वर्तमान में साधना करना ही धर्माचरण है ! – श्रीमती रीता पाठक, सनातन संस्था

सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश) – सनातन संस्था द्वारा सुल्तानपुर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सुल्तानपुर (काशी प्रांत) के सभी छात्र एवं छात्राओं के लिए वर्तमान भारत में धर्माचरण की आवश्यकता विषय पर फेसबुक लाइव के माध्यम से दिनांक ६ मई २०२० को मागदर्शन किया गया । अभाविप सुल्तानपुर के सभी कार्यकर्ताओं ने इस मार्गदर्शन का लाभ लिया ।

अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि सोने की चिडिया कहे जानेवाले भारत के बारे में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एंगस मेडिसन के अनुसार प्राचीन काल में भारत की अर्थव्यवस्था विश्‍व के ३२.९% थी । किंतु वर्तमान में हमारी स्थिति दयनीय हो गई है, उसका कारण है हमारे राष्ट्र में से धर्म का निकल जाना । स्वामी विवेकानंदजी ने कहा था कि धर्म, संस्कृति, भाषा, भूमि और जन राष्ट्र के पांच प्राण होते हैं । इसीलिए धर्म के अनुसार आचरण करना आवश्यक है । वर्तमान में सेक्युलर व्यवस्था होने के कारण राष्ट्र धर्मविहीन हो गया है । आचार्य चाणक्य ने कौटिल्य अर्थशास्त्र में लिखा था कि सुखस्य मूलं धर्म अर्थात सुख का मूल धर्म है । साथ ही शास्त्रवचन है कि धर्म का पालन न करने से ७ प्रकार के संकट आते हैं । इसलिए साधना अत्यंत आवश्यक है । वर्तमान में साधना करना ही धर्माचरण है ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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