भगवान श्रीकृष्ण के अस्तित्व का अनुभव किए हुए कुछ स्थानों का छायाचित्रात्मक दिव्यदर्शन !

गोपियां रमीं परमानंद में, श्रीहरी से भावानुबंध अनुभव करतीं प्रति क्षण ।
सिखाई सबको मधुराभक्ति, पदस्पर्श से उनकी धन्य हुई यह भूमि ।।

भगवान श्रीकृष्ण के समान सखा, गुरु, मां-बाप कोई नहीं, यह जो जानता है वही खरा भक्त है । भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य भाव से शरण जानेवाला भक्त संसार सागर से मुक्त हो जाता है । श्रीकृष्ण के प्रति उत्कट भाव बढाने के लिए उनके दिव्य जीवन से संबंधित गोकुल, वृंदावन एवं द्वारका, इन दैवी क्षेत्रों के छायाचित्र यहां दिए हैं । इन छायाचित्रात्मक कृतज्ञता के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण के अस्तित्व का अनुभव करने का प्रयत्न करते हैं ।

 

जगद्गुरु श्रीकृष्ण अर्थात साक्षात पूर्णावतार ।
भक्ति, ज्ञान एवं कर्म का परिपूर्ण भंडार ॥

गोपाल की बाललीला का अनुभव किया हुआ गोकुल ।

माधव कुंज गली (यहां श्रीकृष्ण उनके सखाओं के साथ चुराया हुआ माखन खाते थे तथा कभी-कभी छिपकर भी बैठते थे ।)

 

भगवद्भक्ति से सरोबार तथा कृष्णमय हुआ तीर्थक्षेत्र : वृंदावन ।

मुरलीधर बजाएं मधुर बांसुरी । बन्सीवट में आएं गोप-गोपियों सहित पक्षी-प्राणी ।

बन्सीवट, इस बरगद के वृक्ष के नीचे श्रीकृष्ण बांसुरी बजाते थे ।

रासलीला का मध्य स्थान ।

इस स्थान पर प्रतिदिन रात्रि में श्रीकृष्ण एवं गोपियों में रासलीला होती है ।

 

श्रीहरी का अस्तित्व अनुभव करने आइए द्वारका में ।

एक रात्रि में ४ वेदों का उच्चार कर, भगवान विश्‍वकर्मा द्वारा बनाया गया भगवान श्रीकृष्ण का ५००० वर्ष प्राचीन मंदिर ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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