चन्द्रामृत रस (गोलियां)

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वैद्य मेघराज पराडकर

चन्द्रामृत रस श्वसनतंत्र को बल देनेवाली औषधि है ।

 

१. संभावित उपयोग

‘यह श्वसनतंत्र को बल देनेवाली औषधि है । विकारों में इसका संभावित उपयोग आगे दिया है; प्रकृति, प्रदेश, ऋतु एवं अन्य विकारों के अनुसार उपचारों में परिवर्तन हो सकता है । इसलिए वैद्यों के मार्गदर्शन में ही औषधि लें ।

 

उपयोग औषधि लेने की पद्धति अवधि
अ. सर्व प्रकार की खांसी दिन में २ – ३ बार १ से ४ गोलियों का चूर्ण चौथाई से १ चम्मच मधु (शहद) में मिलाकर चाटें अथवा केवल उतनी गोलियां चूसकर खाएं । ४ से ५ दिन
आ. श्वसनतंत्र के सर्व विकारों में श्वसनतंत्र को बल देने हेतु उपयुक्त दिन में २ – ३ बार १ – २ गोलियों का चूर्ण आधा चम्मच मधु (शहद) में मिलाकर अथवा पानी के साथ लें । १ से ३ मास

 

२. सूचना

आयुवर्ग ३ से ७ के लिए चौथाई एवं ८ से १४ के लिए गोलियों का चूर्ण आधी मात्रा में लें ।’

 

३. औषधि का सुयोग्य परिणाम होने हेतु यह न करें !

मैदा और बेसन के पदार्थ; खट्टे, नमकीन, अति तैलीय और तीखे पदार्थ, आईस्क्रीम, दही, पनीर, चीज, बासी, असमय और अति भोजन, धूप में घूमना तथा रात्रि जागरण

 

४. औषधि लेते समय उपास्य देवता से प्रार्थना करें !

हे देवता, यह औषधि मैं आपके चरणों में अर्पण कर आपका ‘प्रसाद’ समझकर ग्रहण कर रहा हूं । इस औषधि से मेरे विकार दूर होने दें ।

– वैद्य मेघराज माधव पराडकर, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (११.६.२०२१)

संदर्भ : सनातनका ग्रंथ ‘आयुर्वेदानुसार आचरण कर बिना औषधियाेंके निरोगी रहें !’

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