सनातन-निर्मित श्री गणपति के चित्रों की आध्यात्मिक विशेषताएं

सनातन-निर्मित श्री गणपति के चित्रों की आध्यात्मिक विशेषताओं का विज्ञान द्वारा अध्ययन करने के लिए १५.१०.२०१९ को रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम में ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’की ओर से एक परीक्षण किया गया ।

‘श्री सिद्धिविनायक मूर्ति प्रतिष्ठापना विधि’का विधि के घटक एवं पुरोहितों पर सकारात्मक परिणाम होना

‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’द्वारा ‘युनिवर्सल ऑरा स्कैनर (यू.ए.एस्)’ नामक उपकरण द्वारा किया वैज्ञानिक परीक्षण ‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना शीघ्र से शीघ्र हो, इसलिए मयन महर्षिजी की आज्ञा से ९.१०.२०१९ एवं १०.१०.२०१९ को रामनाथी (गोवा) के सनातन आश्रम में सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ एवं सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळ के शुभहस्तों श्री सिद्धिविनायक मूर्ति की चैतन्यमय एवं भावपूर्ण वातावरण में प्रतिष्ठापना की गई ।

गोमय से बनी अशास्त्रीय गणेशमूर्ति उपासक को आध्यात्मिक दृष्टि से लाभदायक न होकर धर्मशास्त्रानुसार बनी सनातन-निर्मित शास्त्रीय गणेशमूर्ति आध्यात्मिक दृष्टि से लाभदायक होना

गोमय से बनी अशास्त्रीय गणेशमूर्ति एवं मिट्टि से बनी शास्त्रीय गणेशमूर्ति इनसे प्रक्षेपित होनेवाले स्पंदनों का विज्ञान की सहायता से अध्ययन करने हेतु ९.३.२०१८ के दिन रामनाथी, गोवा स्थित सनातन के आश्रम में ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की ओर से एक प्रयोग किया गया ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा बताया प्रतिशत और उपकरणों द्वारा किए परीक्षण में समानता होना तथा उनके दृष्टा होने की प्रतीति !

देवता का चित्र उनके मूल रूप से जितना अधिक मिलता-जुलता होता है, उतना ही उसमें देवता का तत्त्व अधिक मात्रा में होता है ।

वैज्ञानिक तथा यज्ञ के विषय में अध्ययन करनेवाले अभ्यासी, साथ ही इस विषय की शिक्षा लेनेवाले छात्रों को वैज्ञानिक दृष्टि से अनुसंधान के लिए विनम्र अनुरोध !

प.पू. रामभाऊस्वामीजी यज्ञकुंडपर अग्नि के प्रज्वलित होने के समय उसमें स्वयं को समर्पित करते हैं । इस संदर्भ में वैज्ञानिक दृष्टि से शोध करनेवाले यदि हमारी सहायता करते हैं, तो हम उनके प्रति कृतज्ञ रहेंगे ।

वैज्ञानिक परीक्षण : प.पू. रामभाऊस्वामीजी द्वारा गोवा के सनातन आश्रम में किए गए उच्छिष्ट गणपति यज्ञ का वैज्ञानिक परीक्षण !

यज्ञसंस्कृति की रक्षा हेतु प्रयासशील तंजावूर, तमिलनाडू के महान योगी प.पू. रामभाऊस्वामीजी अपने विशेषतापूर्ण यज्ञों द्वारा समाज को भौतिक तथा आध्यात्मिक स्तर का लाभ पहुंचाने का दैवीय कार्य कर रहे हैं । उन्होंने १५.१.२०१६ को गोवा के सनातन आश्रम में उच्छिष्ट गणपति यज्ञ का आरंभ किया । इस यज्ञ का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अध्ययन ।

अत्यंत उच्च तापमानवाले यज्ञकुंड में समर्पित होकर स्वयं के शरीर के तापमान को सर्वसामान्य रखनेवाले तंजावूर (तमिलनाडू) के महान योगी प.पू. रामभाऊस्वामीजी !

परीक्षण के समय यज्ञकुंड का तापमान १४६.५ अंश सेल्सियस था । उस समय यज्ञकुंड में समर्पित प.पू. रामभाऊस्वामीजी के शरीरपर ओढी हुई शॉल का तापमान ३९.५ अंश सेल्यियस था |

७८ वर्षीय प.पू. रामभाऊस्वामीजी के चिकित्सकीय परीक्षण की जानकारी

तमिलनाडू के तंजावुर स्थित ७८ वर्षीय परम पूजनीय रामभाऊस्वामीजी ने वर्ष १९७५ से जलप्राशन नहीं किया है । वर्ष १९७७ से वे केवल दो केले और एक प्याली दूध, दिन में केवल एक ही बार ले रहे हैं । ऐसा होते हुए भी वे पूर्णतः कार्यक्षम हैं ।