चिरंतन सनातन !

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श्री. चेतन राजहंस, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था

गत कुछ दिनों से कुछ राजनेताओं ने सनातन धर्म पर अश्लील टीका-टिप्पणी हो रही है । तमिलनाडु में द्रमुक पक्ष के क्रीडामंत्री और मुख्यमंत्रीपुत्र उदयनिधि स्टैलिन ने ‘सनातन धर्मविरोधी परिषद’में कहा था कि ‘सनातन धर्म का डेंग्यू, मलेरिया समान उच्चाटन होना चाहिए । तदुपरांत द्रमुक पक्ष के तमिलनाडु के सांसद ए.के. राजा, कांग्रेस के कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे, तृणमूल कांग्रेस पक्ष की ममता बैनर्जी, अभिनेता कमल हसन, सिने अभिनेता प्रकाश राज जैसे महानुभावों ने उदयनिधि का समर्थन किया । वास्तव में उस ‘हेट स्पीच’ के लिए उदयनिधि एवं उनके समान ही विचारधारावालों पर कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए थी; परंतु दुर्भाग्य से अब तक उन पर कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है । तब भी सनातन धर्म में ‘कर्मसिद्धांत’ है । इसलिए किए गए प्रत्येक कर्म का फल कभी न कभी तो भोगना ही पड़ता है !

सनातन अविनाशी तत्व है !

सनातन शब्द की व्युत्पत्ति इस प्रकार है ‘सना आतनोति इति सनातनः ।’ सना अर्थात शाश्वत एवं आतनोति अर्थात प्राप्ति करवाना । ‘सनातन’ अर्थात जो शाश्वत की प्राप्ति करवाए । ‘सनातनो नित्यनूतन:’ अर्थात जो शाश्वत, अनादि होने से नित्यनूतन है, अर्थात जो कभी पुराना-जीर्ण नहीं होता, उसे ‘सनातन’ कहते हैं । सनातन अविनाशी तत्व है । महाभारत के शांतिपर्व में अध्याय 64 के अंतर्गत कहा गया है कि अनादि काल में जब ईश्वर ने सृष्टि की उत्पत्ति की, उसी समय धर्म की निर्मिति की । ऐसे अनादि एवं अनंत धर्म को समाप्त करने का कितना भी कोई प्रयत्न करे, तब भी सनातन समाप्त नहीं हो सकता; इसलिए की उत्पत्ति-स्थिति-लय का यह नियम धर्म को लागू नहीं हो सकता । युगों-युगों से देवताओं और असुरों में संग्राम शुरू है और इसमें अंतिम विजय सत्य की अर्थात सनातन धर्म की ही होती है, यह इतिहास है । यही शाश्वत सत्य है । इसलिए आगामी काल में सनातन धर्म का उच्चाटन होगा अथवा सनातन विरोधी द्रमुक का, यह तो समय ही बताएगा ।

हिन्दुत्व का सूर्य ‘उदय’ हो रहा है !

स्टैलिन के सनातनद्वेषी वक्तव्य करते ही धर्मविद्वेषियों ने एक के पीछे एक हिन्दू धर्म के विरोध में विषवमन आरंभ कर दिया । कुछ वर्षाें पूर्व ‘धर्म अफीम की गोली है’, ‘भगवान को रिटायर करो’ ऐसे वक्तव्य किए गए थे । ये वक्तव्य अर्थात हिन्दू धर्म के विरोध में चल रहे ‘डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व’ इस आंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र का भाग है । जो भाषा मुगल आक्रमकों की थी, वही भाषा आज स्टैलिन और ओवैसी की है । आज भारी मात्रा में सनातन हिन्दू धर्म का विरोध करने का प्रयत्न हो रहा है, तब भी कोरोना के उपरांत विश्वभर में हिन्दू धर्म के विषय में आकर्षण बढता ही जा रहा है । लोगों के सनातन जीवनशैली स्वीकारने की संख्या में वृद्धि हो रही है । जिस प्रकार सूर्योदय का समय धीरे-धीरे निकट आता है, वैसे-वैसे वातावरण का अंधकार दूर होता जाता है । उसी प्रकार यह भी है । उदयनिधि अथवा ए. राजा कितना भी शोर मचाएं, तब भी आज वैश्विक स्तर पर हिन्दुत्व की ‘डिसमेंटलिंग’ नहीं; अपितु हिन्दुत्व का सूर्य ‘उदय’ हो रहा है, यही वास्तविकता है ।

