नौकरी प्रामाणिकता से एवं साधना करने से साधक को हुई भगवान की सहायता की प्रचीति !
आस्थापन के मालिक ने उन्हें १० प्रतिशत वेतन देना जारी रखा । ‘तदुपरांत कुछ माह में दिवाली में खर्च करने के लिए उन्हें पैसे कम पड रहे होंगे’, ऐसे आस्थापन के मालिक को लगा; इसलिए उन्होंने २ सहस्र रुपये वेतन बढा दिए । उसी माह में उस साधक की मां को फेफडों का कष्ट शुरू हो गया और उसके लिए उन्हें महीने में २ सहस्र रुपयों की औषधियां लग रही थीं । ‘साधना करने से भगवान साधकों की कैसेे सहायता करता है ?’, इसका यह एक उत्तम उदाहरण है ।’