धूलिवंदन का महत्त्व
होली ब्रह्मांडका एक तेजोत्सव है । होलीके दिन ब्रह्मांडमें विविध तेजोमय तरंगोंका भ्रमण बढता है । इसके कारण अनेक रंग आवश्यकताके अनुसार साकार होते हैं । रंगोंका स्वागत हेतु होलीके दूसरे दिन ‘धूलिवंदन’ का उत्सव मनाया जाता है ।
होली ब्रह्मांडका एक तेजोत्सव है । होलीके दिन ब्रह्मांडमें विविध तेजोमय तरंगोंका भ्रमण बढता है । इसके कारण अनेक रंग आवश्यकताके अनुसार साकार होते हैं । रंगोंका स्वागत हेतु होलीके दूसरे दिन ‘धूलिवंदन’ का उत्सव मनाया जाता है ।
होली के दिन अधिक मात्रा में गुलाल खेलने के पश्चात त्वचा पर लगा रंग निकालना कठिन होता है ।
हुताशनी पूर्णिमा अर्थात होलिकोत्सव! होली प्रज्वलनके उपरांत हाथ उलटाकर मुंहपर रखकर जोरजोरसे चिल्लानेका कृत्य किया जाता है ।
होलीके दिन अग्निदेवताकी पूजा करनेसे व्यक्तिको तेजतत्त्वका लाभ होता है । इससे व्यक्तिमेंसे रज-तमकी मात्रा घटती है । इसीलिए इस दिन अग्निदेवताकी पूजा कर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है ।
होलीकी ऊंचाई साधारणतः पांच-छः फुट होनी चाहिए । होलीकी रचना करते समय मध्यस्थानपर गन्ना,
अरंड तथा सुपारीके पेडका तना खडा करते है । होलीकी रचनामें गायके गोबरसे बने उपलोंका उपयोग करते है ।
देश-विदेशमें मनाया जानेवाला होलीका त्यौहार रंगोंके साथ उत्साह तथा आनंद लेकर आपसी मनमुटावोंको त्यागकर मेलजोल बढाता है । जानिए, भावपूर्ण रीतिसे होली का पूजन करनेसे पूजक एवं पुराहित पर क्या परिणाम होते है ।
श्री गणेशचतुर्थीके दिन पूजन हेतु श्री गणेशजीकी नई मूर्ति लाई जाती है । देशकालका उच्चारण कर विधिका संकल्प कीजिए । श्री गणेशमूर्तिमें प्राणप्रतिष्ठा की जाती है ।
भगवान श्रीकृष्णजीको तुलसी प्रिय है । तुलसीमें ५० प्रतिशत कृष्णतत्त्व होता है । जीवको इन तरंगोंका व्यावहारिक एवं आध्यात्मिक दोनों स्तरोंपर लाभ होता है ।
रक्षाबंधन अर्थात राखीका त्यौहार । यह भाई-बहनका त्यौहार है । यह त्यौहार श्रावण पूर्णिमाके दिन मनाया जाता है ।
नारियल पूर्णिमा प्राकृतिक परिवर्तनपर आधारित त्यौहार है । वर्षाकालके आरंभमें प्रथम दो महीने समुद्री व्यापार अथवा समुद्री-यात्रा करना संभव नहीं होता है । परंतु श्रावण पूर्णिमाके कालमें वर्षाका परिमाण घटता है ।