कुछ समय पूर्व ही भारत में ‘जी-20’ परिषद की शिखर बैठक हुई । तब भारत में आए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक अपनी पत्नी सहित अक्षरधाम मंदिर गए थे । उन्होंने सार्वजनिकरूप से कहा कि ‘मुझे अभिमान है कि मैं हिन्दू हूं और भारतीय वंश का हूं ।’ इस परिषद में आमंत्रित अनेक विदेशी महिलाओं ने पारंपारिक हिन्दू वस्त्र अर्थात साडी परिधान की थी । अमेरिका के आगामी राष्ट्रध्यक्ष पद के चुनाव में रिपब्लिकन पक्ष के प्रत्याशी (उम्मीदवार) भारतीय वंश के रामास्वामी ने भी हिन्दू धर्म के विषय में आस्था व्यक्त की है । उन्होंने यह भी कहा कि उनकी दिनचर्या हिन्दू धर्म मूल्यों के अनुसार है ।

इसी महिने अमेरिका के लुईसविले नामक शहर के महापौर ने 3 सितंबर को ‘सनातन धर्म दिवस’ के रूप में  घोषित किया । विदेश के लोग हिन्दू धर्म का अनुसरण कर रहे हैं और भारत में आस्तिकता भी बढ़ रही है । वर्ष 2019-20 में भारत में किए शोधन पर आधारित ‘प्यू रिसर्च सेंटर’का जो ब्योरा प्रकाशित हुआ था, उसमें ऐसा पाया गया कि ‘80 प्रतिशत हिन्दू भगवान पर विश्वास रखते हैं । 55 प्रतिशत हिन्दू घर में नियमित पूजा करते हैं ।’ विश्व भर में  योग, आयुर्वेद और संस्कृत भाषा के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है ।

तमिलनाडु के मंदिर सरकार मुक्त करें !

उदयनिधि स्वयं को ईसाई कहलवाते हैं और सनातन धर्म की अवहेलना करते हैं । संभवत: हिन्दू धर्म का प्रभाव सर्वत्र बढ़ने से उदयनिधि की अस्वस्थता (बेचैनी) बढ़ रही होगी । सनातन धर्म समाज के प्रतिनिधि के रूप में उदयनिधि को केवल इतना ही कहना चाहता हूं कि वे अर्थात तमिलनाडु में सत्ताधारी पक्ष को यदि सनातन धर्म मान्य नहीं है तो उसे वहां के मंदिरों पर जो कि सनातन धर्म की आधारशिला हैं, उन पर से अपना अधिकार छोड़ देना चाहिए । उन्हें तमिलनाडु के सभी मंदिरों को सरकारीकरण से मुक्त करने की घोषणा करनी चाहिए ।

‘हेट स्पीच’पर कार्रवाई कौन करेगा ?

हमारे देश में दुर्भाग्यवश सनातन धर्म की अवहेलना करनेवालों पर, ‘सनातन धर्मियों का उच्चाटन करें’ अथवा सनातन धर्म के उच्चाटन के लिए ‘सर तन से जुदा’की खुलेआम घोषणा दें, किसी पर भी ‘हेट स्पीच’के संदर्भ में पुलिस कार्रवाई नहीं होती अथवा न्यायालय की सर्वोच्च संस्था सुओमोटो कार्रवाई करने का साहस नहीं जुटा पाती  । ‘सेक्युलैरिजम’का उपदेश देनेवाले उदारतावादियों के लिए एक प्रश्न है कि,

हिन्दू धर्म के विरोध में विषवमन करनेवालों के कारण भारत का ‘सेक्युलैरिजम’ संकट में कैसे नहीं आता ? ‘We the people’ … अर्थात ‘हम नागरिक’ भारतीय संविधान की मूल प्रधानता होते हुए भी अर्थात बहुसंख्य हिन्दू समाज के सनातनी होते हुए, भारत का संविधान संकट में कैसे नहीं ? वास्तव में उदयनिधि के वक्तव्य एक प्रकार से सनातन धर्मीय हिन्दुओं का वंशविच्छेद हेतु भडकानेवाले वक्तव्य हैं; परंतु उदयनिधि की इस ‘हेट स्पीच’पर कार्रवाई कौन करेगा, यह गंभीर प्रश्न सनातन समाज को विचलित कर रहा है । अब रहा प्रश्न सनातन धर्म उच्चाटन का, तो सनातन धर्म चिरंतन है, अविनाशी है । ‘कौए के श्राप से गाय नहीं मरती’, ठीक उसी प्रकार किसी भी विद्वेष से सनातन धर्म समाप्त नहीं होगा, ऐसी हमारी धर्मश्रद्धा है !

– श्री. चेतन राजहंस, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था.
Twitter @1chetanrajhans

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