येक भाई ईश्वरसे प्रार्थना करे, ‘मेरी बहनकी रक्षाके साथ-साथ मुझसे समाज, राष्ट्र एवं धर्मकी रक्षाके लिए प्रयत्न हों’ ।

 

९. रक्षाबंधनके आध्यात्मिक लाभ

अ. तेजतत्त्वमें वृद्धि होती है |

राखी बांधते समय भाईकी आरती उतारनेपर निरांजनकी ज्योतिसे तेजतत्त्वकी तरंगें भाईकी ओर प्रक्षेपित होती हैं । ये तरंगें भाईमें विद्यमान तेजतत्त्वकी वृद्धिमें सहायता करती हैं ।

 

अा. भाईको शक्तितत्त्वका लाभ होता है |

रक्षाबंधनके दिन राखी बांधनेवाली स्त्रीमें विद्यमान शक्तितत्त्व जागृत होते हैं । भाईको राखीके माध्यमसे इस शक्तितत्त्वके लाभ होते हैं ।

 

इ. भाई – बहनके बीचका लेन-देन घटता है |

बहन एवं भाईका एक-दूसरेके साथ साधारणत: ३० प्रतिशत लेन-देनका हिसाब होता है । लेन-देनका हिसाब राखी पूर्णिमा जैसे त्यौहारोंके माध्यमसे घटता है अर्थात वह स्थूलसे एक-दूसरेके बंधनमें अटकते हैं; परंतु सूक्ष्म-रूपसे आपसी लेन-देनके हिसाबको समाप्त करते हैं ।

 

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संदर्भ : सनातन-निर्मित ग्रंथ ‘त्यौहार, धार्मिक उत्सव एवं व्रत’

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