भविष्य में विदेशी लोगों से अध्यात्म सिखने की स्थिति न आए; इसके लिए हिन्दू अध्यात्म का अध्ययन कर साधना करें ! – श्री. अभय वर्तक, धर्मप्रचारक, सनातन संस्था

श्री. अभय वर्तक

नई देहली : विश्‍वभर में चिकित्सकीय क्षेत्र में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का बहुत बडा नाम है । विज्ञान की अपेक्षा अध्यात्म सर्वश्रेष्ठ होने से उसके प्रसार एवं प्रचार हेतु उन्होंने सनातन संस्था की स्थापना की है । अध्यात्मशास्त्र की श्रेष्ठता विविध वैज्ञानिक उपकरणों की कसौटीपर जांचकर प्रमाणित भी हुई है । इसके फलस्वरूप आज विदेशों से बडी संख्या में अध्यात्म का अध्ययन करने की ओर लोग आकर्षित हो रह हैं । हम हिन्दुओं ने समय रहते ही अपने धर्म का अध्ययन नहीं किया, तो भविष्य में हमें विदेशी लोगों से अध्यात्म समझकर लेने की स्थिति आएगी । ऐसा न हो; इसके लिए प्रत्येक हिन्दू को आज से ही अपने धर्म का अध्ययन और साधना करना आरंभ करना चाहिए, सनातन संस्था के धर्मप्रचारक श्री. अभय वर्तक ने ऐसा प्रतिपादित किया । यहां के श्री राधाकृष्ण मंदिर में श्री. सुमित शर्मा के तत्त्वावधान में आयोजित एक कार्यक्रम में वे ऐसा बोल रहे थे । इस अवसरपर अध्यात्म के अभ्यासी डॉ. प्रवेश, सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता तथा गोरक्षक अमितेश चौबे, श्री गोपाल गोरक्षण दल की अध्यक्ष श्रीमती शांता शर्मा, महंत रामकिशन शर्मा आदि मान्यवर उपस्थित थे । कार्यक्रम के पश्‍चात भंडारे का भी आयोजन किया गया था ।

श्री. सुमित शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि मनुस्मृति का अध्ययन करे बिना ही उसका विरोध किया जाता है । वास्तव में विविध स्मृतियों में कलियुग के लिए ‘पराशर स्मृति’ श्रेष्ठ बताई गई है । मूल मनुस्मृति का अध्ययन करनेपर उसकी श्रेष्ठता सामान्य लोगों के ध्यान में आएगी । काल के प्रवाह में कुप्रथाओं को बंद करना हिन्दुओं ने सदैव स्वीकारा है; परंतु आजकल हिन्दू धर्म का जो विरोध हो रहा है, वह अयोग्य है । गोमाता राष्ट्रमाता है, उसे राष्ट्रीय पशु कहना उसका अनादर करना है ।

संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात

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