फीजियोथेरेपी

अपने शरीर के किसी पीडित अंग, स्नायु तथा हड्डियों को पूर्ववत करने के व्यायाम और फीजियोथेरेपी ये दो भिन्न पद्धति हैं ।

व्याधि का मूल कारण खोजकर फीजियोथेरेपी द्वारा दर्द दूर किया जाता है किंतु इसमें व्यायाम की शास्त्रीय पद्धति का आधार लेना आवश्यक है । इससे दर्द, अपघात से होनेवाली असह्य पीडा तथा बदलती जीवनशैली से होनेवाली बीमारियां साथ ही हड्डी के पुराने रोग ठीक किए जाते हैं ।

 

यह उपचार कब करना चाहिए ?

शरीर के जिस अवयव तथा जिस स्थान पर कष्ट हो रहा हो वहां फीजियोथेरेपी द्वारा उपचार किया जाता है । विशेषतः स्नायु में वेदना होने तथा जोडों (संधि) के स्थान पर यह उपचार करना आवश्यक होता है । पीठ दुखने के अनेक कारण हैं – मोटापा, व्यायाम न करना, तनाव, स्नायु में खिंचाव, बैठने की गलत पद्धति आदि से हड्डियां अथवा स्नायु दुखने पर फीजियोथेरेपी का कोर्स करने से पीडा कम होती है किंतु रोग का मुख्य कारण खोजकर फीजियोथेरेपिस्ट के बताएनुसार आदतें तथा जीवनशैली में परिवर्तन करना आवश्यक है । भारी वस्तु उठाना तथा एक ही स्थान पर बहुत देर बैठने से पीठ में तनाव आता है जिससे पीठ दुखने लगती है ।

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